क्या है 103वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम और यह किन लोगों के लिए लाभकारी है?
नई दिल्ली: हमारा देश अपनी एक रफ्तार से प्रगति के रास्ते पर बढ़ रहा है, लेकिन भारत पूरी तरह विकसित तभी होगा जब समाज का हर व्यक्ति आर्थिक रूप से मजबूत होगा. इसी बात को मज़बूती प्रदान करने के लिए 103वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम पारित किया गया। चलिए जानते हैं क्या है 103वां संवैधानिक संशोधन अधिनियम औऱ यह किन लोगों के लिए लाभकारी है.
103वां संवैधानिक संशोधन आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए मददगार साबित हो रहा है. नियमों के अनुसार जिस परिवार का वार्षिक आय 8 लाख रुपये से कम होता है, उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker सेक्शंस- EWS) के रूप में माना गया है. आय में सभी प्रकार के स्रोत को शामिल किया गया है जैसे- वेतन, कृषि, व्यवसाय, पेशे इत्यादि शामिल हैं.
क्या है EWS आरक्षण
जो लोग सामाजिक और आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग में आते हैं उन्हें आगे लाने के लिए भारतीय संविधान में आरक्षण की व्यवस्था की गई है. आरक्षण की सुविधा केवल अनुसूचित जाति (Scheduled Caste), अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) और अति पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यकों को प्राप्त था लेकिन केंद्र सरकार ने साल 2019 में संविधान में 103वां संशोधन करके सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को शैक्षणिक संस्थानों और केंद्रीय सरकारी नौकरियों में 10 फीसद आरक्षण की व्यवस्था की.
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इससे पहले सिर्फ SC-ST और OBC वर्ग के लोगो के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गई लेकिन इस संशोधन के जरिए आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए भी आरक्षण की व्यवस्था की गई. साल 2019 में पारित किए गए इस संविधान संशोधन से जुड़ी दर्जनों याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 से फैसला सुनाते हुए इसे सही ठहराया.
103वां संविधान संशोधन और लाभ
साल 2019 में 103वें संविधान संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में संशोधन किया गया. इस संशोधन के माध्यम से भारतीय संविधान में अनुच्छेद 15 (6) और अनुच्छेद 16 (6) सम्मिलित किया गया, ताकि अनारक्षित वर्ग के आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को आरक्षण का लाभ प्रदान किया सके.
संविधान का अनुच्छेद 15 (6) राज्य को खंड (4) और खंड (5) में उल्लेखित लोगों को छोड़कर देश के सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों की उन्नति के लिये विशेष प्रावधान बनाने और शिक्षण संस्थानों (अनुदानित तथा गैर-अनुदानित) में उनके प्रवेश के लिए एक विशेष प्रावधान बनाने का अधिकार देता है, हालांकि इसमें संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड (1) में संदर्भित अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों को शामिल नहीं किया गया है.
संविधान का अनुच्छेद 16 (6) राज्य को यह अधिकार देता है कि वह खंड (4) में उल्लेखित वर्गों को छोड़कर देश के सभी आर्थिक रूप से कमज़ोर वर्गों के लोगों के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण का कोई प्रावधान करें, यहां आरक्षण की अधिकतम सीमा 10 प्रतिशत है, जो कि मौजूदा आरक्षण के अतिरिक्त है.
Supreme Court का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2019 में संसद द्वारा पारित किए गए 103 वें संवैधानिक संशोधन को सही ठहराया. 103वां संविधान संशोधन कानून सामान्य वर्ग में आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को 10 फीसदी आरक्षण शैक्षणिक संस्थानों और रोजगार में मुहैया कराता है. केंद्र सरकार द्वारा इस अधिनियम को पारित कराने के साथ ही कई तरह के सवाल लगातार उठाए जा रहे थे, जिसमें इसकी संवैधानिक वैधता पर सबसे बड़ा सवाल था.
इस मामले की सुनवाई पांच जजों की बेंच कर रही थी. इन 5 जजों में से 3 जजों ने 10 फीसदी EWS आरक्षण को सही माना जबकि दो जजों ने अपनी असहमति जताई.
पक्ष में फैसला सुनाने वाले तीन जजों ने कहा कि केवल आर्थिक आधार पर दिया जाने वाला आरक्षण संविधान के मूल ढांचे और समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है.
विरोध में दो जजों ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर और गरीबी झेलने वालों को सरकार आरक्षण दे सकती है और ऐसे में आर्थिक आधार पर आरक्षण अवैध नहीं है, लेकिन इसमें से SC-ST और OBC को बाहर किया जाना असंवैधानिक है.