सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट साझा करने पर क्या कार्यवाही होगी? जानिये यहां
नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट साझा करना कभी -कभी घातक भी हो सकता है. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के बरेली ज़िले में घटित हुआ. जहां गैंगस्टर से नेता बने अतीक अहमद की सोशल मीडिया पर तारीफ करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.
बरेली पुलिस ने दोनों व्यक्तियों के खिलाफ पर सूचना तकनीक अधिनियम (Information Technology Act - IT Act) और भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code -IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
पुलिस ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस को बताया कि पहले आरोपी, जिले के बिथरी चैनपुर के एक 35 वर्षीय व्यक्ति ने हाल ही में प्रयागराज में अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्याओं के संबंध में अपने ट्विटर हैंडल पर एक भड़काऊ पोस्ट साझा किया था.
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आरोपी रोहिलखंड मेडिकल कॉलेज के रिसेप्शन डेस्क पर काम करता है. उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, क्योंकि उसने एक भड़काऊ पोस्ट साझा किया था, जो समाज में अशांति पैदा कर रहा था और दंगे की चिंगारी भड़का सकता था, पुलिस ने बताया. पुलिस ने उसको गिरफ्तार कर सोमवार को जेल भेज दिया है.
एक अन्य आरोपी, अब्दुल्लापुर माफी के रहने वाले, ने 17 अप्रैल को फेसबुक पर अतीक अहमद की प्रशंसा करते हुए एक संदेश पोस्ट किया था. पुलिस ने उस पर भी शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की और गिरफ्तार कर लिया.
आपको बतातें है कि क्या है IT Act और Indian Penal Code (IPC) के तहत सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट करने पर क्या है सजा का प्रावधान.
IT Act के तहत भड़काऊ पोस्ट डालने पर सजा
आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है. साथ ही 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है.
अगर यही अपराध दोहराया तो दोषी को 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है. कानून के तहत सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले पोस्ट डालने और दंगा भड़कने के बाद किसी व्यक्ति की मौत होती है, तो दोषी को पूरा जीवन जेल में काटना होगा.
IPC की धारा-153ए और 505 के तहत भड़काऊ बयान पर सजा
अगर कोई शख्स दो समूह, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, रिहायश या भाषा के नाम पर नफरत फैलाता है तो उसके खिलाफ के तहत आईपीसी की धारा-153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है. इसके तहत 3 साल तक के कारावास, या जुर्माना, या दोनों सजा का प्रावधान है.
अगर कोई शख्स दो समूहों या वर्गों के बीच नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है. इस मामले में भी दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है.