अमेरिका में कैसे होता है राष्ट्रपति का चुनाव? जानें क्या कहता है US Constitution
मंगलवार. अमेरिकी चुनाव का दिन. राष्ट्रपति पद के लिए वोटिंग का दिन. नतीजे कुछ दिन बाद आएगा और जीता हुआ उम्मीदवार जनवरी 2025 में राष्ट्रपति (President) पद की शपथ लेगा. इस बार अमेरिकी प्रेसिडेंट के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर डोनाल्ड ट्रंप, तो डेमोक्रेट्स की ओर से कमला हैरिस लड़ रही है. आपको बता दें कि इस चुनाव का शुरूआत जनवरी, 2024 में हुई थी, जो कल वोटिंग के बाद समाप्त होगी. इसमें लगभग साल भर के करीब का समय लगा क्योंकि अमेरिका में राष्ट्रपति का चुनाव भारत के आम चुनाव (General Election) से बिल्कुल अलग और पेचीदा होता है.
कल होगा इलेक्टोरल कॉलेज का वोटिंग
अमेरिकी संविधान (American's Constitution) के आर्टिकल 2 में राष्ट्रपति चुनाव का जिक्र आता है. राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया हर बार जनवरी महीने में प्राइमरी और कॉकस चुनावों से शुरू होती है. अंतिम चरण में अमेरिकी संविधान में 'इलेक्टोरल कॉलेज' के जरिए अमेरिकी राष्ट्रपति का चयन होता है. इलेक्टोरल कॉलेज की यह लड़ाई दो पार्टियों के उम्मीदवार बीच में होती है. अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक उम्मीदवारों के बीच में होता है.
इलेक्टोरल कॉलेज कैसे बनता है?
अमेरिका के 50 राज्य से 538 इलेक्टर्स चुने जाते हैं. इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है. इनके वोट से जिस उम्मीदवार को 270 वोट या उससे मिल जाता है, उसे अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव का विजेता घोषित किया जाता है. कल, यानि की मंगलवार को इसी इलेक्टोरल कॉलेज का वोटिंग होना है.
वर्तमान से निकलकर अब थोड़ा बेसिक यानि की शुरूआत पर आते हैं. अमेरिका में दो राजनीतिक पार्टी वाली व्यवस्था है, डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन. राष्ट्रपति पद के लिए लड़ाई इन्ही दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच होती है, जो हर चार साल पर होता है. अमेरिका का संविधान प्राइमरी व कॉकस चुनाव को लेकर काफी लिबरल है, जो इस मामले में कोई लिखित निर्देश नहीं देता है. अब प्राइमरी व कॉकस में जनता अपने प्रतिनिधि का चुनाव करती है. कुछ राज्यों में जनता प्राइमरी में, तो कुछ राज्यों में कॉकस के जरिए अपने पार्टी प्रतिनिधि का चयन करती है. पार्टी प्रतिनिधि के तौर पर चुने गए प्रतिनिधि नेशनल कन्वेंशन का चुनाव लड़ते हैं.
कॉकस से व्हाइट हाउस का तक सफर
अमेरिका चुनाव में दो पार्टियों का बोलबाला रहता है. पहले चरण में, प्राइमरी और कॉकस में, पार्टी अपने में से उम्मीदवार तय करती है. प्राइमरी और कॉकस के बाद, नेशनल कन्वेंशन होता है. नेशनल कन्वेशन में पार्टी अपने में से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर आखिरी मुहर लगाती है. इस दौरान दोनों पार्टियों के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार अपने साथ होने वाले उपराष्ट्रपति की घोषणा करते हैं.
तीसरा चरण नवंबर में होता है, जिसमें आम नागरिक राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन करने वाले लोगों के चयन के लिए वोट करते हैं, यानि की लोग अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए वोट करते हैं. इस चुनाव में लोगों के वोट से इलेक्टर्स चुने जाते हैं और ये इलेक्टर्स अगले चरण में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए वोट करते हैं यानि की इलेक्टोरल कॉलेज. इलेक्टोरल कॉलेज का चुनाव कल होना है.
इलेक्टोरल कॉलेज चुनाव के नतीजे आने के बाद चुने हुए इलेक्टर्स, दिसंबर महीने में, अपने-अपने राज्य में इकट्ठा होकर, प्रत्यक्ष रूप से, राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वोट करते हैं, जिसे सबसे 270 या उससे ज्यादा वोट आता है, उसे विजेता घोषित किया जाता है.