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कोर्ट में पेश करने वाले दस्तावेज के साथ छेड़छाड़ पर मिलती है IPC की इन धाराओं के तहत सजा

कानून से झूठ बोलना, या कानूनी प्रक्रिया में इस्तेमाल होने वाले दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करना अपराध है जिसके लिए कानून सख्त सजा देता है.

Written By My Lord Team | Published : February 28, 2023 4:14 AM IST

नई दिल्ली: कानून सच के सिद्धांत पर चलता है अतः देश के हर नागरिक की यह जिम्मेदारी है कि वो कानून का पालन करें क्योंकि वह उनके फायदे के लिए ही बनाए गए हैं. अगर कोई कानून के खिलाफ जाता है और सोचता है कि क्या होगा, कोई सजा नहीं मिलेगी तो ऐसा नहीं है. भारतीय दंड संहिता में बताया गया है की अगर कोई कानून के साथ झूठ फरेब करता है तो वह दोषी माना जाएगा. आईपीसी की धारा 175 और धारा 176 के तहत इन बातों से संबंधित अपराध का जिक्र किया गया है.

IPC की धारा 175

इस धारा के अनुसार, [ दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख] पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को [दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख] पेश करने का लोप; अर्थात जो कोई भी कानूनी रूप से बाध्य है किसी दस्तावेज या अभिलेख को किसी लोक सेवक (Public Servant) को सौंपने के लिए. वह व्यक्ति दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख को गायब करेगा या फिर उसके साथ कोई गड़बड़ करेगा, तो वह कानूनी रूप से दोषी माना जायेगा.

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इस अपराध के लिए दोषी को सादे कारावास के रूप में एक महीने की जेल, या पांच सौ रुपए का जुर्माना, या फिर दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.

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इस धारा के तहत यह भी बताया गया है कि अगर वह दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक अभिलेख किसी न्यायालय में पेश करनी है और उसके साथ कोई छेड़छाड़ या उसे गायब करेगा.तब दोषी को सादे कारावास की जेल जिसकी अवधि छह महीने, या एक हजार रुपए तक का जुर्माना या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.

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उदाहरण के लिए, 'क' जो की एक जिला न्यायालय) के समक्ष दस्तावेज पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध है, उसने दस्तावेजों को गायब कर दिया है. क ने इस धारा में परिभाषित अपराध को अंजाम दिया है.

आईपीसी के अनुसार अगर कोई केवल इस तरह के दस्तावेजों के साथ धारा में परिभाषित अपराध को अंजाम देता है तब ही केवल अपराध नहीं माना जाएगा बल्कि वह व्यक्ति जो कानूनी रूप से आबद्ध है किसी लोक सेवक को कोई सूचना देने के लिए और उसके साथ वह व्यक्ति छेड़छाड़ करता है तब भी वह अपराधी माना जाएगा. जिसके बारे में धारा 176 में बताया गया है.

IPC की धारा 176

इस धारा के अनुसार जो व्यक्ति कानूनी रूप से आबद्ध है किसी लोक सेवक को सुचना या इत्तिला देने के लिए. वह अगर जानबूझकर समय पर सूचना या इत्तिला नहीं देगा, वह सादा कारावास की सजा से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि एक महीने हो सकती है, या पांच सौ रुपए का जुर्माना, या दोनों ही सजा दी जा सकती है.

अथवा, यदि वो सूचना किसी अपराध के किए जाने के विषय में या किसी अपराध को रोकने के लिए है या किसी अपराधी को पकड़ने के लिए है तो जानबूझ कर सूचना को छुपाने या समय पर नहीं देने पर दोषी को छह महीने की सजा, या जुर्माना लगाया जा सकता है, या फिर दोनो सजा दी जा सकती है.

अथवा, यदि कोई कानूनी रूप से आबद्ध व्यक्ति सूचना या इत्तिला, दंड प्रक्रिया संहिता, 1898 (1898 का 5) की धारा 565 की उपधारा (1) के अधीन लोक सेवक को नहीं देता तो वह छह महीने की जेल या एक हजार का जुर्माना, या फिर दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.