Advertisement

भारत में Surrogacy लीगल है? जानें क्या कहता है Surrogacy (Regulation) Act, 2021

Surrogacy Laws in India

ऐसे कई कपल्स या सिंगल लोग हैं जो बिना बच्चा पैदा किये माता-पिता बनते हैं; यह Surrogacy के जरिए हो पाता है। भारत में क्या सरोगेसी लेगल है और इसके बारे में 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम 2021' क्या कहता है, आइए जानते हैं.

Written By Ananya Srivastava | Published : July 20, 2023 5:51 PM IST

नई दिल्ली: ज्यादातर घरों में लोगों की इच्छा होती है कि उनके घर में बच्चों की किलकारियां गूँजें और जहां आमतौर पर घर की महिलायें अपने गर्भ में बच्चे को पालती हैं और फिर जन्म देती हैं वहीं कई स्थितियों में परिवारों में 'सरोगेसी' (Surrogacy) के जरिए भी बच्चों का स्वागत किया जाता है। सरोगेसी आसान भाषा में वो प्रक्रिया है जिसमें एक दूसरी महिला आपके लिए अपने गर्भ में आपका बच्चा पालती है और उसे जन्म देती है। देश में सरोगेसी लीगल है या नहीं और इसको लेकर कानून के प्रावधान क्या कहते हैं, आइए जानते हैं.

सरोगेसी को लेकर पहला विधेयक, 'सरोगेसी विनियमन विधेयक' साल 2016 में लोक सभा में इन्ट्रोड्यूस किया गया था लेकिन यह तब पारित नहीं हो सका। 2019 में यह विधेयक दोबारा इन्ट्रोड्यूस किया गया और फिर यह लोक सभा द्वारा पारित कर दिया गया। 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' (The Surrogacy Regulation Act, 2021) देश में इस प्रक्रिया को लीगल करार देता है और इस प्रक्रिया से जुड़े कुछ अहम बिंदुओं का उल्लेख किया गया है।

Advertisement

भारत में लीगल है सरोगेसी?

'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' में आठ अध्याय और 54 धाराएं हैं; यह भारत में सरोगेसी के विनियमन से संबंधित हैं। इस अधिनियम की धारा दो में 'सरोगेसी' के दो प्रकार के बारे में बताया गया है जिसमें से एक देश में लीगल है और एक नहीं। 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' की धारा 2(b) के तहत 'परोपकारी सरोगेसी' (Altruistic Surrogacy) को परिभाषित किया गया है जिसमें सरोगेट मदर को केवल चिकित्सा व्यय, बीमा कवरेज और अन्य निर्धारित खर्च दिए जाएंगे; उन्हें किसी भी प्रकार का कोई शुल्क, व्यय, फीस, पारिश्रमिक या मौद्रिक प्रोत्साहन नहीं मिलेगा।

Also Read

More News

इस अधिनियम की धारा 2(g) में 'व्यावसायिक सरोगेसी' (Commercial Surrogacy) के बारे में भी समझाया गया है। 'व्यावसायिक सरोगेसी' में सरोगेट मदर को चिकित्सा व्यय, बीमा कवरेज और अन्य निर्धारित खर्च के अलावा भी कई तरह का आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाता है। जैसा इसका नाम है, यह एक तरह से सरोगेसी का व्यवसायीकरण है और यह भारत में अवैध है; ऐसा करने पर कानून में कड़ी सजा निर्धारित की गई है।

Advertisement

सरोगेसी के लिए इच्छुक कपल की पात्रता

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' की धारा 4 के अनुसार यदि कोई कपल सरोगेसी करवाना चाहता है तो महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष के बीच होनी चाहिए और पुरुष 26 से 55 वर्ष के बीच की आयु के होने चाहिए।

दंपत्ति की शादी कम से कम पांच साल पूरे हो जाने चाहिए और दोनों का भारतीय नागरिक होना अनिवार्य है। सरोगेसी के इच्छुक जोड़े का पहले से कोई बच्चा नहीं होना चाहिए (इसमें एक अपवाद है कि यदि बच्चा किसी जानलेवा बीमारी से जूझ रहा है जिसका कोई इलाज नहीं है, तो ऐसे बच्चे के माता-पिता सरोगेसी को चुन सकते हैं)।

क्या है सरोगेट मदर की एलिजिबिलिटी

इस अधिनियम के तहत अगर कोई महिला सरोगेट मदर बनना चाहती हैं तो उनके कुछ मानक हैं, जिनपर उन्हें खरा उतरना होगा। सरोगेट मदर एक शादीशुदा महिला होनी चाहिए जिसकी उम्र 25 साल से 35 साल के बीच होनी चाहिए।

इतना ही नहीं, कोई भी महिला अगर सरोगेट मदर बनना चाहती है, तो उनका अपना भी एक बच्चा होना जरूरी है। मानसिक रोग विशेषज्ञ द्वारा जब एक बार यह प्रमाणित कर दिया जाएगा कि महिला मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तभी वो एक सरोगेट मदर बनने योग्य होंगी।

'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' की धारा 6 में यह बताया गया है कि जो भी महिला सरोगेट मदर बनने को तैयार होंगी, उन्हें इसके लिए अपनी मंजूरी लिखित रूप में देनी होगी और उन्हें यह बताया जाएगा कि बच्चे को जन्म देने के उन्हें क्या साइड-एफेक्ट्स हो सकते हैं।

Surrogacy Mother के अधिकार

आपको बता दें कि 'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' की धारा 7 के तहत जन्म के बाद यदि बच्चे में कोई डिफेक्ट होता है या इच्छुक जोड़ा बच्चे के लिंग से खुश नहीं होते हैं; किसी भी हाल में बच्चे को वो लेने से इनकार (Abandon) नहीं करेंगे। कोई भी शख्स एक सरोगेट मदर से बच्चा गिराने (Abortion) के लिए जबरदस्ती नहीं कैगा।

व्यावसायिक सरोगेसी प्रतिबंधित है और इसलिए सरोगेट मदर के साथ इससे जुड़ी कोई सेवा का फायदा नहीं उठाया जाएगा, सरोगेट मदर के साथ शोषण नहीं किया जाएगा और उनके होने वाले बच्चे को बेचना अपराध है, इसके लिए 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और कम से कम दस साल की जेल की सजा हो सकती है।

सरोगेसी की प्रक्रिया को लेकर जरूरी प्रावधान

'सरोगेसी विनियमन अधिनियम, 2021' की धारा तीन में स्पष्ट किया गया है कि सरोगेसी की प्रक्रिया सिर्फ उन अस्पतालों और क्लिनिक्स में पूरी की जाएगी, जिन्होंने इस अधिनियम के तहत खुद को पंजीकृत करवाया है। जो भी कोई सरोगेसी करेगा, वो इसके योग्य होना चाहिए और एक स्पेशलिस्ट होना चाहिए।

सरोगेसी में अबॉर्शन सिर्फ सरोगेट मदर और संबंधित प्राधिकरण की रजामंदी से होगा। सरोगेसी के लिए किसी भी हाल में मानव भ्रूण को प्रिजर्व करके नहीं रखा जाएगा।