Cyber World में प्रतिबंधित सामग्री से रहें दूर! डाउनलोड किया तो जाना पड़ सकता है जेल
नई दिल्ली: आज इंटरनेट पर दुनिया कुछ ज्यादा ही निर्भर होती जा रही है। हमें कुछ भी सर्च करना होता है तो सबसे पहले इंटरनेट की ही मदद लेते हैं और परिणाम कुछ ही सेकेंडस् में मिल जाता है। आज के वक्त में इंटरनेट हर जगह मौजूद है, लेकिन इंटरनेट साक्षरता दर बेहद कम है। कम लोंगों को मालूम है कि आखिर मोबाइल पर क्या सर्च क्या करना है और क्या नहीं ?
साथ ही, इस जानकारी को भी दिखाता है कि हम इंटरनेट पर क्या अपलोड या फिर क्या डाउनलोड कर सकते है। क्योंकि अनजाने में हमसे कुछ ऐसा भी हो सकता है जो अपराध की श्रेणी में आता हो। ऐसे में आपको पता होना चाहिए कि क्या चीजें सर्च करनी है, या किस तरह की जानकारी या डाउनलोड ,अपलोड करना जुर्म के दायरे में आता है, तो आइये जानते है इसके बारें में विस्तार से।
ऐसी चीज़ खोजना जो प्रतिबंधित हो
अगर आप ऐसी सामग्री /चीज़ खोजते है जो कि विधि द्वारा निषिद्ध है एंव जिसके लिए कठोर कारावास या भारी जु्र्माना भी लगाया जा सकता है, तो फिर ऐसी चीज /सामग्री सर्च करने से हमें बचना चाहिए।
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Pornography: पोर्नोग्राफी को शॉर्ट में पॉर्न कहते हैं. ऐसे वीडियो, मैग्जीन, बुक्स या अन्य सामग्री जिनमें सेक्शुअल कंटेंट होता है और जिनसे व्यक्ति की सेक्स की भावना बढ़ती है. पॉर्न वीडियो को आम बोलचाल में 'ब्लू फिल्म' भी कहते हैं. जिन लोगों को पॉर्न या ब्लू फिल्म बोलने में हिचक होती है, वो इन्हें 'ऐसी-वैसी' फिल्में कहते हैं.
पॉर्न को रोकने के लिए भारत में एंटी पोर्नोग्राफी लॉ है. पॉर्न से जुड़े मामलों में आईटी (संशोधन) कानून 2008 की धारा 67(ए) और IPC की धारा 292, 293, 294, 500, 506 और 509 के अंतर्गत सजा का प्रावधान है.
"IT ऐक्ट की धारा 67 ए के तहत अपराध की गंभीरता को देखते हुए पहले अपराध के लिए 5 साल तक जेल की सज़ा या/और दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है. दूसरी बार यही अपराध करने पर जेल की सजा की अवधि बढ़कर 7 साल हो जाती है. जुर्माना 10 लाख ही रहता है."
IT ऐक्ट की धारा 67ए और 67बी गैर-ज़मानती हैं. ये भी बता दें कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े मामले में POCSO कानून के तहत भी कार्रवाई होती है.
Sedition- IPC धारा 124 A: इस कानून के मुताबिक, यदि कोई व्यक्ति सरकार-विरोधी सामग्री लिखता या बोलता है, ऐसी सामग्री का समर्थन करता है, राष्ट्रीय चिन्हों का अपमान करने का प्रयास करता है और साथ ही मे संविधान को नीचा दिखाता है, या फिर देश विरोधी नारेबाजी करता है, तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए में राजद्रोह का मामला दर्ज किये जाने का प्रावधान रखा गया है।
Dark Web
डार्क वेब इंटरनेट की दुनिया का वो हिस्सा है, जहां तक आपका सर्च इंजन नहीं पहुंचता है. इन्हें स्पेशल वेब ब्राउजर से एक्सेस किया जा सकता है. इसका पोर्शन छोटा होता है. Kaspersky के मुताबिक इसे डीप वेब का हिस्सा माना जाता है.
डार्क वेब का इस्तेमाल करना जब तक गैर-कानूनी नहीं है जब तक आप कोई अवैध काम को अंजाम न दे रहे हों। डार्क वेब पर कम से कम 160 से ज्यादा ऐसी वेबसाइट हैं जहां पर अवैध ड्रग्स, हथियार, चाइल्ड पॉर्न, फर्जी पासपोर्ट, पर्सनल पासवर्ड, हैकर्स आदि मिलते हैं। हाल ही में सरकारी एजेंसिों ने कई वेबसाइट को बंद करवाया है जिनमें सिल्क रोड, अल्फाबे और हंसा, प्रोजेक्ट ब्लैक फ्लैग, ब्लैक मार्केट रीलोडेड आदि शामिल हैं।
डार्क वेब एक्सेस करने के बाद आपका कंप्यूटर हैक हो सकता है, अवैध धंधे के चक्कर में आप गिरफ्तार हो सकते हैं, आपके दिमाग पर भी गहरा प्रभाव पड़ सकता है आदि। इसलिए डार्क वेब का इस्तेमाल करने से बचें क्योंकि इस दुनिया में प्रवेश करना और बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है।
Illegal content डाउनलोड करना
किसी भी गैरकानूनी सामग्री, जैसे क्रैक या पायरेटेड सॉफ़्टवेयर, म्यूजिक, फ़िल्में, को डाउनलोड करना अवैध हो सकता है। अगर आप फिल्मों की पायरेसी करते हैं। या फिर पाइरेसी फिल्मों को ऑनलाइन अपलोड या फिर डाउनलोड करते हैं, तो आप सिनेमेटोग्राफी एक्ट 1952 के नियम उल्लंघन के दोषी पाए जाएंगे। इसके लिए न्यूनतम 3 साल औक 10 लाख रुपये जुर्माने का प्रावधान है।
Cyber Crime
साइबर क्राइम से हम सभी प्रभावित हो सकते हैं, क्योंकि हमारी पर्सनल, प्रोफेशनल और सरकारी जानकारी ऑनलाइन सुरक्षित होने की ज़रुरत है। साइबर क्राइम से हमें प्राइवेसी का उल्लंघन, पैसों का चोरी, मानहानि, धमकी, हत्या, आतंकवाद, राष्ट्रीय सुरक्षा का ख़तरा आदि का सामना करना पड़ सकता है।
इंटरनेट धोखाधड़ी
ये एक साइबर अपराध है जिसमें अपराधी लोगों को वेबसाइट, ईमेल, सोशल मीडिया या अन्य ऑनलाइन माध्यम के माध्यम से धोखा देकर उनसे पैसे, व्यक्तिगत जानकारी, या अन्य महत्वपूर्ण जानकारी चुरा सकते हैं।
Fishing
फिशिंग एक चालाकापनपूर्ण साइबर अपराध है जहां अपराधी व्यक्ति धोखा देकर उपयोगकर्ता की संवेदनशील जानकारी को प्राप्त करने की कोशिश करता है। उन्हें आमतौर पर फेक ईमेल, आकर्षक या चित्रित वेबसाइट्स, सोशल मीडिया मेसेज़ या अन्य ऑनलाइन संदेशों का उपयोग करके आपकी आपातकालीन जानकारी को हस्तांतरित करने का प्रयास किया जाता है।
Malware
मैलवेयर साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किया जाने वाला विषयक सॉफ़्टवेयर है जो उपयोगकर्ताओं (Users) के कंप्यूटर सिस्टम में नुकसान पहुंचाने और उनकी जानकारी चोरी करने के लिए तैयार किया जाता है। यह वायरस, ट्रोजन, रूटकिट, स्पाईवेयर और अन्य क्षतिकरक सॉफ़्टवेयर के रूप में प्रस्तुत हो सकता है।
भारत में, साइबर क्राइम की सजा Information Technology Act , 2000 (IT Act) द्वारा निर्धारित की जाती है। यह अधिनियम विभिन्न प्रकार के साइबर अपराधों के लिए विभिन्न दंड प्रावधानों को शामिल करता है। उदाहरण स्वरूप, हैकिंग, डेटा चोरी, वायरस और मालवेयर वितरण, साइबर धोखाधड़ी, और अन्य इंटरनेट-संबंधी अपराधों के लिए व्यक्ति को जेल की सजा और/या जुर्माना का सामना करना पड़ सकता है।