जाली नोटों की तस्करी एक गंभीर अपराध है, जानिये सजा का प्राविधान
नई दिल्ली: देश में जाली नोटों (Counterfeit Notes) के रैकेट के भंडाफोड़ की अक्सर खबरें सुनाई पड़ती हैं. हाल ही में एक मामला सामने आया है जिसमें की नकली नोट गैंग के दो गुर्गों को एसटीएफ ने छिवकी रेलवे स्टेशन (प्रयागराज) के बाहर से गिरफ्तार किया। इनके पास से दो हजार के 170 नकली नोट बरामद हुए जो 3.40 लाख रुपये थे। पूछताछ में पता चला कि जाली नोट वह पश्चिम बंगाल से लेकर आए थे.
खबरों के मुताबिक, नकली करेंसी की तस्करी करने वाले गिरोह के खिलाफ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई की है. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नकली करेंसी की तस्करी करने वाले गिरोह के दो तस्करों को एसटीएफ के प्रयागराज इकाई ने गिरफ्तार किया है. पकड़े गए आरोपी जाली करेंसी सप्लाई करने वाले पश्चिम बंगाल के गिरोह से जुड़़े हैं.
बता दे की जाली नोटों से देश का आर्थिक ढांचा प्रभावित होता है, साथ ही, यह महंगाई पर भी असर डालता है क्योंकि बैंकिंग सिस्टम में कैश फ्लो बढ़ता है. जाली नोटों से देश में गैरकानूनी लेनदेन (ट्रांजैक्शन) में बढ़ोतरी आती है क्योंकि ऐसे ट्रांजैक्शन वैध करेंसी का इस्तेमाल नहीं होता है.
इसीलिए, इस आर्थिक अपराध को रोकने के भारतीय दंड संहिता में सजा का प्राविधान सुनिश्चित किया गया है.
भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 489 (A)
यह धारा कहती है कि जो कोई किसी करेन्सी नोट या बैंक नोट का कूटकरण करेगा, या जानते हुए करेन्सी नोट या बैंक नोट के कूटकरण की प्रक्रिया के किसी भाग को सम्पादित करेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा.
धारा 489 (B)
जो कोई किसी कूटरचित वा कूटकृत करेन्सी नोट या बैंक नोट को, यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है. किसी अन्य व्यक्ति को बेचेगा या उससे खरीदेगा या प्राप्त करेगा या अन्यथा उसका दुर्व्यापार करेगा या असली के रूप में उसे उपयोग में लाएगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 489 (C)
जो कोई किसी कूटरचित या कूटकृत करेन्सी नोट या बैंक नोट को यह जानते हुए या विश्वास करने का कारण रखते हुए कि वह कूटरचित या कूटकृत है और यह आशय रखते हुए कि उसे असली के रूप उपयोग में लाए या वह असली के रूप में उपयोग में लाई जा सके, अपने कब्जे में रखेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि सात वर्ष तक की हो सकेगी या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा।
धारा 489 (D)
इस धारा में यह बताया गया हा कि जो कोई किसी मशीनरी, उपकरण या सामग्री को किसी करेन्सी नोट या बैंक नोट की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के प्रयोजन से, या यह जानते हुए या विश्वास करने के कारण रखते हुए कि वह किसी करेन्सी नोट या बैंक नोट की कूटरचना या कूटकरण के लिए उपयोग में लाए जाने के लिए आशयित है, बनाएगा, या बनाने की प्रक्रिया के किसी भाग का संपादन करेगा या खरीदेगा. या बेचेगा, या व्ययनित करेगा या अपने कब्जे में रखेगा, वह आजीवन कारावास से, या दोनों में से किसी भांति के कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय है.
धारा 489 (E) इस धारा में यह कहा गया है कि -
(1) जो कोई किसी दस्तावेज को, जो करेन्सी नोट या बैंक नोट होना तात्पर्यित हो या करेन्सी नोट या बैंक नोट के किसी भी प्रकार सदृश हो या इतने निकटतः सदृश हो कि प्रवंचना हो जाना प्रकल्पित हो, रचेगा या रचवाएगा या किसी भी प्रयोजन के लिए उपयोग में लाएगा या किसी व्यक्ति को परिदत्त करेगा, वह जुर्माने से, जो एक सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।
(2) यदि कोई व्यक्ति जिसका नाम ऐसी दस्तावेज पर हो, जिसकी रचना उपधारा (1) के अधीन अपराध है, किसी पुलिस आफिसर को उस व्यक्ति का नाम और पता, जिसके द्वारा वह मुद्रित की गई थी या अन्यथा रची गई थी, बताने के लिए अपेक्षित किए जाने पर उसे विधिपूर्ण प्रतिहेतु के बिना बताने से इंकार करेगा, वह जुर्माने से, जो दो सौ रुपए तक का हो सकेगा, दण्डित किया जाएगा।
(3) जहां कि किसी ऐसी दस्तावेज पर जिसके बारे में किसी व्यक्ति पर उपधारा (1) के अधीन अपराध का आरोप लगाया गया हो, या किसी अन्य दस्तावेज पर, जो उस दस्तावेज के सम्बन्ध में उपयोग में लाई गई हो, या वितरित की गई हो, किसी व्यक्ति का नाम हो, वहां जब तक तत्प्रतिकूल साबित न कर दिया जाए, यह उपधारणा की जा सकेगी कि उसी व्यक्ति ने वह दस्तावेज रचवाई है।
अतः नकली नोटों को चलाने का प्रयास न करें. अगर आपको नकली नोट मिलते हैं तो इसे छुपाने या फिर बाजार में चलाने का प्रयास भी न करें.
गौरतलब है कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने नोटबंदी (Demonetizations) का ऐलान किया था तो इसका बड़ा मकसद ये था कि देश से जाली नोटोंका सफाया हो जाएगा. लेकिन नोटबंदी के सात सालों बाद भी देश के बैंकिंग सिस्टम में जाली नोटों का मिलना बदस्तूर जारी है, जो की आरबीआई (RBI) के साथ साथ सरकार के लिए भी चिंता का विषय है.