सेम सेक्स कपल को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर मिलती है सुरक्षा? जानें क्या कहता है कानून
अनन्या श्रीवास्तव
नई दिल्ली: पिछले कई सालों से भारत में समलैंगिकता और समलैंगिक जोड़ियों के अधिकारों को लेकर लड़ाई चल रही है। भारतीय दंड संहिता की धारा 377 (Section 377 of The Indian Penal Code) के डीक्रिमिनलाइज होने के बाद, क्या लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले सेम-सेक्स कपल को सुरक्षा मिलती है? जानिए कानून इस बारे में क्या कहता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (The Indian Evidence Act 1872) की धारा 50 और धारा 114 के तहत 'विवाह का अनुमान' (Presumption of Marriage) की अवधारणा है जिसे लिव-इन रिलेशनशिप माना जा सकता है। इस धारा के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में भी कई मामलों में महिलाओं को घरेलू हिंसा जैसे मुद्दों में सुरक्षा दी गई है।
Also Read
- TASMAC Corruption Case: फिल्म निर्माता आकाश भास्करन को मद्रास हाई कोर्ट से राहत, ईडी ने वापस लिया नोटिस, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स लौटाने पर जताई सहमति
- लैंडलॉर्ड-टेनेंट का विवाद सिविल नेचर का, पुलिस इसमें पुलिस नहीं कर सकती हस्तक्षेप, जानें जम्मू एंड कश्मीर हाईकोर्ट ने क्यों कहा ऐसा
- 'शव के लिए अधिकारियों के पास जाएं', Andhra HC ने मृत माओवादियों के अंतिम संस्कार की अनुमति दी
क्या लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकती हैं समलैंगिक जोड़ियां?
6 सितंबर, 2018 के दिन, भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को डीक्रिमिनलाइज कर दिया गया था जिससे समलैंगिक जोड़ियों को शारीरिक संबंध बनाने की आजादी दे दी गई थी।
ये कपल्स इस धारा के डीक्रिमिनलाइज होने के बाद लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं। संवैधानिक तौर पर इन जोड़ियों को बहुत अधिकार और सुरक्षा नहीं दिए गए हैं लेकिन कई अदालतों ने अलग-अलग मामलों में इन कपल्स को सुरक्षा प्रदान की है।
कई HCs ने सेम सेक्स कपल्स के पक्ष में सुनाए फैसले
जैसा कि अभी बताया, संवैधानिक तौर पर तो सेम-सेक्स कपल्स को ज्यादा अधिकार नहीं दिए गए हैं लेकिन अदालतों ने इनसे जुड़े मामलों में, इनके हित में बड़े फैसले सुनाए हैं।
उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) ने जून, 2020 में यह कहा कि भारत में सेम-सेक्स कपल्स के लिए लिव-इन रिलेशनशिप में रहना गैर-कानूनी नहीं है। उनका यह कहना था कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी को यह अधिकार है कि वो यह समझ सकें कि उनकी सेक्शूएलिटी क्या है और अपनी सेक्शुअल चॉइस के पार्टनर को चुन सकें।
अगस्त, 2020 में ओडिशा हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया था कि 'जीने' और 'समानता' (Right to Life and Equality) के संवैधानिक अधिकारों के तहत सेम-सेक्स लिव-इन रिलेशनशिप्स को भी मान्यता मिलती है। यह कहा गया था कि सेम-सेक्स लिव-इन रिलेशनशिप्स में भी महिलाएं 'घरेलू हिंसा से महिला संरक्षण अधिनियम 2005' (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) के तहत संरक्षित हैं।
गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) ने जून, 2020 में एक याचिका पर यह आदेश जारी किया था कि पुलिस साथ रह रहे एक सेम सेक्स कपल को प्रोटेक्शन दे क्योंकि उन्हें अपने परिवार वालों से डर लग रहा था; वो सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे थे।
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय (Punjab and Haryana High Court) ने जुलाई, 2020 में कहा था कि सेम-सेक्स कपल्स लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकते हैं और उनकी जान और उनकी स्वतंत्रता को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संरक्षित रखा जाएगा।
हाल ही में, दिल्ली हाईकोर्ट ने भी एक हिन्दू-मुस्लिम सेम-सेक्स कपल को पुलिस प्रोटेक्शन देने का आदेश जारी किया है क्योंकि याचिकाकर्ता के हिसाब से लड़की का परिवार उनके रिश्ते के खिलाफ है और उन्हें धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के डीक्रिमिनलाइज होने के बाद से लोगों में सेम-सेक्स कपल्स के लिए स्वीकृति और उनके प्रति सपोर्ट तो जरूर बढ़ा है लेकिन अभी कोई खास संवैधानिक अधिकार नहीं दिए गए हैं। सेम-सेक्स कपल्स की शादी का मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है और संवैधानिक पीठ ने फिलहाल इस पर ऑर्डर रिजर्व करके रखा है।