सार्वजनिक झरने या तालाब को गंदा करना है अपराध, जानिए क्या हैं सजा के प्रावधान
नई दिल्ली: प्रत्येक मनुष्य के जीवन के लिए तीन सबसे महत्वपूर्ण संसाधन हवा, पानी और जमीन है. इन तीन संसाधनों के बिना मनुष्य का अस्तित्व नहीं हो सकता. इन संसाधनो की सुरक्षा और संरक्षण की जिम्मेदारी विश्व के सभी देशों की खुद की है.
इसी को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने भी महत्वपूर्ण संसाधनों की रक्षा करने के लिए कई प्रावधान किए है. खासतौर से जल के संरक्षण को लेकर भी देश में कई कानून बनाए गए है.
जो भी व्यक्ति अपने कार्यों के चलते किसी भी सार्वजनिक झरने या जलाशय को गंदा करता है या वातावरण को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बनाता है, तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्यवाही करने के लिए भारतीय दंड संहिता में प्रावधान बनाए गए हैं.
IPC की धारा 277
IPC की धारा 277 के अनुसार, जो कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी सार्वजनिक झरने या जलाशय के पानी को दूषित या गंदा करता है और इसके पीछे उस व्यक्ति का उद्देश्य यह होता है कि वह पानी उस कार्य के लिए ना उपयोग किया जा सके, जिसके लिए यह आमतौर पर उपयोग किया जाता है.
तो ऐसे में दोषी पाए जाने पर ऐसे व्यक्ति को 3 महीने के कारावास या 500 रुपये तक के जुर्माने या दोनों कि सज़ा हो सकती है.
इस धारा में 'भ्रष्ट या अशुद्ध' शब्दों का प्रयोग, किसी भी सार्वजनिक जलाशय के पानी की स्थिति को शारीरिक रूप से बिगाड़ने या खराब करने के कार्य को दर्शाता है. इस प्रकार सार्वजनिक तालाब में स्नान करना इस धारा के तहत अपराध होगा.
वातावरण को हानिकारक बनाना
भारतीय दंड संहिता की धारा 278 के मुताबिक जो कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी भी स्थान पर वातावरण को दूषित करता है. जिससे वहां रहने वाले आम लोगो या पड़ोस में व्यवसाय करने वाले या सार्वजनिक रास्ते से गुजरने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो, तो ऐसे व्यक्ति के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी. दोषी पाए जाने पर व्यक्ति पर 500 रुपये तक का ज़ुर्माना लगाया जा सकताा है.
के रामकृष्णन और अन्य बनाम केरल राज्य और अन्य (1999) के मामले में, यह फैसला दिया गया था कि सार्वजनिक स्थान पर किसी भी रूप में तम्बाकू का धूम्रपान आसपास के लोगों के स्वास्थ्य के लिए वातावरण को हानिकारक बनाता है. इसलिए, सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान आईपीसी की धारा 278 को आकर्षित करता है और व्यक्ति के खिलाफ इस धारा के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए.
अपराध की श्रेणी
भारतीय दंड संहिता की धारा 277 और 278 के अंतर्गत परिभाषित अपराध, जमानती और असंज्ञेय अपराध है. इस तरह के अपराध में अपराधी को बिना वारंट (Warrant) के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. इन अपराधों में समझौता नहीं किया जा सकता है.