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अब Betting Apps पर लगेगी लगाम, जानें कैसे विदेश में गिरफ्तार किए जाते हैं भारतीय भगोड़े?

सांकेतिक चित्र

दुबई पुलिस ने सौरभ को हिरासत में लिया है और अब वह दुबई से कहीं और भाग नहीं सकता है. अब भारत को उससे खिलाफ जरूरी दस्तावेज भेजने होंगे.

Written By Satyam Kumar | Published : October 12, 2024 1:14 PM IST

महादेव बेटिंग ऐप मामले में मुख्य आरोपी सौरभ चंद्राकर को दुबई में गिरफ्तार कर लिया गया है साथ ही उसे भारत लाने की कानूनी प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है. दुबई पुलिस ने सौरभ को हिरासत में लिया है और अब वह दुबई से कहीं और भाग नहीं सकता है. अब भारत को उससे खिलाफ जरूरी दस्तावेज भेजने होंगे. दस्तावेजों के आधार पर दुबई की अदालत तय करेगी कि उसे भारत भेजा जाए या नही. इस मामले पर प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व सहायक निदेशक अनिल रावल ने न्यूज एजेंसी IANS N  से बात की है, आइये जानते हैं उन्होंने इस मुद्दे पर क्या-क्या कहा...

कैसे काम करता है इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस

प्रवर्तन निदेशालय के पूर्व सहायक निदेशक अनिल रावल ने बताया कि अगर कोई भी व्यक्ति अपराध करके विदेश भाग जाता है तो उसे वापस लाने की व्यवस्था है जो इंटरपोल के माध्यम से होती है. इंटरपोल से, जो पुलिस संगठन की एक संस्था है, करीब 150 देश जुड़े हुए हैं. वे एक-दूसरे की मदद करने के लिए इसमें काम करते हैं. इसमें जब किसी व्यक्ति को विदेश से वापस लाना होता है तो उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करना होता है. रेड कॉर्नर नोटिस सभी देशों में जाता है. अगर वह व्यक्ति किसी देश में है तो उस देश की पुलिस उस व्यक्ति को हिरासत में ले लेती है. अनिल रावल ने बताया कि इस मामले में जैसा सुनने में आ रहा है कि सौरभ चंद्राकर के खिलाफ ईडी ने रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था और वह दुबई के अंदर था. जानकारी मिली है कि वहां की पुलिस ने उसे वहीं रोक लिया है और हिरासत में ले लिया है. अब भारत सरकार को ईडी के माध्यम से सारे दस्तावेज भेजने होंगे कि उसे भारत में पेश करना या लाना क्यों जरूरी है। यहां से सारे दस्तावेज तैयार करके दुबई पुलिस को भेजे जाएंगे. इसमें यह भी लिखा जाएगा कि उसके खिलाफ कौन से आपराधिक मामले हैं, इसके हमारे पास क्या सबूत हैं. ये सारे दस्तावेज एक महीने के अंदर तैयार करके वहां भेज दिए जाएंगे. दुबई पुलिस उसे तब तक वहीं रखेगी और वह कहीं नहीं जा सकता। इन दस्तावेजों के आधार पर उसे वहां की अदालत में पेश किया जाएगा। वहां की अदालत इस पर विचार करेगी और तय करेगी कि उसे भारत भेजा जाए या नहीं. उसके बाद उसे भारत भेजा जाएगा.

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सट्टेबाजी एप को कैसे रोकेगा भारत?

इस पर अनिल रावल ने बताया कि इस समय सभी सट्टेबाज ऐप के जरिए काम कर रहे हैं. वे पेमेंट गेटवे का इस्तेमाल कर रहे हैं. आरबीआई और भारत की अलग-अलग एजेंसियां इस मामले में बहुत सतर्क हो गई हैं और इस बात पर ध्यान दे रही हैं कि अगर उन्हें ऐसी कोई हरकत नजर आती है तो वे उसे तुरंत रोक दें और फिर वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) को सूचित करें. यह एजेंसी सभी धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर भी शिकंजा कस रही है. इस केस की जांच को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे देशों या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ कैसे काम किया जाएगा और सहयोग लिया जाएगा, इस पर उन्होंने कहा कि बिना किसी देश के सहयोग के यह सफलता नहीं मिल सकती. इसमें दो देशों के बीच के रिश्ते बहुत जरूरी होते हैं। इसलिए जब से यह (भाजपा) सरकार आई है, हमारी साख विदेशों में बढ़ी है. इसलिए हमें इन देशों से ज्यादा सहयोग मिल रहा है. दूसरा इस सहयोग के लिए आपस में द्विपक्षीय टीटीएस किया जाता है, जिसे हम एमएलटी कहते हैं. एक विक्टेबल लीगल असिस्टेंट ईटी टीटी होता है. इससे आपस में सहयोग करना आसान हो जाता है. इसके अलावा एफटीएफ ने भारत को काफी अच्छी रेटिंग दी है. एफटीएफ की भी गाइडलाइन है कि सभी देशों को आपराधिक मामलों में सहयोग करना चाहिए, जिसमें यह केस भी शामिल है.

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(खबर IANS इनपुट के आधार पर लिखी गई है.)

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