Advertisement

किसी भी महिला या बच्चे को रात में नहीं उतारा जा सकता ट्रेन से, क्या आप जानते है भारतीय रेलवे का यह नियम

भारतीय रेलवे को दुनिया की सबसे विश्वनिय रेलवे में शामिल किया जाता है और भारतीय रेलवे ने इस विश्वास को बनाए रखने के लिए रेलवे अधिनियम में कई ऐसे प्रावधान किए है.

Written By My Lord Team | Published : March 10, 2023 6:36 AM IST

नई दिल्ली: हमारे देश का संविधान देश के प्रत्येक नागरिकों को कई महत्वपूर्ण अधिकार देता है. तो वही देश की संसद ने ऐसे कानून बनाए है जिनके जरिए देश आधी आबादी यानी महिला और बच्चो को विशेष अधिकार दिए हैं.

ऐसा ही एक कानून है भारतीय रेल अधिनियम. इस अधिनियम के जरिए दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भारतीय रेलवे में अनुशासन और कानून व्यवस्था बनाए रखने का प्रयास किया गया है.

Advertisement

रेल अधिनियम 1989 के तहत रेल और रेल यात्रा से संबंधित तमाम नियमों और कानून के बारे में बताया गया है साथ ही अगर कोई रेलवे कर्मचारी के कामों में बाधा बनता है तो क्या सजा मिलेगी उसके बारे में भी बताया गया है. इतना ही नहीं अगर यात्री बिना टिकट के चढ़ जाता तो उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी इसके बारे मेें भी प्रावधान किया गया है.

Also Read

More News

अकेली महिला के लिए विशेष प्रावधान

इसी अधिनियम की धारा 139 देश की महिलाओं और बच्चो को भी एक विशेष अधिकार देती है. इस धारा के अनुसार ये कानून उन महिलाओं और बच्चों को सुरक्षा और सरंक्षण प्रदान करता है जो रात में भारतीय रेल के जरिए देश में कही भी अकेले यात्रा कर रही है.

Advertisement

इस धारा के तहत देश में अकेली या बच्चों के साथ अकेले यात्रा करने वाली महिलाओं को विशेष अधिकार के तहत उसे रात में ट्रेन से उतारा नही जा सकता है.

इस धारा में यह भी प्रावधान किया गया है कि बिना टिकट पाए जाने पर महिला या बच्चें को किस स्थिती में और कहा पर उतारा जा सकता है.

यानी रात में अगर कोई महिला या बालक अकेले बिना टिकट के रेल से सफर कर रहे हैं, यदि उनके साथ कोई पुरुष यात्री नहीं है तो,उस स्टेशन पर जहां से उन्होने अपनी यात्रा प्रारंभ की है या किसी जंक्शन या टर्मिनल स्टेशन पर या सिविल जिले के मुख्यालय में स्थित स्टेशन पर और केवल दिन में ही रेल से उतारा या हटाया जा सकता है.

​रेल पास या टिकट ना भी हो..

यानि किसी भी ट्रेन में TTE रात में ट्रेन से महिला या बालक को उतरने का आदेश नहीं दे सकता है. फिर चाहे उसके पास कोई रेल पास या टिकट हो या ना भी हो.

भारतीय रेल में एक महिला को तभी जाने के लिए कहा जा सकता है जब अधिकारियों के पास एक महिला कांस्टेबल हो उसके साथ भेजने को.

इतना ही नहीं एक अकेली महिला या बालक को रेल की एक बोगी से किसी दूसरे बोगी में भी जाने का आदेश भी TTE नहीं दे सकता है.

बच्चों के लिए एक और कानून

भारतीय रेलवे को दुनिया की सबसे विश्वनिय रेलवे में शामिल किया जाता है और भारतीय रेलवे इस विश्वास को बनाए रखने के लिए रेलवे अधिनियम में कई ऐसे प्रावधान किए गए है.

ऐसा ही एक प्रावधान भारतीय रेलवे में सफर करने वाले 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के लिए किया गया है. रेलवे अधिनियम की धारा 162 के अनुसार वह लड़का जिसकी उम्र 12 साल से कम है वो महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे में यात्रा कर सकता है. इन डिब्बो से उन्हे ना ही कोई दूसरा यात्री या टीटीई नहीं उतार सकता है.

पुरूषों के लिए सजा

भारतीय रेलवे में जहां धारा 162 में 12 वर्ष तक के बच्चें को विशेष अधिकार दिया गया है, वही पुरूषो के लिए दण्ड का प्रावधान ​भी किया गया हैं. अगर कोई पुरुष जानबूझकर किसी महिला डिब्बे में यात्रा करता है तो वह सजा का पात्र होगा और उसे कानूनी रूप से दंडित किया जा सकता है.

इस अपराध के लिए उस पर रेलवे अधिकारियों द्वारा पांच सौ रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है.साथ ही उस ट्रेन से उतारा जा सकता है.