मृत्य व्यक्ति की संपत्ति का दुरूपयोग या कब्ज़ा करने पर हो सकती है 7 साल की सज़ा
नई दिल्ली: ऐसा नहीं है की कानून सिर्फ जीवित व्यक्तियों के अधिकार को ही सुरक्षित रखता है बल्कि यह मृत लोगों के अधिकारों को भी उसी तरीके सुरक्षा प्रदान करता है. अगर एक व्यक्ति किसी संपत्ति का मालिक है तो उसकी मृत्यु हो जाने पर उस संपत्ति पर उसका अधिकार समाप्त नहीं हो जाता यानी कोई दूसरा व्यक्ति उस संपत्ति का तब तक उपयोग नहीं कर सकता जब तक कि वसीयत या किसी अन्य माध्यम से उसके नाम ना किया गया हो.
यदि कोई व्यक्ति बेईमानी से या गलत तरीके से किसी संपत्ति को अपने काम के लिए उपयोग करता है, यह जानते हुए की वह संपत्ति किसी मृत व्यक्ति की थी, तो वह IPC की धारा 404 के तहत दण्डित किया जा सकता है.
हालांकि एक बात का ध्यान रखना चाहिए कि जब किसी के द्वारा इसका दुरुपयोग किया जाता है तो यह उस व्यक्ति के कब्जे में नहीं होना चाहिए जो कानूनी रूप से संपत्ति का हकदार है.
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धारा में 'संपत्ति' शब्द का प्रयोग किया गया है. यानी चल और अचल दोनों तरह की संपत्ति इसके दायरे में आती है, लेकिन इस बिंदु पर विभिन्न न्यायालयों में मतभेद है. कुछ उच्च न्यायालयों ने कहा है कि इस खंड में केवल चल संपत्ति शामिल है जबकि अन्य उच्च न्यायालयों का मत है कि इसमें अचल संपत्ति भी शामिल है.
अपराध मानने के लिए क्या आवश्यक हैं ?
कुछ आवश्यक चीजें हैं जो यदि मौजूद नहीं हैं तो आरोपी को IPC की धारा 404 के तहत उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है. इस धारा के लिए आवश्यक है कि अभियुक्त के पास बेईमानी का इरादा होना चाहिए, और उस बेईमानी के इरादे साथ यह आवश्यक है कि वह संपत्ति का दुरुपयोग करे या अपने लिए इसका उपयोग करे.
साथ ही जब कोई व्यक्ति किसी मृत्य व्यक्ति की संपत्ति को अपने लिए इस्तेमाल करता है तो उस समय उसे यह भी ज्ञान होना चाहिए कि यह संपत्ति मृत व्यक्ति के कब्जे में थी और यह कानूनी रूप से इसके के कब्जे में नहीं आई है. यदि अभियुक्त मृतक की मृत्यु के समय उसका नौकर था तो यह धारा अधिक कठोर दंड का भी प्रावधान करती है.
इसके अलावा यह भी आवश्यक है कि संपत्ति एक मृत व्यक्ति की होनी चाहिए न कि उस व्यक्ति की जो अभी जीवित है ताकि इस धारा को लागू किया जा सके.
मृत व्यक्ति से आभूषण उतारना भी एक अपराध है
यदि कोई व्यक्ति किसी मृत व्यक्ति के आभूषणों को उपयोग करने के बेईमानी के इरादे से उतारता है तो वह भी इस धारा के तहत उत्तरदायी होगा. ऐसा इसलिए है क्योंकि IPC 1860 के अन्य धाराओं में "व्यक्तियों" का उल्लेख करते हैं और एक मृत शरीर एक व्यक्ति नहीं है इसलिए केवल धारा IPC की धारा 404 में इस तरह के कार्य के खिलाफ सजा का प्रावधान है जिसके तहत अजनबी या उस व्यक्ति का कोई रिश्तेदार जो आभूषणों को मृत व्यक्ति से लेता है और इसे अपने उद्देश्यों के लिए उपयोग करता है.
क्या है सजा के प्रावधान?
एक व्यक्ति जो इस धारा के तहत दोषी पाया जाता है उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा दी जाएगी जो तीन साल तक बढ़ सकती है और जुर्माना के लिए भी उत्तरदायी होगा; और यदि ऐसे व्यक्ति की मृत्यु के समय अपराधी अगर उसके द्वारा क्लर्क या नौकर के रूप में नियोजित किया गया था, तो कारावास सात वर्ष तक बढ़ सकती है.
साथ ही बता दे की यह अपराध गैर-संज्ञेय, जमानती और शमनीय हैं, जिनका परीक्षण प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट द्वारा किया जा सकता है.
यह अपराध उन अपराधों में से एक है जिसके लिए पुलिस किसी आरोपी को बिना मजिस्ट्रेट के वारंट के गिरफ्तार कर सकती है. वैसे यह जमानती अपराध है जिसका अर्थ है कि मुकदमे के लंबित रहने के दौरान व्यक्ति को जमानत पाने का अधिकार है.