पहचान की चोरी और मानहानि के खेल से बचें, ये हरकतें आपको पंहुचा देंगी सलाखों के पीछे
नई दिल्ली: अपने फायदे के लिए अगर कोई किसी के पहचान को चुरा कर किसी अपराध को अंजाम दे रहा है तो ये एक अपराध है जिसके लिए कानून दोषी को कभी माफ नहीं करती है. हालांकि ऐसे कई मामले अक्सर आते रहते हैं.
हाल ही में जम्मू- कश्मीर से एक ऐसा ही मामले सामने आया है जहां गुजरात का एक व्यक्ति खुद को पीएमओ का अधिकारी बता कर कश्मीर दौरा करने आया था. जिसे पुलिस ने हिरासत में ले लिया. गिरफ़्तार व्यक्ति की पहचान किरण भाई पटेल के तौर पर हुई है. वह गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाला है।
पुलिस के मुताबिक उन्हे क्रिमिनल इनवेस्टिगेटिव डिपार्टमेंट (CID) ने दो मार्च को जानकारी दी थी कि खुद को पीएमओ दफ्तर में एडिशनल डायरेक्टर बताने वाला शख़्स कश्मीर आ रहा है. जानकारी मिलते ही श्रीनगर पुलिस हरकत में आई और उस पर शिकंजा कसने के लिए एक टीम का गठन किया गया.
Also Read
- Veer Savarkar Defamation Case: राहुल गांधी को पुणे कोर्ट से बड़ा झटका, शिकायतकर्ता की वंशावली जानकारी मांगने से इंकार
- Veer Savarkar Defamation Case: शिकायतकर्ता की वंशावली की मांगे, वह नाथूराम गोडसे का रिश्तेदार, राहुल गांधी ने Pune Court से गुजारिश की
- तुर्की में कांग्रेस का कार्यलय होने के दावे दर्ज हुई था मामला, कर्नाटक हाई कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई पर लगाई अंतरिम रोक
पुलिस टीम श्रीनगर में स्थित फाइव स्टार होटल ललित पहुंची जहां से किरण भाई पटेल को अरेस्ट कर लिया गया. जानकारी के अनुसार पटेल के पास से दस फर्जी विजिटिंग कार्ड और दो मोबाइल फोन भी बरामद किए गए हैं.
पुलिस ने पटेल के खिलाफ निशात पुलिस स्टेशन में आईपीसी की धारा 419, 420, 467, 468 और धारा 471 के तहत मामला दर्ज किया है.
आईए जानते हैं कि अगर किसी के साथ ऐसा कोई मामला होता है तो किन धाराओं के तहत केस दर्ज करवा सकता है.
आईपीसी की धारा 419: जो कोई किसी की पहचान को अपनाकर (बहरूपिया) किसी को धोखा देगा तो वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, या दोनों से, दण्डित किया जाएगा.
IPC की धारा 420 :अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ धोखा करता है, छल करता है, बेईमानी से किसी की बहुमूल्य वस्तु या संपत्ति में परिवर्तन करता है, उसे नष्ट करता है या ऐसा करने में किसी की मदद भी करता है तो वह अपराधी है. इस अपराध के लिए अनिवार्य जुर्माने के साथ सात साल तक की सजा का प्रावधान है.
IPC की धारा 467 :अगर कोई किसी ऐसे दस्तावेजों की कॉपी बनाकर गलत इस्तेमाल करता है या उसके साथ छेड़छाड़ करता है जिसका संबंध पैसों से है तो उसे अपराध माना जाएगा. इसके लिए अपराधी को दस साल की जेल और जुर्माना देना पड़ सकता है.
IPC की धारा 468: अगर कोई कूटरचना करता है यानि दस्तावेजों के साथ या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के साथ कोई छेड़छाड़ करता है जिसका उद्देश्य है धोखा देना है तो उसे सात साल की जेल और जुर्माना देना पड़ सकता है.
IPC की धारा 469: अगर कूटरचना (फोर्जरी) हुई है तो धारा 469 का उपयोग किया जा सकता है जिसमे 3 साल तक की सजा का प्रावधान है.
IPC की धारा 471 :अगर कोई भी व्यक्ति किसी भी नकली कागज या नकली इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ज का इस्तेमाल करता है असली कागज की तरह तो वो दोषी माना जाएगा.
अगर मानहानि हुई है तो क्या करें
जाहिर सी बात है अगर कोई आपके नाम का इस्तेमाल कर कोई गलत काम करेगा तो आपका नाम खराब हो सकता है समाज में आपकी छवि खराब हो सकती है. तो ऐसे में पीड़ित के पास आईपीसी की धारा 499 और 500 उपलब्ध है जहां पर साफ तौर पर मानहानि की बात की गई है और सजा के बारे में बताया गया है.
भारतीय दंड संहिता कि धारा 499 के अनुसार यदि कोई किसी व्यक्ति को ऐसे शब्द बोलता है या पढ़ता है या ऐसे कोई संकेत करता है जिससे सामने वाले व्यक्ति के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती हो या उसकी लज्जा पर लांछन लगता है तो उसे मानहानि कहा जाता है. किसी भी व्यक्ति पर मानहानि का मुकदमा तब तक नहीं चलाया जायेगा जब तब की ये साबित नही हो जाये की इसका उद्देश्य दूसरे व्यक्ति के मान सम्मान ठेस को पहुंचाना, उसकी साख गिरना, उसको समाज में निचा दिखाना और उस पर कोई झूठा आरोप लगाना साबित नहीं हो जाता.
ऐसा करना असंज्ञेय अपराध (Non-cognizable offence) हैं. असंज्ञेय अपराध में किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. इस तरह का अपराध जमानती (bailable) होता है जिसमें आरोपी को जमानत मिल सकती है.
इस अपराध के लिए IPC की धारा 500 के तहत व्यक्ति को 2 साल तक की सजा हो सकती है या जुर्माना देना पड़ सकता है, या जुर्माना और सजा दोनों ही हो सकता है.