क्या पति पत्नी की आपसी मारपीट अपराध है? पति-पत्नी के आपसी झगड़े में कौन सी धारा लगती है?
अनन्या श्रीवास्तव
भारतीय समाज में विवाह का बहुत महत्व है और इसे एक बेहद पवित्र बंधन माना जाता है जो दो लोगों के बीच में ही नहीं बल्कि दो परिवारों के बीच स्थापित होता है। ऐसे कई मामले सामने आते हैं जिनमें एक जोड़ा शादी के बाद आपस में सामंजस्य नहीं बैठा पाता है और उनमें झगड़े भी होने लगते हैं. और यह कई बार मारपीट तक पहुंच जाता हैं।
क्या एक पति और पत्नी के बीच मारपीट उनका आपसी मामला है या फिर यह एक अपराध की श्रेणी में आता है? कानून इस बारे में क्या कहता है, आइए जानते हैं.
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कई लोग ऐसा कह सकते हैं कि एक पति और पत्नी के बीच होने वाले झगड़े, जो मारपीट तक पहुंच जाते हैं, वो उनका आपसी मामला है लेकिन कानून ऐसा नहीं मानता। पति और पत्नी के बीच यदि मारपीट होती है तो भारतीय कानून के तहत यह एक दंडनीय अपराध है। आपको बताते हैं कि किन धाराओं के तहत मारपीट एक दंडनीय अपराध है.
घरेलू हिंसा के खिलाफ महिला सुरक्षा के लिए कानून
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि एक महिला को शादी के बाद घरेलू हिंसा (Domestic Violence) का सामना करना पड़ रहा है, तो उनकी सुरक्षा के लिए भारतीय संविधान में एक अधिनियम है। यहां बात हो रही है 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005' (The Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) की।
इस कानून के तहत किसी भी ऐसी महिला को सुरक्षा दी जाती है, जिसे शादी के बाद पति या ससुराल में किसी भी सदस्य द्वारा शारीरिक या मानसिक प्रताड़ना/हिंसा का सामना करना पड़ रहा है।
इस अधिनियम के तहत 'घरेलू हिंसा' में शारीरिक हिंसा, (Physical Abuse), मानसिक हिंसा (Mental Abuse), यौन शोषण (Sexual Abuse), मौखिक या भावनात्मक (Oral or Emotional Abuse) हिंसा और आर्थिक हिंसा (Economic Abuse), सभी शामिल हैं।
इस अधिनियम के साथ-साथ 'भारतीय दंड संहिता की धारा 498A' (Section 498A of The Indian Penal Code) में भी शादी के बाद महिला को यदि अपने पति या उसके परिवार के किसी सदस्य से क्रूरता का सामना करना पड़ता है, तो उसे प्रोटेक्शन मिलता है।
इस कानून के तहत महिला पर पति या उसके परिवार द्वारा शारीरिक या मानसिक शोषण या महिला के साथ प्रॉपर्टी आदि को लेकर जबरस्ती करना दंडनीय अपराध है। दोषी को तीन साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है और साथ में आर्थिक जुर्माना भी देना पड़ता है।
ये कानून भी आपसी मारपीट को मानते हैं दंडनीय अपराध
'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005' और भारतीय दंड संहिता की धारा 498A खास विवाहित महिलाओं की सुरक्षा के लिए बने हैं लेकिन कानून के कुछ ऐसे भी प्रावधान हैं, जो आपसी मारपीट के मामले में, पति और पत्नी, दोनों पर लागू किये जा सकते हैं और जो इस मारपीट को अपराध करार देते हैं।
आईपीसी की धारा 323 (IPC Section 323): 'स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के लिए सजा' (Punishment for voluntarily causing hurt) को लेकर है। इस धारा के तहत कोई भी यदि जानबूझकर, स्वेच्छा से दूसरे इंसान को चोट पहुंचाता है, उसे एक साल तक की जेल की सजा, एक हजार रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों भुगतना पड़ सकता है।
IPC की धारा 334' (Section 334 of The Indian Penal Code) 'उकसाने पर स्वेच्छा से चोट पहुँचाने' (Voluntarily causing hurt on provocation) पर है। आईपीसी की इस धारा के तहत यदि कोई शख्स अचानक और गंभीर रूप से उकसाए जाने के बाद स्वेच्छा से, क्षति न पहुंचाने के इरादे से प्रकोपन करने वाले आदमी के अलावा किसी को क्षति पहुंचाता है, तो उसे एक महीने तक की जेल की सजा, पांच सौ रुपये तक का जुर्माना या फिर दोनों का भुगतान करना पड़ सकता है।