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क्या भारत में दो बार शादी करना अपराध है? जानिये कानूनी प्रावधान

Bigamy Punishment in India

क्या हमारे देश में दो - दो शादियां करना एक अपराध के श्रेणी में आता है. इसे लेकर अलग- अलग लोग के मन में अलग- अलग धारणाएं बनी हुई हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर बार दो शादियां करना अपराध के श्रेणी में नहीं आता.

Written By My Lord Team | Published : May 19, 2023 3:26 PM IST

नई दिल्ली: अक्सर सुनाने में आता है कि किसी व्यक्ति ने दो शादियां की थी तो उसे जेल जाना पड़ा लेकिन उसके उलट यह भी सुनाई पड़ता है दो शादीयों के बावज़ूद अन्य व्यक्ति को सजा नहीं हुई? ऐसे में सवाल उठता है कि क्या हमारे देश में दो बार शादी करना या द्विविवाह अपराध है या नहीं, इसे समझते हैं की ऐसा क्यों होता है?

कानूनी रूप से दो बार शादी करना एक अपराध है लेकिन कानून में इससे संबंधित कई प्रावधान किए गए हैं. भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code- IPC) की धारा 494 और 495 में यह बताया गया है कि किन परिस्थितियों में की गई दूसरी शादी एक अपराध माना जाता है.

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पति या पत्नी के होते हुए दूसरी बार विवाह करना

आईपीसी की धारा 494 के अनुसार पति या पत्नी के रहते हुए भी, बिना तलाक लिए दूसरी बार विवाह करना एक अपराध माना जाएगा. इस धारा में बताया गया है कि अगर कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए दूसरी बार विवाह करता है तो एक तो उस विवाह को शून्य माना जाएगा और दूसरा कि ऐसा करने वाला व्यक्ति दोषी माना जाएगा.

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इस अपराध के लिए दोषी को सात साल तक की जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देना पड़ सकता है.

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इस धारा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि अगर किसी व्यक्ति के पहले विवाह को अदालत ने कानूनी रूप से खत्म कर दिया है, और वह व्यक्ति दोबारा विवाह करता तो वह अपराध नहीं माना जाएगा या फिर ऐसे पति या पत्नी जो सात साल से साथ नहीं रह रहे हैं और वह किसी और से अपने पहले विवाह के बारे में बता कर विवाह करते है तो उसे भी अपराध नहीं माना जाएगा.

IPC की धारा 495

धारा 495 के अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति धारा 494 में बताए गए नियम के खिलाफ जाकर दूसरा विवाह करता है यानि कि वो विवाह करने से पहले अपने दूसरे पार्टनर को अपने पहले विवाह के बारे में नहीं बताता है तो वह दोषी माना जाएगा.

इस अपराध के लिए दोषी को १० साल की जेल की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि वह महिला जो दूसरी शादी की शिकार होती है, वह भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 494 के तहत पुरुष को अदालत में घसीटने की हकदार है, जो कि द्विविवाह को एक आपराधिक अपराध बनाता है, अधिकतम सात साल की जेल की सजा के साथ दंडनीय है.

न्यायमूर्ति जेएम पांचाल की अध्यक्षता वाली पीठ ने आंध्र प्रदेश के एक पुलिसकर्मी पर द्विविवाह के आरोप में मुकदमा चलाने का आदेश दिया.

पुलिसकर्मी की इस दलील को खारिज करते हुए कि दूसरी महिला द्वारा उसके खिलाफ दहेज उत्पीड़न की शिकायत सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि वह उसकी पहली शादी के निर्वाह के मद्देनजर कानूनी रूप से विवाहित पत्नी नहीं थी, पीठ ने आईपीसी की धारा 498ए के तहत आरोपों को बहाल कर दिया.