दंगा करेंगे तो जाना पड़ेगा जेल, जानिए क्या है IPC में सजा का प्राविधान
नई दिल्ली: दंगा शब्द का अर्थ है जब दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच में हिंसक झड़प या लड़ाई होना. हमेशा "दंगा" के अपराध लोगों को डराने और धमकाने के लिए किया जाता है, समाज में कायम शांति को भंग करने के लिए ही किया जाता है. हमारे देश का कानून हर उस काम को करने से रोकता है जिससे किसी की जान जा सकती है, कोई नुकसान पहुंच सकता है या समाज की शांति भंग हो सकती है, ऐसा करने वाला चाहे जो कोई भी हो कानून उसे माफ नहीं करता.
देश में दंगे की कहानी कोई नई नहीं है. इतिहास में दर्ज कई दंगों ने लोगों के घरों को उजाड़ा है. उन दंगों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कानून भी बनाए गए हैं, भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code), 1860 की धारा 159 और धारा 160 में दंगे को परिभाषित किया गया और सजा के बारे में भी बताया गया है.
दंगे (Affray) का अर्थ
दंगे को अंग्रेजी में अफरे (Affray) कहा जाता है.अफरे एक फ्रांसीसी शब्द अफरेयर से लिया गया है. जिसका अर्थ होता है डराना और इसलिए, कानूनी अर्थों में इसे लोगों के लिए आतंक पैदा करने वाला सार्वजनिक अपराध के लिए माना जाता है.
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इस अपराध के तहत दोष सिद्ध होने के लिए, इतना संकेत काफी होता है कि जनता के लिए कोई खतरे का संकेत हुआ होगा. दोष सिद्ध करने के लिए ये जरुरी नहीं जनता के बीच से आकर कोई इसका सबूत दे कि वह घबरा गया था.
अशांति के वक्त जनता का वहां मौजूद होना ही काफी है कि जनता अशांति के कारण परेशान हो गई थी और दंगे का अपराध साबित करने के लिए शांति का भंग होना पर्याप्त है.
IPC की धारा 159
इस धारा में दंगे को परिभाषित किया गया है. इसके अनुसार जब दो या दो से अधिक व्यक्ति लोकस्थान (Public Place) में लड़कर लोक शांति में विघ्न डालते है, तब यह कहा जाता है कि "वे दंगा करते हैं".
IPC की धारा 160
इसमें धारा 159 में परिभाषित अपराध को करने पर क्या सजा दी जाती है उसके बारे में बताया गया है. दंगा करने के लिए दंड (Punishment for committing Affray),धारा के अनुसार, जो कोई दंगा करेगा, वह दोनों में से किसी भांति के कारावास से , जिसकी अवधि एक मास तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो एक सौ रुपये तक का हो सकेगा, या दोनों से दंडित किया जाएगा.
दंगे का मूल तत्व
- दो या दो से अधिक व्यक्तियों द्वारा लड़ना.
- लड़ाई सार्वजनिक स्थान पर होनी चाहिए.
- इस तरह की लड़ाई को सार्वजनिक शांति भंग भी होनी चाहिए.
कब माना जाएगा दंगा
- धारा के अनुसार जितने लोगों की मौजूदगी को बताया गया है अगर उतने लोग शामिल हैं.
- लड़ाई हुई हो.
दंगे का चरित्र
दंगे में दोनो पक्ष आरोपित माने जाते हैं क्योंकि ये दो ऐसे समूहों द्वारा किया जाता है जिनकी आपस में दुश्मनी हो.
यह एक जमानती (bailable) अपराध है.
यह गैर शमनीय (non-compoundable) अपराध है.
आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 ने अब इसे संज्ञेय (Cognisable) अपराध बना दिया है.
यह किसी भी मजिस्ट्रेट द्वारा आजमाया जा सकता है और संक्षेप में विचारणीय है.