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Real Estate Regulatory and Development Act किस तरह से है घर खरीदारों के लिए वरदान

रियल एस्टेट डेवलपर को प्रोजेक्ट फंड का लगभग 70% एक अलग Escrow Account (यह एक बैंकिंग खाता है, जहां लेनदेन के लिए कुछ शर्तों को पूरा करने तक परिसंपत्ति का मूल्य रखा जाता है) में ट्रांसफर करना होगा, जिसका उपयोग वह केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए कर सकता है

Written By My Lord Team | Published : April 14, 2023 3:08 PM IST

नई दिल्ली: घर खरीदना हर किसी का सपना होता है. इसे पूरा करने के चक्कर में कई बार लोग धोखे के भी शिकार हो जाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई गंवा बैठते हैं. इस तरह की धोखाधड़ी के मामलों से निपटने के लिए साल 2016 में Real Estate Regulatory and Development Act (RERA) जैसा सख्त कानून सरकार द्वारा लाया गया. जानते हैं कि यह अधिनियम कैसे काम करता है और यह घर खरीदने वालों के लिए कैसे एक वरदान साबित हो रहा है.

इस अधिनियम को समझने के लिए आपको रियल एस्टेट के व्यवसाय के बारे में समझना होगा की इसमें अचल संपत्ति को बेचा और खरीदा जाता है. कुछ साल पहले तक इस व्यवसाय के तहत कई जगहों पर बिल्डरों और प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा एक लंबे समय से गैर-कानूनी रूप से कस्टमर से पैसे ठगे जा रहे थे, इतना ही नहीं फ्लैट्स के नाम पर घटिया क्वालिटी का कंस्ट्रक्शन भी दिया जा रहा था. जिस पर लगाम लगाना अनिवार्य हो गया था.

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इसलिए साल 2016 में एक एक्ट लागू किया गया ताकि रियल एस्टेट यानि जमीन या प्रॉपर्टी से सम्बंधित सभी गैर-कानूनी कार्यो पर अंकुश लगाया जा सके. इस एक्ट का नाम रियल एस्टेट (रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट) एक्ट या RERA रखा गया. यह अधिनियम घर खरीदारों के हितों की रक्षा और अचल संपत्ति उद्योग में लोगों का भरोसा बढ़ा कर निवेश को और बढ़ाने के लिए बनाया गया है. इस अधिनियम में कुल 92 धाराएं हैं. 1 मई 2016 को 69 अधिसूचित वर्गों के साथ यह अधिनियम अस्तित्व में आया.

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RERA के मुख्य प्रावधान

  • राज्य स्तर पर रियल एस्टेट नियामक आयोग या प्राधिकरण (Authority) का गठन करना होगा.
  •  गठित रियल एस्टेट नियामक आयोग या प्राधिकरण का काम प्रदेश में रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन करना होगा.
  •  डेवलपर्स और खरीदारों के बीच विवादों का निराकरण और समय पर प्रोजेक्ट पूरा हो इस पर निगरानी रखना होगा.
  • अगर कोई विवाद होता है तो त्वरित न्यायाधिकरणों द्वारा विवादों का समाधान 60 दिन के अंदर करने का प्रावधान है.
  •  इस अधिनियम की धारा 3 में यह प्रावधान किया गया है कि पांच हजार वर्गफीट या आठ अपार्टमेंट तक की निर्माण योजनाओं को छोडक़र सभी निर्माण योजनाओं को रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा.
  • ग्राहकों से ली गई 70% राशि को अलग बैंक में रखने और उसका केवल निर्माण कार्य में प्रयोग करने का प्रावधान किया गया है.
  • इस अधिनियम में यह प्रावधान किया गया है कि परियोजना से जुड़ी जानकारी, जैसे लेआउट, स्वीकृति, ठेकेदार और प्रोजेक्ट का विवरण खरीदार को देना अनिवार्य है.

घर खरीदारों के लिए लाभ

रेरा अधिनियम खरीदारों के हितों की निम्नलिखित तरह से रक्षा करता है.

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  • इस अधिनियम के तहत डेवलपर्स को रेरा की आधिकारिक वेबसाइट पर परियोजना से जुड़ी सभी तरह की जानकारी को बिना कुछ छुपाए दाखिल करना होगा. अगर कोई बदलाव किया गया है प्रोजेक्ट में तो खरीदार के विश्वास को आश्वस्त करने के लिए नियमित रूप से अपडेट भी करना होगा.
  • उपभोक्ता सुपर बिल्ट-अप एरिया के बजाय कार्पेट एरिया पर फ्लैटों के लिए भुगतान करेंगे.
  • रियल एस्टेट डेवलपर को प्रोजेक्ट फंड का लगभग 70% एक अलग Escrow Account (यह एक बैंकिंग खाता है, जहां लेनदेन के लिए कुछ शर्तों को पूरा करने तक परिसंपत्ति का मूल्य रखा जाता है) में ट्रांसफर करना होगा, जिसका उपयोग वह केवल निर्माण उद्देश्यों के लिए कर सकता है.
  • अगर किसी परियोजना के निर्माण में किसी भी तरह की देरी होती है तो ऐसे में डेवलपर को होमबॉयर्स को 2% का भुगतान करना होगा.
  •  कानून के अनुसार डेवलपर को पहले पांच वर्षों तक घर खरीदारों को निर्माण दोषों के लिए निःशुल्क सेवाएं प्रदान करनी होंगी.
  •  120 दिनों के अंदर डेवलपर को होमबॉयर की परेशानियों का समाधान निकालना होगा.
  •  धारा 15 के तहत किसी भी परियोजना में डेवलपर होमबॉयर्स के कम से कम 1/3 की सहमति के बिना स्वीकृत के बिल्डिंग प्लान में बदलाव नहीं कर सकता है.
  •  इस अधिनियम के तहत डेवलपर खरीदार से अग्रिम के रूप में 10% से अधिक जमा नहीं कर सकता है.
  •  अगर कभी टाइटल डीड में किसी भी तरह की कोई गड़बड़ी होती है तो इस अधिनियम के तहत होमबॉयर डेवलपर से मुआवजे की मांग कर सकते हैं.
  • हर डेवलपर के लिए एस्क्रो खाते में प्राप्त धन का 70% चैनलाइज करना अनिवार्य होगा.
  • बिल्डर और होमबॉयर के बीच सिर्फ एक मॉडल सेल एग्रीमेंट जरुरी है.