भारत में कितने प्रकार की जेलें हैं? ओपन जेल और अन्य जेलों में क्या अंतर है?
नई दिल्ली: जब किसी अपराधी को सजा होती है, या फिर पुलिस को किसी व्यक्ति पर किसी अपराध में लिप्त होने की आशंका होती है तो ऐसे लोगों को जेल में रखा जाता है. आज बहुत लोग हैं जो जेल में अपनी सजा काट रहे हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे देश कितने तरह की जेल हैं.
जेल को कारागार और कारागृह भी कहा जाता है. यह एक ऐसा स्थान या भवन होता है, जहां बंदी को कानूनी रूप से कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है. हर जेल के अपने नियम होते हैं जिसका पालन हर कैदी को करना पड़ता है.
अगर आप सोच रहे हैं कि सभी जेल एक समान होते हैं तो ऐसा नहीं हैं. हमारे देश में कुल 8 तरह की जेलें हैं. चुकी जेल राज्य का विषय है, इसलिए जेलें राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं. कैदियों की सुरक्षा, रहने की व्यवस्था, मेडिकल सुविधाओं के लिए राज्य समय-समय पर केंद्र सरकार की मदद लेते रहतें हैं.
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ओपन जेल दूसरे जेलों से कितना अलग
ओपन जेल को समझने को लिए पहले हमें दूसरे जेलों को और वहां के नियमों को जानना होगा.
सेंट्रल जेल
शुरआत करते हैं सेंट्रल जेल से क्योंकि यह सबसे प्रमुख जेल होती है. इस जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिन्हें दो साल से अधिक की सजा हुई हो या फिर जो किसी घिनौने अपराध के दोषी होते हैं.
कई बार आपने फिल्मों में देखा होगा कि जेल में कैदी को उनके काम के बदले में पैसा भी दिया जाता है तो यह सच है. इस जेल में बंद कैदी काम कर पैसे भी कमा सकते हैं. सेंट्रल जेल में दूसरे जेलों की तुलना में कैदियों को रखने के लिए ज्यादा जगह होती है.
डिस्ट्रिक्ट जेल
डिस्ट्रिक्ट जेल को हिंदी में जिला जेल कहा जाता है. सेंट्रल जेल और जिला जेल में ज्यादा फर्क नहीं होता. जहां सेंट्रल जेल नहीं होती वहां जिला जेल उन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मुख्य जेल के रूप में काम करते हैं.
उप जेल
उप जेल को अंग्रेजी में सब-जेल कहा जाता है. हमारे देश में यह जेल सब डिविजनल स्तर के जेल की भूमिका निभाते हैं.
ओपन जेल
हम सभी के दिमाग में जेल की एक ही छवि बनी हुई है कि वहां सख्त पहरा होता है, बिना इजाजत किसी से मिल नहीं सकते और कहीं बाहर नहीं जा सकते. लेकिन ओपन जेल के बारे में जानकर आप सोचेंगे कि यह कैसा जेल है.
जैसा इसका नाम हैं यह जेल बिल्कुल वैसा ही है. दूसरे जेलों में कैदी को बाहर जाने की इजाजत नहीं होती है लेकिन इस जेल में ऐसी व्यवस्था होती है, जहां रहने वाले कैदी दिन में बाहर काम पर जा सकते हैं. लेकिन रात में उन्हे वापस जेल लौटना होता है.
इस तरह की जेलों में दीवारें, सलाखें और ताले नहीं होते हैं. यहां तक की सुरक्षा व्यवस्था भी कम होती है.
ओपन जेल में उन कैदियों को रखा जाता है, जिनका व्यवहार अच्छा होता है और जो नियमों पर खरा उतरते हैं. अगर सेंट्रल जेल के किसी कैदी का व्यवहार अच्छा होता है, तो उन्हे ओपन जेल में भेजा जा सकता है.
हमारे देश में ओपन जेल की शुरुआत ब्रिटिश शासनकाल में हुई थी. पहली ओपन जेल वर्ष 1905 के दौरान मुंबई में खोली गई थी.