Hindu Succession Act में कैसे निर्धारित होता है महिला का संपत्ति पर स्वामित्व और क्या है वितरण का तरीका?
नई दिल्ली: हमारे देश में शुरू से ही पुरुषों का परिवार के मुखिया होने के नाते संपत्ति पर अधिकार रहा है और समय के साथ-साथ यह अधिकार कानूनी तौर पर भी मान्य होते गए, जैसे की पिता की संपत्ति पुत्र को विरासत में दिया जाना. लेकिन यह प्रचलन हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 के बाद से परिवर्तित हुआ है. अब यह अधिकार केवल पुरुषों के पास सीमित नहीं है बल्कि महिलाओं को भी कानून के द्वारा संपत्ति के उत्तराधिकार की योग्यता प्राप्त हुई है.
हिन्दू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 ने हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 6 को प्रतिस्थापित किया है. वहीं हिन्दू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14, धारा 15 और धारा 16 में महिला उत्तराधिकारी का संपत्ति पर स्वामित्व, हिंदू महिला के उत्तराधिकार के सामान्य नियम और महिला के उत्तराधिकारियों का क्रम व उनके बीच संपत्ति विभाजन संबंधित नियमों का उल्लेख किया गया है.
महिलाओं के लिए यह जरूरी है कि वे जाने की विरासत कानूनों के अंतर्गत दिये गए कानूनी अधिकार और उसके नियम क्या है, ताकि वे अपने हक के लिए लड़ सकें. आइए जानते है की क्या कहती हैं ये धाराएं.
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हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 14
किसी हिंदू महिला की संपत्ति का उसकी पूर्ण संपत्ति होना-
(1) इस अधिनियम के प्रारंभ होने से पहले या बाद में एक हिंदू महिला के पास कोई भी संपत्ति, उसके द्वारा पूर्ण स्वामी के रूप में रखी जाएगी, न कि एक सीमित स्वामी के रूप में.
स्पष्टीकरण- इस उप-धारा में, "संपत्ति" में चल और अचल संपत्ति शामिल है, जिसे एक हिंदू महिला द्वारा उत्तराधिकार या योजना द्वारा, या विभाजन पर, या भरण-पोषण या भरण-पोषण के बकाया के बदले में, या किसी व्यक्ति से उपहार द्वारा अर्जित किया जाता है. चाहे कोई रिश्तेदार हो या नहीं, उसकी शादी से पहले या उसके बाद, या उसके अपने कौशल या परिश्रम से, या खरीद द्वारा या नुस्खे से, या किसी भी अन्य तरीके से, और ऐसी कोई भी संपत्ति जो उसके पास स्त्री धन के रूप में शुरू होने से ठीक पहले हो इस अधिनियम का.
(2) उप-धारा (1) में निहित कुछ भी उपहार के माध्यम से या किसी वसीयत या किसी अन्य लिखत के तहत या सिविल कोर्ट की डिक्री या आदेश के तहत या किसी पुरस्कार के तहत प्राप्त संपत्ति पर लागू नहीं होगा जहां उपहार की शर्तें, इच्छा या अन्य लिखत या डिक्री, आदेश या पुरस्कार ऐसी संपत्ति में एक प्रतिबंधित संपत्ति निर्धारित करते हैं.
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 15
हिंदू महिला के मामले में उत्तराधिकार के सामान्य नियम-
(1) निर्वसीयत मरने वाली हिंदू महिला की संपत्ति धारा 16 में निर्धारित नियमों के अनुसार न्यागत होगी,-
(a) सबसे पहले, बेटे और बेटियों (किसी भी पूर्व मृत बेटे/बेटी के बच्चों सहित) और पति पर;
(b) पति के वारिसों पर;
(c) माता और पिता पर;
(d) पिता के उत्तराधिकारियों पर; और
(e) मां के वारिसों पर.
(2) उप-धारा (1) में किसी बात के होते हुए भी-
(a) मृतक के किसी भी बेटे या बेटी (किसी भी पूर्व मृत बेटे या बेटी के बच्चों सहित) की अनुपस्थिति में, अपने पिता या मां से विरासत में मिली कोई भी संपत्ति अन्य उत्तराधिकारियों पर नहीं होगी। उप-धारा (1) उसमें निर्दिष्ट क्रम में, लेकिन पिता के उत्तराधिकारियों पर; और
(b) एक हिंदू महिला द्वारा अपने पति या अपने ससुर से विरासत में मिली कोई भी संपत्ति मृतक के किसी भी बेटे या बेटी की अनुपस्थिति में (किसी भी पूर्व मृत बेटे या बेटी के बच्चों सहित) की अनुपस्थिति में न्यागत होगी, उप-धारा (1) में निर्दिष्ट अन्य उत्तराधिकारी उसमें निर्दिष्ट क्रम में, लेकिन पति के उत्तराधिकारियों पर.
हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 की धारा 16
उत्तराधिकार का क्रम और हिंदू महिला के उत्तराधिकारियों के बीच वितरण का तरीका-
धारा 15 में निर्दिष्ट उत्तराधिकारियों के बीच उत्तराधिकार का क्रम होगा, और उन उत्तराधिकारियों के बीच निर्वसीयत संपत्ति का वितरण निम्नलिखित नियमों के अनुसार होगा, अत:,
नियम 1- उप-धारा में निर्दिष्ट उत्तराधिकारियों के बीच - धारा 15 की, एक प्रविष्टि में उन लोगों को पसंद किया जाएगा जो किसी भी बाद की प्रविष्टि में हैं और जो एक ही प्रविष्टि में शामिल हैं उन्हें एक साथ लिया जाएगा.
नियम 2- यदि निर्वसीयत का कोई पुत्र या पुत्री निर्वसीयत की मृत्यु के समय अपने स्वयं के बच्चों को जीवित छोड़कर निर्वसीयत से पूर्व मर गया हो, तो ऐसे पुत्र या पुत्री के बच्चे आपस में वह हिस्सा लेंगे जो ऐसा पुत्र या पुत्री यदि निर्वसीयत की मृत्यु पर जीवित रहते तो बेटी ले लेती.
नियम 3- उप-धारा (1) के खंड (b), (d) और (e) और उप-धारा (2) से धारा 15 में निर्दिष्ट वारिसों पर निर्वसीयत की संपत्ति का विचलन होगा उसी क्रम में और उन्हीं नियमों के अनुसार जो लागू होते यदि संपत्ति पिता या माता या पति की होती, जैसा भी मामला हो, और ऐसा व्यक्ति निर्वसीयत की मृत्यु के तुरंत बाद उसके संबंध में निर्वसीयत मर गया हो.