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राष्ट्रीय एकता के खिलाफ भाषण देने पर होती है 5 साल की जेल, जानिए कानून में प्रावधान

भारतीय दंड संहिता की धारा 153B के अनुसार जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाला भाषण देता है या लांछन लगाना जैसी बात कहने का अपराध करता है, तो उस पर IPC की धारा 153B के तहत मामला दर्ज किया जाता है.

Written By My Lord Team | Published : February 8, 2023 5:05 AM IST

नई दिल्ली: साल 2022 में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ IPC के दो धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था. चौधरी द्वारा एक टीवी न्यूज़ चैनल से बातचीत के दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को "राष्ट्रपत्नी" कहकर संबोधित करने पर उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था. अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ दर्ज मामले में IPC की 153B भी जोड़ी गई थी.

IPC की धारा 153B

भारतीय दंड संहिता की धारा 153B के अनुसार जब कोई व्यक्ति राष्ट्रीय एकता के खिलाफ प्रभाव डालने वाला भाषण देता है या लांछन लगाना जैसी बात कहने का अपराध करता है, तो उस पर IPC की धारा 153B के तहत मामला दर्ज किया जाता है.
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इस अपराध को IPC की धारा 153B के तहत दो उपधाराओं में विभाजित किया गया है. प्रथम उपधारा के तहत जहां इस अपराध के अलग - अलग प्रकार को परिभाषित करते हुए सजा का प्रावधान किया गया है, वही दूसरी उपधारा में धार्मिक स्थलों पर अपराध और उसके लिए सजा का प्रावधान किया गया है.

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उपधारा-1

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IPC की धारा 153B उपधारा 1 के अनुसार जब किसी व्यक्ति द्वारा बोले या लिखे गए भाषण, लेख, शब्दों द्वारा या संकेतों द्वारा या दृश्यारोपणों द्वारा या अन्यथा किसी तरह से राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले लांछन, प्रख्यान" (Imputations, assertions prejudicial to national integration) का प्रयोग करते है तो इस धारा के तहत अपराध माना जाएगा.

क. कोई ऐसा लांक्षन लगाएगा या प्रकाशित करेगा कि किसी वर्ग का व्यक्ति इस कारण से कि वो किसी धार्मिक, मूलवंशीय,या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय का सदस्य हैं, वो विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा नहीं रख सकता या भारत की प्रभुता और अखंडता की मर्यादा नहीं बनाए रख सकते, अथवा

ख. यह प्राख्यान करेगा, परामर्श देगा, सलाह देगा, प्रचार करेगा या प्रकाशित करेगा कि किसी वर्ग के व्यक्तियों को इस कारण कि वो किसी धार्मिक, मूलवंशीय,या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य हैं, उन्हे भारत के नागरिक के रूप में अधिकार न दिए जाएं या उन्हें उनसे वंचित किया जाए, अथवा

ग. किसी वर्ग के व्यक्तियों की, बाध्यता के संबंध में इस कारण कि वे किसी धार्मिक, मूलवंशीय, भाषायी या प्रादेशिक समूह या जाति या समुदाय के सदस्य हैं, कोई प्राख्यान करेगा, परामर्श देगा, अभिवाक करेगा या अपील करेगा अथवा प्रकाशित करेगा, और ऐसे प्राख्यान, परामर्श, अभिवाक या अपील से ऐसे सदस्य तथा अन्य व्यक्तियों के बीच असामंजस्य, अथवा शत्रुता या घृणा या वैमनस्य की भावनाएं उत्पन्न होना संभाव्य हैं,

सजा का प्रावधान

इस तरह के अपराध में दोषी पाए जाने पर दोषी को एक निश्चित अवधि के कारावास की सजा से दंडित किया जाता है. जिसकी अवधी तीन साल हो सकती है, या जुर्माना भी लगाया जा सकता है, अथवा दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.

उपधारा - 2

IPC की धारा 153B उपधारा 2 के अनुसार जो व्यक्ति उपधारा (1) में बताए गए अपराधों में से किसी अपराध को किसी उपासना स्थल में या धार्मिक कर्म करने में लगे हुए किसी जमाव में करेगा, तो वह इस उपधारा के तहत अपराध के लिए दोषी माना जाएगा.

सजा का प्रावधान: उपधारा 2 के तहत अपराध के लिए दोषी घोषित किए गए अपराधी को 5 वर्ष तक की जेल की सजा और जुर्माने की सजा से दंडित किया जा सकता है.