Public Servant को झूठी सूचना देना अपराध है, जाने IPC के तहत सजा का प्राविधान
नई दिल्ली: कानून के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी के पास नहीं है और जो ऐसा करेगा उसे दोषी मानकर सजा दी जाएगी. कुछ ऐसे ही अपराधों के बारे में बताया गया है भारतीय दंड संहिता (Indian Penal कोड- IPC) में. IPC की धारा 177 और धारा 182 के अंतर्गत अगर कोई किसी पब्लिक सर्वेंट को जानबूझ कर झूठी सूचना देगा, तो वह अपराधी माना जाएगा. साथ ही इन धाराओं के अंतर्गत सजा का भी प्रावधान किया गया है.
मिथ्या इत्तिला देना
धारा 177 के अनुसार जो कोई कानूनी रूप से बाध्य होते हुए भी किसी लोक सेवक को जानबूझ कर किसी विषय पर सच्ची इत्तिला ( खबर) देने की जगह मिथ्या (गलत) इत्तिला देगा यह जानते हुए कि वह इत्तिला मिथ्या है, तो ऐसे व्यक्ति को अपराधी माना जाएगा. दोषी को सजा के रूप में छह महीने की जेल या फिर एक हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.
इतना ही नहीं अगर वह इत्तिला किसी अपराध के किए जाने के विषय में है या फिर अपराध होने के विषय में है या फिर किसी अपराधी को पकड़ने के विषय में हैं तो दोषी को दो साल की जेल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.
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इस धारा के तहत कई उदाहरण दिए गए हैं जो निम्नलिखित हैं
क) क एक भू-धारक यह जानते हुए कि उसकी जमीन के सीमा के अंदर एक हत्या की गई है, वो उस जिले के मजिस्ट्रेट को जानबूझ यह मिथ्या ( झूठा) इत्तिला (खबर) देता है कि हत्या सांप के काटने से हुई है. क इस धारा में परिभाषित अपराध का दोषी है.
ख) क जो कि एक गांव का चौकीदार है, यह जानते हुए कि अनजान लोगों का एक बड़ा गिरोह य के घर में, जो कि पड़ोस के गांव का निवासी है एक धनी व्यापारी है, डकैती करने के लिए उसके गांव से होकर गया है और निकटतम थाने के ऑफिसर को उपरोक्त घटना की जानकारी शीघ्र और ठीक समय पर देने के लिए आबद्ध होते हुए, पुलिस को गलत सूचना देकर गुमराह करता है कि गिरोह किसी दुसरी दिशा में गया हैं. तो ऐसे में क ने इस धारा के दूसरे भाग में परिभाषित अपराध को अंजाम दिया है.
स्पषटीकरण
धारा 176 में और इस धारा में "अपराध" शब्द के अंतर्गत ( भारत) से बाहर किसी स्थान पर किया गया कोई ऐसा कार्य आता है, जो यदि ( भारत) में किया जाता है, तो निम्नलिखित धारा अर्थात 302, 304, 382, 392, 393, 394, 395, 396, 397, 398, 399, 402, 435, 436, 449, 450, 457, 458, 459 और 460 में से किसी भी धारा के अधीन दंडनीय होता; "अपराधी" शब्द के अंतर्गत कोई भी ऐसा व्यक्ति आता है, जो कोई ऐसा काम करने का दोषी अभिकथित हो.
IPC की धारा 182
इस धारा के अनुसार जो कोई लोक सेवक को कोई ऐसी इत्तिला (खबर) देगा, जिसके झूठ होने की जानकारी, जानकारी देने वाले को पहले से हो या उसे विश्वास है कि यह खबर गलत है, इस आशय से देगा कि वह लोक सेवक के ताकत का इस्तेमाल करेगा किसी को परेशान करने के लिए तो ऐसे में दोषी को सजा दी जाएगी.
ऐसे में अपराधी को छह महीने की जेल, या एक हजार का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.
उदाहरण के लिए "क" ने किसी मजिस्ट्रेट को यह सूचना दी कि "य "जो कि एक पुलिस ऑफिसर है, जो मजिस्ट्रेट के नीचे काम करता है, उसने अपने पद का गलत इस्तेमाल किया है यह जानते हुए की यह गलत खबर है और इसके बाद मजिस्ट्रेट "य" को सस्पेंड कर देगा, तो "क" ने इस धारा में बताए अपराध को अंजाम दिया है.