14 से 18 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए इन खतरनाक व्यवसायों में रोजगार प्रतिबंधित है- जानिए शर्तें
नई दिल्ली: हमारे देश में, बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम 1986 के तहत, 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को किसी भी प्रकार के कार्य में नियोजित करना एक संज्ञेय अपराध है. इस अधिनियम के अनुसार ऐसा करने पर दोषी को अधिकतम 2 वर्ष की जेल की सजा हो सकती है. इसके अलावा इस अधिनियम के तहत 14 साल से ऊपर के बच्चों के लिए कुछ निर्धारित शर्तों के आधार पर कुछ खास नौकरियों में प्रावधान किया जा सकता है.
14 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को किशोर कहा जाता है. किशोरों को किसी भी प्रकार के खतरनाक व्यवसाय में नियोजन प्रतिबंधित है. बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के अनुसार किशोरों को गैर-खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं में काम करने की अनुमति है प्राप्त है.
अधिनियम की धारा 3 के अनुसार अनुसूची के भाग A में निर्धारित किसी भी व्यवसाय में या किसी भी कार्यशाला में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसमें अनुसूची के भाग B में निर्धारित कोई भी प्रक्रिया चलती है. अनुसूची दो भागों में खतरनाक व्यवसायों और प्रक्रियाओं की एक सूची देती है.
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प्रतिबंधित व्यवसाय और प्रक्रियाओं में नियोजन
भाग A के अनुसार, किसी भी बच्चे को निम्नलिखित 13 व्यवसायों में नियोजित या काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी-
(1) रेलवे द्वारा यात्रियों, माल या मेल का परिवहन,
(2) सिंडर पिकिंग, 'एश पिट की सफाई या रेलवे परिसर में बिल्डिंग ऑपरेशन,
(3) रेलवे स्टेशन पर किसी खानपान प्रतिष्ठान में काम करना, जिसमें एक विक्रेता या अन्य कर्मचारी का एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म पर या चलती ट्रेन में या बाहर जाना शामिल है,
(4) रेलवे स्टेशन के निर्माण से संबंधित कार्य या कोई अन्य कार्य जो रेलवे लाइनों के निकट या उनके बीच में किया जाता है,
(5) किसी भी बंदरगाह की सीमा के भीतर एक बंदरगाह प्राधिकरण,
(6) अस्थाई अनुज्ञप्ति पटाखे की दुकान में पटाखे बेचने का कार्य,
(7) बूचड़खाने या वधशालाएं,
(8) ऑटोमोबाइल कार्यशाला और गैरेज,
(9) ढलाई कारखानों (फाउंड्री),
(10) जहरीले या ज्वलनशील पदार्थों या विस्फोटकों को संभालने का व्यवसाय,
(11) हैंडलूम और पावरलूम उद्योग,
(12) खान (भूमिगत और पानी के नीचे) और कोलियरी, और
(13) प्लास्टिक इकाइयां और शीसे रेशा कार्यशालाओं से जुड़ा पेशा.
भाग B के अनुसार, किसी भी बच्चे को निर्धारित में से किसी भी कार्यशाला में नियोजित या काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी, जिसमें कोई खतरनाक या हानिकारक प्रक्रिया की जाती है. इस भाग में 57 प्रक्रियाओं को जिक्र किया गया है.
उनमें से कुछ इस प्रकार हैं- बीड़ी बनाना, सीमेंट या उसके उत्पाद का निर्माण, माचिस, विस्फोटक और आतिशबाजी का निर्माण, टेनिंग, जहरीली धातुओं और पदार्थों के उपयोग वाली प्रक्रिया, ऑटोमोबाइल मरम्मत और रखरखाव, ग्लास या कांच के सामान का निर्माण, स्मेल्टिंग, वेल्डिंग, तम्बाकू का निर्माण, पत्थर तोड़ना, कागज़ बनाना, अभ्रक काटना, क्रोमाइट और मैंगनीज अयस्कों को संभालना, इत्यादि प्रक्रियाओं में किशोरों का नियोजन प्रतिबंधित है.
सजा के प्रावधान
कोई भी व्यक्ति जो 14 से 18 वर्ष के बीच के किशोरों को अनुसूची के भाग A और भाग B में निर्धारित अवैध व्यवसायों में नियोजित करता है, उसे निम्न से दंडित किया जा सकता है-
-छह महीने से दो साल के बीच की जेल और/या 20,000 से 50,000 रुपये के बीच का जुर्माना
-यदि कोई व्यक्ति एक बार सजा दिए जाने के बाद भी बाल श्रम जारी रखता है तो उसे एक से तीन साल तक की जेल हो सकती है
किशोर को रोजगार देने के नियम
किशोरों को रोजगार देते समय कुछ सामान्य नियमों का पालन किया जाना चाहिए.
- एक दिन में एक किशोर को एक बार में अधिकतम 3 घंटे की अवधि के लिए ही लगातार काम करने के लिए लगाया जा सकता है.
-तीन घंटे काम के बाद एक घंटे के ब्रेक का हकदार होगा.
-एक दिन में 6 घंटे से अधिक काम नहीं कराया जा सकता. इसमें काम के इंतजार में बिताए और उनका ब्रेक का समय भी शामिल है.
-शाम 7 बजे से सुबह के 8 बजे के बीच काम नहीं कराया जा सकता.
-किसी भी बच्चे को ओवरटाइम काम करने की आवश्यकता नहीं होगी और न ही उसे अनुमति दी जाएगी. अर्थार उसे सामान्य कार्य घंटों से अधिक काम नहीं कराया जा सकता.
-एक ही दिन में दो नियोक्ताओं के साथ काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
साप्ताहिक अवकाश
-एक प्रतिष्ठान में नियोजित प्रत्येक बच्चे को प्रत्येक सप्ताह में एक पूरे दिन का अवकाश दिया जाएगा.
-यह दिन नियोक्ता द्वारा कार्यस्थल पर एक नोटिस में निर्दिष्ट किया जाएगा. नियोक्ता द्वारा इस निर्दिष्ट अवकाश दिवस को तीन महीने में सिर्फ एक बार बदलने की अनुमति है.
सजा का प्रावधान
यदि आप एक नियोक्ता के रूप में, काम के घंटे और दिनों के विषय में कानून का पालन करने में विफल होते हैं और अपने कर्तव्यों को पूरा नहीं करते, तो आपको एक महीने की अधिकतम अवधि के लिए जेल या अधिकतम 10,000 रुपये का जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है.