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मादक पदार्थ से सम्बंधित अपराध है अक्षम्य- इस राज्य सरकार ने अपराधियों की संपत्तियों को किया कुर्क और ध्वस्त

हरियाणा सरकार ने मादक पदार्थ तस्करों पर लगाम लगाने के लिए जिस स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत कार्रवाई की है, उस कानून के बारे में समझते हैं और जानते हैं कि उसके तहत कितने साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

Written By My Lord Team | Published : April 7, 2023 8:29 AM IST

नई दिल्ली: हरियाणा सरकार ने मादक पदार्थ तस्करों पर लगाम लगाने के लिए अब तक 41 तस्करों की 37.29 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है. साथ ही, स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत अपराधों में शामिल 77 व्यक्तियों की संपत्तियों को भी ध्वस्त किया गया, न्यूज एजेंसी भाषा के अनुसार.

हरियाणा के मुख्य सचिव संजीव कौशल ने बृहस्पतिवार को भाषा से राज्य सरकार द्वारा मादक पदार्थ तस्करों पर लगाम लगाने के लिए उठाये गए प्रभावी कदमों के बारें में बताया. मुख्य सचिव ने कहा कि राज्य में निर्धारित दवाओं की आपूर्ति और उपयोग पर भी नजर रखी जाए और अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे जिलों में नशा मुक्ति केंद्रों का नियमित दौरा और औचक निरीक्षण करें.

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हरियाणा सरकार ने मादक पदार्थ तस्करों पर लगाम लगाने के लिए जिस स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम, 1985 के तहत कार्रवाई की है, अब उस कानून के बारे में समझते हैं की वो क्या है और इसके तहत कितने साल की सजा का प्रावधान किया गया है.

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स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम

नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट को ही हिंदी में स्वापक औषधि और मनः प्रभावी पदार्थ अधिनियम -1985 कहा जाता है जिसके अनुसार देश में गांजा रखना अवैध घोषित किया गया लेकिन इसकी खपत और उपज को देखते हुए सरकार ने लाइसेंस प्रणाली शुरू की. जिसके तहत गांजे का सेवन करने वाले व्यक्ति को लाइसेंस के आधार पर प्रतिमाह 500 ग्राम से लेकर 1 किलोग्राम तक की अनुमति दी गयी.

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गांजे का सेवन वर्तमान NDPS Act के अंतर्गत अवैध माना जाता है. गांजे का सेवन करने, अपने पास रखने, अवैध खेती या व्यापार करने पर मात्रा के आधार पर छह महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है.

NDPS Act के तहत उन मामलों में कार्रवाई की जाती है, जो ड्रग्स से जुड़े होते हैं. इस कानून को नशीली दवा और मादक पदार्थ अधिनियम 1985 भी कहा जाता है. इस कानून के तहत किसी व्यक्ति को मादक दवाओं के निर्माण, उत्पादन, खेती, स्वामित्व, खरीद, भण्डारण, परिवहन, उपभोग करने या रखने के लिए प्रतिबंधित करता है.

NDPS एक्ट की धारा 20

NDPS Act 20 के तहत कैनेबी यानी भांग के पौधे को उगाने को प्रतिबंधित करता है. साथ ही उत्पादन, खरीद फरोख्त, परिवहन, आयात निर्यात के साथ ही पज़ेशन यानी इस पौधे के उत्पाद गांजे को रखना भी दंडनीय है. इसके लिए कठोर कैद की सजा का प्रावधान है, जो मात्रा के हिसाब से तय हो सकती है.

मात्रा के साथ बढ़ती सजा

गांजा रखने के लिए सज़ा इस बात पर तय होती है कि उसकी मात्रा कितनी है. अगर यह कमर्शियल मात्रा में है तो ज़्यादा मात्रा वाली सजा का प्रावधान लागू होता है और अगर कम से कमर्शियल मात्रा के बीच है तो 10 साल तक की कठोर कैद और एक लाख रुपये तक जुर्माना संभव है.

गांजा रखने के लिहाज़ से 1 किलोग्राम तक की मात्रा को कम मात्रा में रखा गया हैं. अगर किसी व्यक्ति के पास से 1 किलोग्राम तक की मात्रा में गांजा पाया जाता है तो उसे छह महीने या एक साल तक कठोर कारावास की सजा के साथ ही 10 हज़ार रुपये तक जुर्माना भी लगाया जा सकता हैं. अपराध के आधार पर अदालत दोनो सजाए भी एक साथ दे सकती है.

10 से 20 साल तक की सजा

गांजा रखने की कमर्शियल मात्रा 1 किलोग्राम से 20 किलोग्राम तक है. इसके बीच की मात्रा यानी 1 किलोग्राम से ज़्यादा और 20 किलोग्राम की मात्रा के मामले में अपराधी को कम से कम 10 साल तक का कठोर कारावास और 1 लाख रुपये के जुर्माने की सजा से दण्डित किया जाएगा.

गांजे की 20 किलोग्राम से ज्यादा मात्रा होने पर कम से कम एक लाख रुपये के जुर्माने के साथ ही 20 साल तक की आजीवन कारावास की कठोर कैद की सजा का प्रावधान है.इस तरह के अपराध के मामलो में आसानी से जमानत नहीं होती और हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से ही जमानत हो पाती है.

अधिकांश मामलों में अदालत भी अपराधी को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर देती है जिसके बाद आधी सजा गुजरने के बाद ही उन्हे अन्य राहत मिल पाती है.

आपको बता दे की मादक पदार्थ की तस्करी में लिप्त अपराधियों के खिलाफ राज्य सरकारें कठोर कदम उठा रही है और हरियाणा सरकार की कार्यवाही उसका क उदाहरण है.