सार्वजनिक जगहों पर पोस्टर न चिपकाएं, जेल हो सकती है, जानिये ये नियम
नई दिल्ली: हम सभी घर के बाहर निकलते ही सार्वजनिक स्थलों पर चिपके हुए पोस्टर अक्सर देखतें है और इसमें ज्यादातर किसी वस्तु का विज्ञापन करने के लिए या लोगों को जागरूक करने के लिए, या किसी अन्य उद्देश्य के लिए होते हैं. पोस्टर चिपकाना भले ही महत्वपूर्ण या गंभीर कार्य न लगे लेकिन पोस्टर चिपकाना भी आपको मुसीबत में डाल सकता है यह शायद पता न हो और हाँ इसकी वजह से आपको गिरफ्तार भी किया जा सकता है.
हाल ही में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रधानमंत्री मोदी नरेंद्र मोदी के पोस्टर चिपकाने के लिए 100 से अधिक लोगो के खिलाफ FIR दर्ज की गई हैं, जिसमे से 6 को गिरफ्तार भी किया गया है. तो क्या पीएम का पोस्टर लगाना अपराध या जुर्म है?
नहीं, पीएम का पोस्टर लगाना कोई जुर्म नहीं है और न ही उनके खिलाफ इस वजह से FIR दर्ज की गई है. यह कार्यवाही दिल्ली संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 और प्रेस और पुस्तकों का पंजीकरण अधनियम, 1867 के उल्लंघन की वजह से की गई है तो आइए जानते हैं क्या है ये अधिनियम.
प्रिंटर का उल्लेख किए बिना पोस्टर चिपकाना अपराध है.
आपको बता दें कि प्रेस और पुस्तकों का पंजीकरण अधिनियम की धारा 3 में कहा गया है कि भारत में मुद्रित होने वाले प्रत्येक कागज या पुस्तक में मुद्रक का नाम, या उस स्थान का नाम होना चाहिए जहां यह छपा है और यदि यह एक पुस्तक है तो इसमें प्रकाशक का नाम और प्रकाशन स्थान का भी उल्लेख होना चाहिए.
दिल्ली में सड़क पर पीएम का पोस्टर चिपकाने पर लोगों की गिरफ़्तारी इसलिए हुई कि पोस्टर में प्रिंटर या इसे किसने छापा है, इसका कोई ज़िक्र नहीं था, जो अधिनियम और इस धारा का उल्लंघन है .
ऐसे कार्य अधिनियम की धारा 12 के तहत मना किया गया है और इसमें कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो इस तरह के कृत्य का दोषी पाया जाता है वह 2000 रुपये का जुर्माना देने के लिए उत्तरदायी होगा, या 6 महीने तक की कैद या दोनों हो सकती है.
अधिनियम में इससे सम्बंधित अन्य नियम क्या है?
यह अधिनियम न केवल पोस्टर या पुस्तक के लिए है बल्कि भारत में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र या किसी भी पेपर या पैम्फलेट के प्रकाशन को नियंत्रित करता है.
अधिनियम की धारा 5, देश में समाचार पत्र के प्रकाशन के लिए नियम निर्धारित करती है, जहां यह कहा गया है कि प्रत्येक समाचार पत्र की प्रत्येक प्रति में मालिक और उसके संपादक का नाम स्पष्ट रूप से उल्लेखित होना चाहिए और इसके प्रकाशन की तिथि भी साथ में होनी चाहिए. मुद्रक को यह घोषणापत्र भी देना होता है कि वह उस समाचार पत्र के मुद्रक में है जिसका सत्यापन मजिस्ट्रेट द्वारा किया जायेगा.
जबकि पुस्तकों के लिए यह अधिनियम कहता है कि प्रत्येक पुस्तक जो इस अधिनियम के लागू होने के बाद भारत में छपी है वह राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी को प्रेस से भेजे जाने के एक महीने के भीतर भेजी जानी चाहिए.
संपत्ति का विरूपण एक अपराध है
दिल्ली संपत्ति विरूपण निवारण अधिनियम, 2007 के अनुसार, कोई भी व्यक्ति जो ऐसा कुछ भी करता है जो किसी संपत्ति की सुंदरता को नुकसान पहुँचाता है या बिगाड़ता है, तो उसे अधिनियम की धारा 3 के तहत अपराध माना यह सार्वजनिक दृश्य में किसी भी संपत्ति को शामिल करता है, जिसे लोग देख सकते हैं, लेकिन इस धारा में किसी भी उपलब्ध माध्यम से मालिक का नाम और पता लिखना या अंकित करना शामिल नहीं है.
पीएम के पोस्टर चिपकाने के आरोप में गिरफ्तार लोगों को इस तरह के पोस्टर चिपकाकर सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में इस अधिनियम की इस धारा के तहत गिरफ्तार किया गया था. इसलिए यदि हम सार्वजनिक दृश्य में कोई पोस्टर चिपकाते हैं, जो संपत्ति की सुंदरता को खराब करता है, तो इसे इस अधिनियम के तहत अपराध माना जाएगा.
अधिनियम की धारा 3 के तहत दोषी व्यक्तियों को एक वर्ष तक की कैद या पचास हजार रुपये का जुर्माना या दोनों का भुगतान करने के लिए आदेशित किया जा सकता है. बता दे कि यह अधिनियम केवल NCT दिल्ली में ही लागू है और किसी अन्य राज्य या स्थान पर नहीं, क्योंकि अन्य राज्यों के अपने पृथक कानून हैं इस सन्दर्भ में .