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सरकारी अधिकारी के आदेश की अवहेलना अपराध है, जाने क्या है IPC में सजा

अगर कोई व्यक्ति लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहता है तो वो अपराधी माना जाएगा और IPC के तहत वह सजा का भागीदार होगा

Written By My Lord Team | Published : February 24, 2023 1:08 PM IST

नई दिल्ली: देश का हर नागरिक कानून का पालन करने के लिए बाध्य है. अगर कोई व्यक्ति कानून के आदेशों के खिलाफ जाने की कोशिश करता है तो वो अपराधी माना जाता है और इसके लिए उसे भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code-IPC) के तहत दण्डित भी किया जा सकता है. कुछ ऐसे ही अपराध का जिक्र किया गया है IPC की धारा 174 में और 174A में.

लोक सेवक एक पब्लिक सर्वेंट को कहा जाता है जो सरकार कर्मचारी या अधिकारी के रूप में काम करता है. वह सरकार द्वारा भेजे गए आदेशों को या समन को जनता के पास पहुंचाता है जिसका पालन करने के लिए हर व्यक्ति बाध्य है. अगर कोई जानबूझकर लोक सेवक के काम में बाधा डालने की कोशिश करेगा तो वो सजा का भागीदार होगा.

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IPC की धारा 174

इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर - हाजिर रहता है तो वो अपराधी माना जाएगा जिसके लिए उसे सजा दी जाएगी. अर्थात अगर किसी व्यक्ति के लिए लोक सेवक द्वारा कोई समन, सूचना, या आदेश या उद्घोषणा निकाला गया है जिसके तहत उस व्यक्ति को एक निश्चित समय पर एक निश्चित जगह पर हाजिर होना है, यह जानते हुए भी की इस आदेश का पालन अनिवार्य है वह व्यक्ति गैर- हाजिर रहता है या फिर समय से पहले जाकर बिना उस काम को पूरा किए वापस लौट जाता है तो ऐसा करना एक अपराध माना जाएगा.

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अगर कोई व्यक्ति इस धारा के तहत बताए गए अपराध को अंजाम देता है तो ऐसा करने वाला कानून के नजर में सजा का पात्र होगा. इसके तहत दोषी को एक सादे कारावास की सजा दी जाएगी जिसकी अवधि एक महीना हो सकता है या जुर्माना लगाया जा सकता है जो पांच सौ रुपए हो सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.

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वहीं अगर किसी व्यक्ति को अदालत में पेश होने के लिए समन, सूचना, या आदेश या उद्घोषणा निकाला गया है और वह व्यक्ति हाजिर नहीं होता तो वह भी एक अपराध है.

इस अपराध के लिए दोषी को एक निश्चित अवधि के कारावास से दंडित किया जाएगा जिसकी अवधि छ: महीने हो सकती है या एक हजार रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.

IPC की धारा 174A

जब भी किसी व्यक्ति को अदालत बुलाती है तो उसका हाजिर होना अनिवार्य है. अगर कोई उसे मानने से इंकार करता है या गैर हाजिर रहता है तो वह दोषी माना जाएगा. इस धारा के अनुसार " 1974 के अधिनियम 2 की धारा 82 के अधीन किसी उद्घोषणा के उत्तर में गैर- हाजिर" अर्थात जो कोई भी दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 82 की उपधारा (1) के अधीन निकाले गए किसी उद्घोषणा में बताए गए किसी जगह पर या समय पर हाजिर नहीं होगा वो सजा का पात्र माना जाएगा.

इसके तहत अपराधी को तीन साल की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा दी जा सकती है.

वहीं अगर दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 82 की उपधारा (4) के अधीन कोई ऐसी घोषणा की गई है जिसमें किसी व्यक्ति को अपराधी घोषित किया गया है, वो अगर निश्चित समय या जगह पर नहीं पहुंचता तो उसे सात साल की जेल या जुर्माना लगाया जा सकता है.