अगर प्राथमिकी दर्ज IPC में हुई हो तो आगे की कार्यवाही 'किस कानून' से होगी? दिल्ली हाईकोर्ट ने पहेली सुलझा दिया
FIR Under IPC, Proceeding Under BNSS: अपराधिक कानून लागू होने के बाद से लोगों के मन में उत्सुकता होनी सामान्य सी बात है कि अब शिकायत दर्ज करने में क्या बदलाव होगा, सुनवाई कैसे होगी? अगर FIR इंडियन पीनल कोड (IPC) के तहत दर्ज की गई है, तो उसकी सुनवाई क्या पुराने कानून के तहत होगी?
कुछ जवाबों को लेकर तो सुधी स्वयं ही जवाब ढ़ूढ़ चुके होंगे. उदाहरण के तौर पर पुराने कानून हटाए जा चुके हैं. तो आगे की कार्यवाही उसके तहत होनी नहीं है. और कुछ सवालों के जवाब उच्च और उच्चतम न्यायालय अपने स्तर से दे रही है ताकि नए कानून को विधिवत पालन में किसी प्रकार की समस्या न हो.
आपके अगले उलझन की ओर आते है कि अगर FIR इंडियन पीनल कोड के तहत लिखी गई है तो क्या आगे की सुनवाई कैसे होगी. इस पर दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि प्राथमिकी IPC के तहत हुई है फिर भी उस पर आगे की कार्यवाही नए कानून के तहत होगी.
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दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस अनूप जैराम भम्भाणी की पीठ रेप के मामले में आरोपी की अग्रिम जमानत की मांग याचिका पर सुनवाई के दौरान ये बातें कही.
जस्टिस ने कहा,
हालांकि वर्तमान याचिका दंड प्रक्रिया संहिता 1973 (CrPC) के प्रावधानों के तहत दायर की गई है, लेकिन इस अदालत की राय में, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) की धारा 531(2)(ए) के अनुसार, सीआरपीसी के तहत कार्यवाही केवल उन मामलों में “निपटाई, जारी, आयोजित या की जानी है” जहां ऐसी कार्यवाही, जैसे “कोई अपील, आवेदन, परीक्षण, इनक्वायरी या जांच…”, बीएनएसएस के लागू होने की तारीख यानी 01.07.2024 से ठीक पहले लंबित थी.
अदालत वर्तमान याचिका की आगे की सुनवाई के लिए उसे सीआरपीसी की जगह बीएनएनएस के तहत कार्यवाही को आगे बढ़ाने को तैयार हुआ.
अदालत ने कहा,
इन परिस्थितियों में, चूंकि वर्तमान याचिका 01.07.2024 के बाद दायर की गई है, इस अदालत की राय में, वर्तमान याचिका को BNSS के तहत दाखिल की जानी चाहिए थी. किसी भी अनावश्यक देरी को रोकने के लिए, वर्तमान याचिका को बीएनएसएस की धारा 482 (सीआरपीसी की धारा 482 की जगह) के अनुसार सुनी जाएगी.
अदालत कार्यवाही में अनावश्यक देरी से बचने के लिए मामले को बदलाव के सुझाव देकर BNSS के तहत सुनवाई करने को आगे बढ़ाने के निर्देश दिए.
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 531: भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 531 कहती है कि सीआरपीसी को रद्द कर दिया गया है लेकिन लंबित कार्यवाही पुराने कानून के तहत जारी रहेगी.
Case Title: प्रिंस बनाम दिल्ली राज्य एवं अन्य