भीम आर्मी के चीफ चंद्रशेखर के हमलावरों के खिलाफ SC-ST एक्ट में दर्ज हुआ केस, जानें इस अधिनियम के तहत सजा का प्राविधान
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के देवबंद में भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर पर बुधवार की शाम को जानलेवा हमला हुआ है, जिसमें एक गोली उनको छूते हुए निकल गई. इसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, और सहारनपुर के देवबंद थाने में चंद्रशेखर की तरफ से एफआईआर दर्ज की गई. दर्ज केस में हत्या के प्रयास के साथ-साथ एससी-एसटी एक्ट भी लगाया गया है. आइये जानते है क्या है एससी/एसटी एक्ट और इसके तहत सजा का प्रावधान.
हमारे देश मे जातिवाद और जातीय भेद-भाव से सम्बंधित मामलों पर लगाम लगाने के लिए ,SC/ST Act 1989 को पारित किया गया, ताकि समाज में इस दुर्भावना से किये गए अपराध को रोका जा सके, आइये विस्तार से इस एक्ट के बारे में जानते है।
एससी/एसटी कानून क्या है
1950 में जब भारतीय संविधान लागू हुआ तो उसके बाद भी कुछ वर्ग के लोग अपने अधिकारों से वंचित रह गए थे। और लगातार सामाजिक भेदभाव व अत्याचार का शिकार होते रहे, इसलिए एससी/एसटी कानून को वर्ष 1989 के द्वारा सामाजिक और आर्थिक रूप से अनुसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति पर हो रहे अत्याचारों को रोका जाए। एससी/एसटी एक्ट को हरिजन एक्ट के नाम से भी जाना जाता है।
Also Read
- धर्म बदलने के बाद 'दलित व्यक्ति' SC-ST Act के तहत FIR दर्ज नहीं करवा सकते: Andhra Pradesh HC
- क्या एडॉप्शन डेट सेम रखते हुए आज प्रियंबल बदलाव संभव है? Supreme Court ने सोशलिस्ट और सेकुलर शब्दों को हटाने की मांग पर कहा
- मद्रास हाईकोर्ट ने सभी मंदिरों में गैर-हिंदुओं की एंट्री पर लगाई रोक, कहा- मंदिर कोई पिकनिक स्पॉट नहीं है
एससी-एसटी (हरिजन) एक्ट कब लगता है
एससी-एसटी एक्ट या हरिजन एक्ट उस व्यक्ति पर लगता है, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो को छोड़कर किसी अन्य वर्ग से संबंध रखता है और किसी भी तरह से किसी एससी/एसटी वर्ग के लोगो पर अत्याचार करता या उनका अपमान करता है, तो उसके खिलाफ अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 के तहत कानूनी कार्यवाही की जाती है।
इस समुदाय कि किसी महिला का अनादर करने या उसकी लज्जा को भंग करने के आशय से हमला या बल प्रयोग करना, इस वर्ग के किसी सदस्य को अपना मकान, गांव या अन्य निवास स्थान छोड़ने के लिए मजबूर करना, एसटी एससी वर्ग के किसी व्यक्ति का सामाजिक रुप से बहिष्कार कर देने पर, किसी हरिजन व्यक्ति को नौकरी या काम ना देने पर ,सार्वजनिक जगहों जैसे मंदिर, अस्पताल, स्कूल आदि में जाने से रोकने की कोशिश करने पर, और वोट देने के अधिकार से रोकना या जबरदस्ती बल का प्रयोग कर अपने किसी खास व्यक्ति को वोट देने के लिए मजबूर करना इत्यादि शामिल है।
एससी/एसटी अधिनियम के तहत अपराध और सजा का प्रावधान
इस अधिनियम के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के खिलाफ बलात्कार, हमला, अपहरण और हत्या जैसे अपराध शामिल हैं। इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने से पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
उपेक्षा के अपराध से तात्पर्य ये है कि अगर लोक सेवकों द्वारा कर्तव्यों की उपेक्षा, कार्यस्थल और निवास के स्थानों के निरीक्षण में जानबूझकर चूक करना और अपराध दर्ज करने से इनकार करना शामिल है। इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने से एक साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
इन पर झूठे एफआइआर करवाना या आरोप लगाना भी इसमें शामिल है। इस तरह के अपराधों के लिए छह महीने से एक साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
सुदामा गिरि एवं अन्य बनाम झारखण्ड राज्य (2009 )
इस मामले में अपीलार्थी ने अभिकथित रूप से सूचनादाता को "चमार" कहा और उस पर एवं उसकी पत्नी पर हमला किया। सूचनादाता के प्रस्तुत साक्षियों द्वारा यह कथन किया गया कि हमला हुआ था।
चिकित्सक ने चिकित्सीय जाँच में सूचनादाता, उसकी पत्नी एवं अन्य व्यक्तियों के शरीर पर साधारण चोटें पाई। लेकिन इस सबके बावजूद अपीलार्थी द्वारा उसे लोक स्थान पर "चमार" कहने का कोई साक्ष्य नहीं था। इन तथ्यों और अभिलेख पर साक्ष्यों की पृष्ठभूमि में न्यायालय ने यह धारित किया कि अपीलार्थी केवल भारतीय दण्ड संहिता की धारा 323 और 448 के अधीन दोषसिद्ध किये जाने के दायी हैं, लेकिन अधिनियम की धारा 3 के अधीन दोषसिद्ध किये जाने के दायी नहीं हैं।