क्या LMV लाइसेंस पर 7500 kg तक के ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकते हैं लोग? सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इस पर फैसला देगी कि क्या लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस होल्डर्स ऐसे ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने के अधिकारी है, जिनका वजन 7500 किलोग्राम से कम हो. 2017 में तीन जजों की बेंच ने तय किया था कि 7500 किलोग्राम वजन वाले( बिना किसी सामान) के ट्रांसपोर्ट वाहन को हल्के वाहन में ही गिना जाएगा यानि LMV लाइसेंस धारक भी ऐसे वाहन चला सकते है. इसके खिलाफ कई बीमा कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. 2022 में तीन जजों की बेंच ने ये मसला आगे विचार के लिए संविधान पीठ को भेज दिया था, अब सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों संवैधानिक पीठ इस पर फैसला सुनाएगी.
लोगो की आजीविका और रेगुलेशन से जुड़ा मामला
सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक बेंच लाइट व्हेकिल लाइसेंस से 7500 किलोग्राम से कम से कम के ट्रांसपोर्ट व्हेकिल को चला सकता है या नही. पीठ में जस्टिस मनोज मिश्रा जस्टिस हृषिकेश, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस पंकल मिथल शामिल हैं.
संविधान पीठ जो फैसला देगी वो ऐसे हज़ारों लोगों की रोजगार को प्रभावित करेगा जो लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस का इस्तेमाल लोगों और सामान को ट्रांसपोर्ट करने के लिए करते है. अभी इंश्योरेंस कंपनियां ऐसे क्लेम के पेमेंट पर सवाल उठा रही हैं, जिसमें LMV लाइसेंस धारकों के ट्रांसपोर्ट व्हीकल चलाने से एक्सीडेंट हुआ हो. कल के फैसले से इस पर स्पष्टता आएगी कि क्या LMV लाइसेंस होल्डर्स की ओर से ली गई इंश्योरेंस पॉलिसी उन एक्सीडेंट को भी कवर करेगी जब वो ट्रांसपोर्ट वाहन चला रहे हो.
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बता दें कि पांच जजों की बेंच के पास ये मामला तीन जजों की पीठ ने साल 2022 में भेजा था, जिसमें जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसआर भट्ट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा थे.
कैसे शुरू हुआ LMV और ट्रांसपोर्ट वाहन लाइसेंस का मामला?
यह मामला मुकुंद देवांगन और ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी के बीच से शुरू हुआ, जिसमें मुख्य सवाल यह था कि क्या लाइट मोटर व्हेकिल (LMV) लाइसेंस पर 7500 से कम वजन के ट्रांसपोर्ट वाहन को चलाने की इजाजत दी जा सकती है या नहीं. साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने कहा कि LMV लाइसेंस धारक 7500 कम वजन के ट्रांसपोर्ट वाहन चला सकते हैं.
यह मामला आम लोगों के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि गांव-घर में लोग अपने एलएमवी लाइसेंस पर ही ट्रांसपोर्ट वाहन चला लेते हैं. साथ ही ये मामला रूल और रेगुलेशन से भी जुड़ा है. ऐसी ही दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ने पर इंश्योंरेस कंपनियों ने दावा किया कि LMV लाइसेंस पर ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने पर कंपनी मुआवजा देने की हकदार नहीं हैं
साल2022 में बजाज एलियांज बनाम रंभा देवी मामले में इंश्योरेंस कंपनी ने दावा कि सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने अपने फैसले में मोटर व्हेकिल अधिनियम के सेक्शन 10(2)डी की अनदेखी की है.
कंपनी ने दावा किया कि सुप्रीम कोर्ट ने देवांगन मामले में LMV लाइसेंस धारक को हल्के ट्रांसपोर्ट वाहन चलाने की इजाजत देना उचित नहीं हैं. बीमा कंपनियों में अपने तर्क रखे हैं कि LMV लाइसेंस और ट्रांसपोर्ट वाहन के लाइसेंस लेने में काफी अंतर है.
LMV और ट्रांसपोर्ट व्हेकिल लाइसेंस में अंतर
- लाइट मोटर व्हेकिल लाइसेंस किसी नागरिक को 18 साल की उम्र में मिलता हैं, वही ट्रासपोर्ट व्हेकिल लाइसेंस 20 वर्ष की उम्र में बनता है.
- LMV लाइसेंस 20 साल के लिए वैलिड रहता है, उसके बाद रिन्युअल करवाना होता है. वहीं ट्रांसपोर्ट लाइसेंस तीन साल के लिए ही वैलिड होता है.
अब देखना दिलचस्प रहेगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या फैसला सुनाती है..