Happy Women's Day: क्या पुरुष पुलिस अधिकारी कर सकता है महिला को गिरफ्तार? जानिए आरोपित महिलाओं की गिरफतारी से जुड़े विशेष कानून
नई दिल्ली: महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमारे देश के कानून में कई प्रावधान किए गए हैं, जिनमें महिला अभियुक्त के अधिकारों का भी उल्लेख है. महिलाएं सामाजिक बुराइयों के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं, इसलिए अगर आरोपी एक महिला है, तो गिरफ्तारी की उचित प्रक्रिया और अधिकारों को जानना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है.
कानून के अनुसार एक महिला को "शिकार" बनने से बचाने और उसे सुरक्षा प्रदान करने के लिए CrPC में महिलाओं की गिरफ्तारी से लेकर गिरफ्तारी के बाद के लिए सख्त दिशानिर्देशों, प्रक्रिया और अधिकारों का प्रावधान किया गया है.
ये प्रावधान इस सिद्धांत पर आधारित हैं कि हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का समान अधिकार है, चाहे वह आरोपी पुरुष या महिला हो या कोई पीड़ित.
महिलाओं के सम्मान के लिए
हमारे देश में महिलाओं के सम्मान को बनाए रखने के लिए यूं तो संविधान के तहत कई अधिकार दिए गए है. लेकिन गिरफ्तारी के दौरान महिला की सुरक्षा को मद्देनजर रखते हुए CODE OF CRIMINAL PROCEDURE यानी CrPC में कई ऐसे प्रावधान किए गए है, यहां तक की गिरफ्तारी के बाद से लेकर एक सजायाफ्ता महिला कैदी के लिए भी विशेष प्रावधान किए गए है.
CrPC की धारा 46 और संशोधन अधिनियम, 2005 की धारा 46 (4) के अनुसार एक महिला की गिरफ्तारी के संबंध में मूल प्रक्रिया निर्धारित की गई है. किसी भी महिला की गिरफ्तारी के समय इस प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य किया गया है.
CrPC की धारा 46(4) के अनुसार सामान्य परिस्थितियों में सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पहले किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है.
असाधारण परिस्थितियां होने पर जिस थाना के अधिकार क्षेत्र में अपराध किया गया है या जिस क्षेत्र में गिरफ्तारी की जानी है, उस थाना क्षेत्र की महिला पुलिस अधिकारी द्वारा लिखित रिपोर्ट बनाकर प्रथम श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की पूर्व अनुमति प्राप्त करने के बाद ही ऐसी गिरफ्तारी की जा सकती है.
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, किसी भी महिला को केवल महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही गिरफ्तार किया जा सकता है.
शीला बरसे बनाम महाराष्ट्र राज्य (1983) के केस में देश की सर्वोच्च अदालत यानी Supreme Court ने भी स्पष्ट किया है कि गिरफ्तार करने वाले पुलिस अधिकारियों का यह कर्तव्य है कि वे ये सुनिश्चित करें की गिरफ्तार महिलाओं को पुरुषों से अलग किया जाए और महिला लॉक-अप में रखा जाए. पुलिस स्टेशन में अलग लॉकअप न होने की स्थिति में महिलाओं को अलग कमरे में रखा जाएगा.
CrPC की धारा 160(1)
इस धारा के अनुसार महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने या उनके निवास स्थान के अलावा अन्य किसी स्थान पर नहीं बुलाया जा सकता. इसमें यह भी प्रावधान किया गया है कि 15 वर्ष से कम आयु के पुरुष और किसी महिला को अपने निवास स्थान के अलावा किसी अन्य स्थान पर पूछताछ के लिए उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं होगी.
तलाशी की प्रक्रिया
CrPC में महिलाओं की तलाशी लेने की प्रक्रिया को भी स्पष्ट किया गया है. धारा 47 व धारा 51 के तहत महिलाओं के लिए अलग प्रावधान के साथ तलाशी करने की प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है.
CrPC की धारा 46(1)
इस प्रावधान के अनुसार किसी भी महिला की गिरफ्तारी के समय उसे हिरासत में सौंपने की मौखिक सूचना दी जाएगी. इस धारा में कहा गया है कि जब तक कि परिस्थितियां बेहद विपरीत ना हो या जब तक कि पुलिस अधिकारी एक महिला न हो, आरोपी महिला को गिरफ्तार करने के लिए स्पर्श नहीं करेगा.
CrPC की धारा धारा 47(2)
इस धारा के अनुसार जिस महिला की गिरफ्तारी की जानी है या जिस परिसर की तलाशी ली जानी है और महिला की गिरफ्तारी के लिए जो पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी वारंट का पालन कर रहा है, उसके लिए ये अनिवार्य है कि ऐसा पुलिस अधिकारी या व्यक्ति तलाशी शुरू करने से पहले उस महिला को तलाशी रद्द करने के उसके अधिकार के बारे में एक नोटिस देगा.
CrPC की धारा धारा 51(2)
CrPC की इस धारा के प्रावधान के अनुसार जब कभी किसी महिला की तलाशी लेना आवश्यक हो तो किसी दूसरी महिला द्वारा पूरी शालीनता के साथ तलाशी की जाए.
महिला अभियुक्त का मेडिकल परीक्षण
ऐसे मामलों में जहां अपराध हुआ है और जांच अधिकारी को उचित संदेह है कि आरोपी महिला की चिकित्सीय जांच से किए जाने से अपराध से संबंधित सबूतों में मदद मिलेगी. ऐसी स्थिति में CrPC की धारा 53(1) के अनुसार एक पुलिस अधिकारी जो सब-इंस्पेक्टर के पद से नीचे का न हो एक रजिस्टर्ड डॉक्टर या सद्भावना से काम करने वाला कोई अन्य व्यक्ति से अनुरोध कर ऐसी जांच कर सकता है.
CrPC की धारा 53(2)
इस धारा के अनुसार, जब भी किसी महिला की जांच की जा रही हो, तो जांच महिला पंजीकृत चिकित्सक द्वारा या उसकी देखरेख में ही की जाएगी.
एक पंजीकृत चिकित्सक को लेकर भी CrPC में स्पष्ट किया गया है. धारा 53 के स्पष्टीकरण के खंड (b) में कहा गया है कि एक चिकित्सा व्यवसायी एक "पंजीकृत चिकित्सक" वह है जिसके पास भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम, 1956 की धारा 2 (h) के तहत वर्णित आवश्यक योग्यताएं हैं और उस चिकित्सक का नाम राज्य चिकित्सा रजिस्टर में दर्ज किया गया है.
सुरक्षा का दायित्व
महिला से पूछताछ या गिरफ्तारी के दौरान पुलिस अधिकारियों या महिला कांस्टेबलों द्वारा महिलाओं की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना अनिवार्य है.
गर्भवती महिलाओं को सभी आवश्यक प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल प्रदान किया जाना चाहिए और इनके के लिए प्रतिबंधों को अंतिम उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए, यह ध्यान में रखते हुए कि उनकी सुरक्षा और उनके भ्रूण की सुरक्षा से कभी समझौता न हो या कभी भी जोखिम में नहीं डाला जाना चाहिए.
प्रसव के दौरान किसी महिला अभियुक्त पर दबाव नहीं बनाया जा सकता या नियंत्रित किया हुआ नहीं होना चाहिए.
गिरफ्तार महिला के अधिकार
कानून के अनुसार प्रत्येक गिरफ्तार महिला को चाहे वह आरोपी ही क्यों ना हो,गिरफ्तारी के बाद कुछ विशेष रूप से आवंटित अधिकारों के साथ कुछ सामान्य अधिकार भी प्रदान किए गए हैं, ताकि उनकी लज्जा बना रहे.
मुफ्त कानूनी सहायता
संविधान के अनुच्छेद 39A के तहत, महिलाओं को मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार है. यह राज्य की जिम्मेदारी होगी कि जो महिला दीवानी या फौजदारी कार्यवाही का खर्च वहन करने में अक्षम हैं, उस महिला को कानून की अदालत में उचित प्रतिनिधित्व के लिए राज्य के खर्च पर पर्याप्त कानूनी सहायता प्रदान किया जाए.
CrPC की धारा 304 के तहत, राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण कानूनी कार्यवाही की लागत को वहन करेगा जिसमें मुद्रण और अनुवाद की लागत से लेकर वकील की फीस तक शामिल है.
हाथापाई और हथकड़ी लगाना
CrPC की धारा 46 (1) के अनुसार एक महिला को गिरफ्तार करने वाला अधिकारी महिला के शरीर को नहीं छू सकता, जब तक कि शब्द या क्रिया द्वारा हिरासत में प्रस्तुत नहीं किया जाता है. इसके अलावा, अगर किसी आरोपी महिला को छूना, उसकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए आवश्यक है, तो यह केवल एक महिला पुलिस अधिकारी द्वारा या अति आवश्यक स्थितियों में ही किया जा सकता है.
गिरफ्तारी और जमानत की सूचना
CrPC की धारा 50(1) के प्रावधानों के अनुसार, गिरफ्तार महिला अपनी गिरफ्तारी के आधार के बारे में जानकारी इकट्ठा करने का हकदार है, और पुलिस अधिकारी या गिरफ्तारी करने वाला कोई अन्य व्यक्ति उसे इसके बारे में सूचित करेगा.
CrPC की धारा 50 (2) के तहत, एक महिला को गैर-जमानती अपराध के अलावा किसी अन्य अपराध के लिए वारंट के बिना गिरफ्तारी के बाद जमानत पर रिहा होने के उसके अधिकार के बारे में सूचित किया जाएगा. और उसकी ओर से जमानत की व्यवस्था भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
नजरबंदी के दौरान
एक पुलिस अधिकारी किसी गिरफ्तार व्यक्ति को सामान्य परिस्थितियों में 24 घंटे से अधिक (यात्रा का समय को छोड़कर) अपनी हिरासत में रखने के लिए अधिकृत नहीं है. नैतिक मानदंडों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए पुरुषों और महिलाओं को एक ही हवालात में नहीं रखा जा सकता है.
रिश्तेदारों को सूचना
किसी महिला को गिरफ्तार करते समय, पुलिस अधिकारी का यह कर्तव्य है कि वह गिरफ्तारी और गिरफ्तार किए गए महिला के स्थान की जानकारी उसके किसी भी रिश्तेदार या दोस्त को, चाहे वह कोई भी हो तत्काल उपलब्ध कराए.