BNS की धारा 194 और 195: पब्लिक प्लेस में हंगामा और छुड़ाने गई पुलिस से की हाथापाई, तो जानिए क्या होगी सजा- कितना लगेगा जुर्माना
Bhartiyay Nyay Sanhita: भारतीय न्याय संहिता 2023 देश में होने वाले अपराधों की परिभाषा और उनके लिए सज़ा का प्रावधान करता है. भारतीय न्याय संहिता ने भारतीय पीनल कोड(IPC) की जगह ली है. भारतीय न्याय संहिता को समयानुकूल बनाने की कोशिश की गई है. कानून को दण्डात्मक की जगह सुधारात्मक नजरिए पर जोर दिया गया है. आज के इस विषय में हम बात करने जा रहे भारतीय न्याय संहिता की धारा 194 और 195 के बारे में जो दंगे को परिभाषित, उसमें शामिल में या रोक लगाने आई पुलिस के काम में अवरोध डालने या धमकी देने पर क्या सजा होगी, इस बात को बताती है.आइये जानते हैं....
भारतीय न्याय संहिता की धारा 194: दंगा
भारतीय न्याय संहिता की धारा 194, पब्लिक प्लेस में उपद्रव करने, झगड़ा करने व दंगा फैलाने के घटनाक्रम का जिक्र करती है. न्याय संहिता इन कृत्यों को अपराध बताती है, व इन एक्टिविटी में शामिल व्यक्तियों के खिलाफ सजा का प्रावधान करती है. धारा 194(1) दंगा की व्याख्या करती है. वहीं धारा 194(2) दंगे में शामिल व्यक्ति को होनेवाली संभावित सजा के बारे में बताती है.
बीएनएस की धारा 194(1): जब दो या दो से अधिक व्यक्ति सार्वजनिक जगहों पर आपस में लड़कर, हो-हल्ला मचाकर लोक शांति भंग करते हैं, तो इस कृत्य को दंगा-फसाद करना कहा जाता है. इससे आम नागरिक को होने वाली परेशानी है, जो सार्वजनिक जगहों की शांति-व्यवस्था भंग होती है.
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बीएनएस की धारा 194(2): (2) जो कोई दंगा करेगा या उसमें शामिल होगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जो एक महीने तक बढ़ाया जा सकता है, या जुर्माने से, जो एक हजार रुपये तक बढ़ाया जा सकता है, या दोनों से, दंडित किया जाएगा.
भारतीय न्याय संहिता की धारा 195: पुलिस अधिकारी से झड़प
भारतीय न्याय संहिता की धारा 194 दंगे को परिभाषित करती है साथ ही इसमें शामिल व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान करती है. वहीं भारतीय न्याय संहिता की धारा 195 दंगे को काबू करने पहुंची पुलिस के काम में बाधा डालने पर सजा की बात कहती है.
195. (1) जो कोई किसी पब्लिक सर्वेंट पर हमला करेगा या उसके काम में बाधा अवरोध पैदा करेगा या किसी लोक सेवक पर, जो विधिविरुद्ध जनसमूह को तितर-बितर करने या दंगा दबाने का प्रयास कर रहा है, ऐसे लोक सेवक हमला करेगा, उस व्यक्ति को दोनों में से किसी भांति के कारावास से, जिसकी अवधि तीन वर्ष तक की हो सकेगी, या जुर्माने से, जो पच्चीस हजार रुपए से कम नहीं होगा, से दंडित किया जाएगा.
(2) जो कोई किसी लोक सेवक पर हमला करने की धमकी देगा या बाधा डालने का प्रयास करेगा, उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास से, जिसे एक वर्ष तक बढ़ाया जा सकेगा, अथवा जुर्माने से, अथवा दोनों से, दंडित किया जाएगा.