फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट लगाना पड़ सकता है महंगा! जानिये IPC के तहत सजा
नई दिल्ली: देश में नागरिकों के लिए कानून और संविधान में कई अधिकार निहित हैं लेकिन साथ ही, लोग यदि कुछ गलत करते हैं या अपने अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं, तो ये दंडनीय अपराध है। ऐसा ही एक अपराध फर्जी सर्टिफिकेट या अन्य दस्तावेज बनवाना है। फर्जी काम करना गलत है और काम पाने के लिए या कहीं एड्मिशन लेने के लिए फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट लगाना आपको महंगा पड़ सकता है।
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की कौन सी धाराओं के तहत इसके खिलाफ सजा मिल सकती है और यह सजा क्या है, आइए जानते हैं.
फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट लगाना है दंडनीय अपराध
फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट लगाना या फिर किसी भी तरह की जालसाजी करना भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत एक दंडनीय अपराध है। आईपीसी की किन धाराओं के तहत आपको सजा मिल सकती है, जानिए.
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IPC की धारा 465 'जालसाजी के लिए सजा' (Punishment for Forgery) पर है। इस धारा के तहत अगर आप किसी भी प्रकार की जालसाजी करते हैं तो आपको दो साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है या आप पर आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है, या फिर आपको जेल की सजा और जुर्माना, दोनों भुगतना पड़ सकता है।
IPC की धारा 468 में 'धोखा देने के उद्देश्य से जालसाजी' (Forgery for Purpose of Cheating) का क्या परिणाम होता है, इस बारे में लिखा है। आईपीसी की धारा 468 के तहत यदि कोई धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी करता है तो उसे सात साल तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है और साथ में उसपर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
आईपीसी की धारा 471 'जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को वास्तविक रूप में इस्तेमाल करने' (Using as genuine a forged document or electronic record) को लेकर है। इस धारा के तहत, यदि कोई एक फर्जी दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करता पकड़ा जाएगा, उसे वही सजा मिलेगी जो दास्तावेजों की जालसाजी करने पर दी जाती है।
फर्जी सर्टिफिकेट का मामला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल ही में केरल उच्च न्यायालय में एक फर्जी एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट लगाने का मामला आया जिसमें आरोपी ने जमानत हेतु याचिका दायर की है। समाचार एजेंसी आईएएनएस (IANS) के अनुसार, एसएफआई की नेता के विद्या पर सरकारी महाराजाज कॉलेज के प्रधानाचार्य के जाली हस्ताक्षर और मुहर का उपयोग कर फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र (एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट) बनाने का आरोप लगाया गया है।
मामले में विद्या ने अग्रिम जमानत के लिए केरल हाईकोर्ट का रुख किया है। जमानत अर्जी पर कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। पुलिस के मुताबिक, विद्या ने केरल के सरकारी कॉलेजों में गेस्ट लेक्चरर की नौकरी पाने के लिए एक्सपीरियंस सर्टिफिकेट में फर्जीवाड़ा किया था। केरल पुलिस के सूत्रों ने आईएएनएस को यह भी बताया कि आरोपी ने शुक्रवार को गुपचुप तरीके से जमानत अर्जी दाखिल की थी।
अट्टापडी गवर्नमेंट कॉलेज, पलक्कड़ और करिन्थलम आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज, नीलेश्वरम, कासरगोड के प्रिंसिपल ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके अतिथि व्याख्याता पद के साक्षात्कार के लिए उपस्थित होने को लेकर विद्या के खिलाफ गैर-जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया है।