स्टार्ट-अप का है प्लान, तो जान लें ये अहम बातें
नई दिल्ली: हमारे देश में स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने और उनके लिए अनुकूल वातावरण बनाने के लिए 'स्टार्टअप इंडिया' पहल की घोषणा की है. इससे लोगों को अपना व्यापार खोलने और व्यावसायिक विचारों को अमल में लाने के लिए बहुत प्रोत्साहित किया जा रहा है.
29 अगस्त 2022, तक हमारे देश 656 जिलों में 77,000 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे थे. इन स्टार्टअप में भी 107 यूनिकॉर्न स्टार्टअप थे, जिनकी संख्या 2021 में केवल 41 थी. स्टार्टअप और एमएसएमई की नींव पर केन्द्र सरकार ने "आत्मनिर्भर भारत मिशन" और "मेक इन इंडिया मिशन" की शुरुआत की थी.
हमारे देश में स्टार्टअप का मुख्य उद्देश्य अधिक रोजगार पैदा करना, निर्यात बढ़ाना, लाखों भारतीयों के जीवन स्तर में सुधार करना और भारत को विश्व स्तर पर मजबूत बनाना है.
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भारत में किसी भी विधान में "स्टार्टअप" शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है. हालाँकि स्टार्टअप को लेकर भारतीय सरकार द्वारा कई स्कीम (scheme) शुरू की गई हैं. स्टार्टअप को मान्यता प्रदान करने के लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं और इसका बीड़ा उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) को दिया गया है.
मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया
1 'स्टार्टअप' के रूप में मान्यता की प्रक्रिया उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा स्थापित एक ऑनलाइन आवेदन के माध्यम से होगी.
2 इसके लिए https://www.startupindia.gov.in/content/sih/en/startup-scheme.html से आवेदन किया जा सकता है. आवेदन के साथ कुछ दस्तावेज़ भी जमा करने होंगे. पंजीकरण प्रमाण पत्र की एक प्रति भी संलग्न करनी होगी.
3 आपके व्यवसाय का प्रकार क्या है, इसके बारे में एक लेख के रूप में जानकारी देनी होगी. जिसके तहत आपको ये बताना होगा कि आपके उत्पादों या प्रक्रियाओं या सेवाओं के नवाचार, विकास या सुधार की दिशा में कैसे काम कर रहा है, या रोजगार बढ़ाने या धन कमाने के संदर्भ में इसका क्या योगदान है.
4 उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) कुछ अन्य दस्तावेज़ों की मांग का सकता है. इसके बाद, दस्तावेज़ों की जांच करने के बाद निर्णय लेगा कि स्टार्टअप को मान्यता दी जानी चाहिए या नहीं.
मान्यता प्राप्त करने के फायदे
1. धारा 80 आईएसी (80IAC) टैक्स छूट
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त स्टार्टअप, आयकर अधिनियम की धारा 80 IAC के तहत टैक्स छूट के लिए आवेदन कर सकते हैं। टैक्स छूट के लिए मंजूरी मिलने के बाद, स्टार्टअप अपने निगमन (Incorporation) के बाद से अपने पहले दस वर्षों में से लगातार 3 वित्तीय वर्षों के लिए कर अवकाश का लाभ उठा सकता है।
किन स्टार्टअप को मिल सकती हैं आयकर छूट (80IAC)
80 IAC के तहत आयकर छूट के लिए स्टार्टअप को मान्यता प्राप्त स्टार्टअप होना चाहिए. केवल प्राइवेट लिमिटेड या लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (Limited Liability Partnership) ही धारा 80IAC के तहत टैक्स छूट के लिए आवेदन कर सकती हैं.साथ ही स्टार्टअप का पंजीकरण 1 अप्रैल, 2016 के बाद होना आवश्यक है.
एंजेल टैक्स छूट
मान्यता प्राप्त करने के बाद स्टार्टअप आयकर अधिनियम की धारा 56 के तहत एंजेल टैक्स छूट के लिए भी आवेदन कर सकते हैं. इसके तहत डीपीआईआईटी से मान्यता प्राप्त स्टार्टअप को छूट मिलती है. जिनके शेयर के प्रस्तावित निर्गमन (Issuance) के बाद स्टार्टअप की चुकता शेयर पूंजी (Paid-up Share Capital) और शेयर प्रीमियम की कुल राशि, Rs 25 करोड़ से अधिक नहीं है.
भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 233 के अनुसार, स्टार्टअप कंपनी के किसी अन्य स्टार्टअप कंपनी या छोटी कंपनी (Small Company) के साथ विलय (Merger) के लिए प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। जिससे उनका विकास करने में बहुत मदद मिलेगी।
भारतीय सरकार द्वारा, ऐसे ही कई कदम उठाए गए हैं जिससे स्टार्टअप और उद्यमिता को बहुत बढ़ावा और प्रोत्साहन मिला है। सरकार द्वारा बनाए गए प्रावधानों ने मौजूदा स्टार्टअप्स और व्यवसायों का समर्थन करने के साथ-साथ नए उद्यमियों और छात्रों में व्यवसाय शुरू करने और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया है।