Advertisement

सरकार और अदालत के आदेश के बिना YouTube पर वीडियो हटाने का दबाव नहीं बना सकते: Kerala HC

केरल हाईकोर्ट ने श्रेया सिंघल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि धारा 79(3)(बी) यह सुनिश्चित करती है कि गूगल और फेसबुक जैसे मध्यस्थों (Inermediary) को हर कंटेट को हटाने के अनुरोध का इवैल्यूट करना ना पड़े.

Written By Satyam Kumar | Published : December 8, 2024 2:03 AM IST

हाल ही में केरल हाईकोर्ट ने यूट्यूब वीडियो को अपमानजनक बताकर हटाने के निर्देश देने की मांग वाली याचिका खारिज करते हुए कहा कि आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 79 के अनुसार, YouTube को अदालत के आदेश या सरकारी निर्देश के बिना वीडियो कंटेट हटाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है. केरल हाईकोर्ट का ये फैसला एक याचिका पर आया है, जिसमें मार्थोमा चर्च और उसके बिशप से जुड़े एक वीडियो को अपमानजनक बताते हुए एक वीडियो को हटाने की मांग की गई थी.

यूट्यूब जैसे मध्यस्थों को वीडियो हटाने का दबाव नहीं बनाया जा सकता: HC

Advertisement

केरल हाईकोर्ट में जस्टिस टीआर रवि की पीठ ने मामले की सुनवाई की. जस्टिस ने कहा कि यूट्यूब जैसे इंटरमीडियरी प्लेटफॉर्म को किसी वीडियो को ऐसे ही हटाने का आदेश नहीं दे सकते हैं. जैसा कि पाठकों ने भी गौर किया होगा कि यूट्यूब अपने नाम के साथ वीडियो शेयरिंग कंपनी लिखती है. इंटरमीडियरी का मतलब होता है पब्लिशर और ऑडियंस के बीच की कड़ी है.

Also Read

More News

याचिका खारिज करने के दौरान अदालत ने आईटी अधिनियम की धारा 69A जिक्र करते हुए कहा कि किसी कंटेट को ब्लॉक करना केवल तब ही स्वीकार्य है वह यह भारत की संप्रभुता, सुरक्षा या सार्वजनिक व्यवस्था का उल्लंघन करता हो.अदालत ने कहा कि सामग्री को मानहानिकारक बताने के अलावा कोई विशेष आरोप नहीं है, जो इसे भारत की संप्रभुता और अखंडता से संबंधित किसी संज्ञेय अपराध को भड़काने के रूप में दर्शाता हो.

Advertisement

इस दौरान केरल हाईकोर्ट ने श्रेया सिंघल मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाते हुए कहा कि धारा 79(3)(बी) यह सुनिश्चित करती है कि गूगल और फेसबुक जैसे मध्यस्थों (Inermediary) को हर कंटेट को हटाने के अनुरोध का इवैल्यूट करने में परेशानी न हो. केरल हाईकोर्ट ने कहा कि ये धारा यह सुनिश्चित करती है कि अगर अदालत या सरकार से निर्देश प्राप्त होने पर सोशल मीडिया इंटरमीडियरी को उसके अनुरूप त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए.

क्या है IT Act की धारा 79?

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 79, मध्यस्थ कंपनियां जैसे यूट्यूब आदि को कुछ मामलों से छूट देती है, जैसे कि प्लेटफॉर्म पर मौजूद चीजें की जबावदेही उसके पब्लिशर की होगी. हालांकि, किसी भी सूचना के गलत प्रसार को रोकना प्लेटफॉर्म की जिम्मेदारी है, लेकिन आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत प्लेटफॉर्म पर मौजूद चीजे की उत्तरदायित्व उसके पब्लिशर पर होगी, ना कि यूट्यूब या किसी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर.

केस टाइटल: अनीश के थंकाचन बनाम भारत संघ और अन्य (Aneesh K Thankachan v Union of India & ors)