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स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना का कैसे ले सकते हैं लाभ?

भारत सरकार द्वारा 'स्टार्ट-अप इंडिया सीड फंड' को शुरू करने का लक्ष्य यह है कि भारत में स्टार्टअप्स को फंड से संबन्धित समस्याएं उत्पन्न ना हों.

Written By My Lord Team | Published : February 8, 2023 11:01 AM IST

नई दिल्ली: उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (DPIIT) ने 945 करोड़ रुपये के बजट के साथ स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना (SISFS) शुरू की है जिसका उद्देश्य कंपनियों को अवधारणा का प्रमाण (Proof of Concept), प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण (Product Testing), बाजार में प्रवेश करना (Market Entrance) और व्यावसायीकरण के साथ मदद करना है.

यह योजना स्टार्टअप को उस हद तक प्रगति करने में मदद करेगा, जिसके बाद वे एंजेल निवेशकों या उद्यम पूंजीपतियों (Venture Capitalists) से आसानी से फंडिंग प्राप्त कर पाएंगे, और साथ ही उनको वाणिज्यिक बैंकों (Commercial Banks) या वित्तीय संस्थानों से क़र्ज़/लोन प्राप्त करने में भी मदद होगी.

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इस योजना के जरिए स्टार्टअप को आर्थिक रूप से बहुत सहायता मिलेगी, क्योंकि अवधारणा परीक्षणों के प्रमाण (Proof of Concept Trials) से गुजरने के लिए नए विचारों वाली स्टार्टअप कंपनियों के लिए फंडिंग बहुत महत्वपूर्ण है.

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इस योजना के दो महत्वपूर्ण अंग हैं, एक है इन्क्यूबेटर्स (Incubators) और दूसरे हैं स्टार्टअप (Startup), सरकार इस योजना के अंतर्गत इन्क्यूबेटर्स को फंड मुहैया करवाएगी और यह इन्क्यूबेटर्स स्टार्टअप्स को आगे फंडिंग देने के लिए जिम्मेदार होंगे. अगले 4 वर्षों में सरकार ने 300 इन्क्यूबेटर्स की मदद से 3600 स्टार्टअप्स को फंडिंग देने का लक्ष्य रखा है.

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कौन होते हैं इन्क्यूबेटर्स?

स्टार्टअप इनक्यूबेटर ऐसे संस्थान होते हैं जो उद्यमियों (Entrepreneurs) को अपना व्यवसाय विकसित करने में मदद करते हैं, खासकर शुरुआती चरणों में. इनक्यूबेशन का काम आमतौर पर उन संस्थानों द्वारा किया जाता है, जिनके पास बिजनेस और प्रौद्योगिकी (Technology) की दुनिया का अनुभव होता है.

इनक्यूबेटर समर्थन में तकनीकी सुविधाएं और सलाह, प्रारंभिक विकास निधि, नेटवर्क, सह-कार्यस्थल, प्रयोगशाला सुविधाएं, सलाह और सलाहकार सहायता प्रदान करना शामिल है. शुरुआती चरण के संरक्षक के रूप में, इनक्यूबेटर स्टार्टअप इकोसिस्टम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

योजना के लिए पात्रता के मापदंड

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड योजना के लिए आवेदन करने के योग्य होने के लिए स्टार्टअप के लिए निम्नलिखित आवश्यकताएं हैं:

1. एक स्टार्टअप जिसे डीपीआईआईटी (DPIIT) द्वारा मान्यता प्राप्त है और आवेदन के समय दो साल से कम समय से अस्तित्व में है.

2. एक स्टार्टअप के पास किसी उत्पाद या सेवा के लिए एक व्यवसाय योजना होनी चाहिए जो बाजार के अनुकूल, व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य और स्केलेबल हो.

3. स्टार्टअप के मौलिक उत्पाद या सेवा, व्यापार रणनीति (Business Strategy), वितरण प्रवाह (Distribution System), या तकनीक से सम्बंधित सभी समस्याओं को हल करने के लिए प्रौद्योगिकी (Technology) का उपयोग कर रहे हैं.

4. सामाजिक प्रभाव वाले, अपशिष्ट प्रबंधन (Waste Management), जल प्रबंधन, वित्तीय समावेशन, शिक्षा, कृषि, खाद्य प्रसंस्करण (Food Processing), स्वास्थ्य देखभाल, ऊर्जा, रक्षा, अंतरिक्ष, रेलवे, तेल और गैस, कपड़ा, और अन्य जैसे क्षेत्रों में नवीन समाधान विकसित करने वाले स्टार्टअप को प्राथमिकता दी जाएगी.

5. किसी केंद्र या राज्य सरकार की अन्य योजना के तहत स्टार्टअप को 10 लाख रुपये से अधिक की वित्तीय सहायता प्रदान नहीं की जानी चाहिए. इसमें प्रतियोगिताओं से प्राप्त पुरस्कार राशि, रियायती कार्यालय स्थान, उद्यमी के लिए मासिक वेतन, प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल या प्रोटोटाइप सुविधा तक पहुंच शामिल नहीं है.

6. कंपनी अधिनियम, 2013 और सेबी (ICDR) विनियमों, 2018 के अनुसार, योजना के तहत इनक्यूबेटर से फंडिंग प्राप्त करने के लिए आवेदन करते समय भारतीय प्रमोटरों के पास स्टार्टअप का कम से कम 51 % हिस्सा होना चाहिए.

इनक्यूबेटर के लिए पात्रता मापदंड

स्टार्टअप इंडिया सीड फंड के लिए आवेदन करने के योग्य होने के लिए इनक्यूबेटर के लिए निम्नलिखित आवश्यकताएं हैं:

1. इनक्यूबेटर एक कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त इकाई होना चाहिए:

a) सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पंजीकृत एक सोसायटी, या

b) भारतीय ट्रस्ट अधिनियम, 1882 के तहत पंजीकृत एक ट्रस्ट, या

c) कंपनी अधिनियम, 1956 या कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी, या

d) एक वैधानिक निकाय या कानून द्वारा स्थापित कोई इकाई ही इनक्यूबेटर बन सकती है.

2. योजना के लिए आवेदन के समय, इनक्यूबेटर कम से कम दो वर्षों के लिए सक्रिय होना चाहिए.

3. इनक्यूबेटर कम से कम 25 लोगों को समायोजित करने में सक्षम होना चाहिए.

4. आवेदन के समय, इनक्यूबेटर के पास कम से कम 5 स्टार्टअप को इनक्यूबेट करने की प्रक्रिया में होने चाहिए.

5. इनक्यूबेटर के पास कंपनी के विकास और उद्यमिता में अनुभव के साथ एक पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी होना चाहिए, साथ ही विचार परीक्षण और सत्यापन, साथ ही वित्त, कानूनी और मानव संसाधन जैसे क्षेत्रों में स्टार्टअप की सहायता के लिए एक कुशल कर्मचारी होना चाहिए.

6. इनक्यूबेटर को किसी अन्य निजी कंपनी से फंड लेकर स्टार्टअप्स को सीड फंड का मुहैया करवा रहा है तो वह इनक्यूबेटर अयोग्य होगा.

7. इनक्यूबेटर को केंद्र या राज्य सरकार से धन प्राप्त होना चाहिए.

8. अगर इनक्यूबेटर को केंद्र या राज्य सरकारों से कोई सहायता नहीं मिली है:

i. कम से कम तीन वर्षों के लिए, इनक्यूबेटर का संचालन होना चाहिए; और

ii. कम से कम 10 अनूठी कंपनियों को आवेदन की तिथि पर उस इनक्यूबेटर में इनक्यूबेट किया जा रहा होना चाहिए; और

iii. पिछले दो वर्षों की लेखापरीक्षित वार्षिक रिपोर्ट (Audited Yearly Reports) प्रस्तुत की जानी चाहिए.

9. कोई अन्य मानदंड जिस पर विशेषज्ञ सलाहकार समिति (Expert Advisory Committee of DPIIT) निर्णय ले सकती है.

अगर इनक्यूबेटर उपरोक्त सभी मानदंडों को पूरा करता है तो सरकार द्वारा उसे फंड प्रदान किए जाते हैं. जिसके बाद इनक्यूबेटर, स्टार्टअप्स के आवेदनों की समीक्षा करते हैं और यदि स्टार्टअप उपरोक्त सभी मानदंडों को पूरा करते हैं तो वह इनक्यूबेटर सरकार द्वारा दिए गए फंड की मदद से स्टार्टअप्स को फंडिंग देता है और उनके विकास में अहम भूमिका निभाता है.