इंडियन रेसिंग लीग' पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट का इंकार
नई दिल्ली, आईपीएल की तर्ज पर देश में शहर की सड़कों पर पहली बार आयोजित होने वाली कारों की रेस 'इंडियन रेसिंग लीग' के प्रशंसकों के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने 19 नवंबर को होने वाली 'इंडियन रेसिंग लीग' पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. इंडियन रेसिंग लीग शहर आधारित कार रेसिंग चैम्पियनशिप है जिसमें आईपीएल की तर्ज पर प्रतिस्पर्धा करने वाली 6 टीमें शामिल होगी.
हैदराबाद से लीग का उद्घाटन
'इंडियन रेसिंग लीग' की शुरुआत 19 और 20 नवंबर को हैदराबाद से होगी. जब शहर की हुसैन सागर झील के किनारे इस लीग की उद्घाटन संस्करण की पहली रेस आयोजित होगी. लीग चार राउंड में आयोजित की जाएगी, पहला और चौथा राउंड हैदराबाद के हैदराबाद स्ट्रीट सर्किट में होगा और दूसरा और तीसरा राउंड चेन्नई के मद्रास इंटरनेशनल सर्किट में आयोजित किया जाएगा.
इस रेस पर रोक लगाने को लेकर NAVJEET HARJINDER GADHOKE की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. याचिका में हैदराबाद और चेन्नई में 19 नवंबर से 11 दिसंबर, 2022 के बीच होने वाली इंडियन रेसिंग लीग के आयोजन के लिए दी गई मंजूरी को रद्द करने की मांग गयी थी. साथ ही रेस के लिए जारी किए गए वैधानिक अनुमति पत्र या लाइसेंस के साथ अन्य दस्तावेजों को अदालत के सामने लाने की मांग भी रखी गयी.
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प्रशासक नियुक्त करने की मांग
याचिका में भारतीय राष्ट्रीय खेल विकास संहिता, 2011 की पालना कराने, देश के भीतर खेल चैंपियनशिप आयोजन के लिए मॉडल ढांचा तैयार करने के साथ ही लीग के वित्तीय विवरण और प्रबंधन और संचालन का मूल्यांकन करने के लिए एक प्रशासक नियुक्त करने की मांग की गयी.
याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस यशवंत वर्मा ने लीग पर रोक लगाने से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता लीग से जुड़े प्रतिवादी में एक निवेशक, शेयरधारक और निदेशक भी है, इस मामले में याचिकाकर्ता और प्रतिवादियों के बीच प्रबंधकीय विवाद प्रतीत होता है.
हस्तक्षेप करने से इंकार
एकलपीठ ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता, जो स्वीकार्य रूप से एक निवेशक, शेयरधारक और चौथे प्रतिवादी में एक निदेशक है, मुख्य रूप से चौथे प्रतिवादी द्वारा बैठकों के संचालन के तरीके और उसमें पारित विभिन्न प्रस्तावों के संबंध में एक शिकायत उठाता है. इस मामले को देखते हुए, अदालत को याचिकाकर्ता के इशारे पर उठाई गई चुनौती पर विचार करने या 19 नवंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम में हस्तक्षेप करने का कोई औचित्य नहीं मिला.
इसके साथ ही हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए बिंदुओं के आधार पर याचिका को स्वीकार करने या लीग में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज करने के आदेश दिए.