Yasin Malik को बिना निर्देश अदालत में पेशी के लिए मौजूद देख उड़े Supreme Court जजों के होश!
नई दिल्ली: कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) ने, जो तिहार जेल में एक टेरर फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, 21 जुलाई, 2023 को एक बेहद हैरान करने वाला काम किया है। यासीन मलिक बिना किसी निर्देश के उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) में एक मामले में पेश हो गए जिसे देखकर न्यायाधीशों के होश उड़ गए!
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यासीन मलिक जिस मामले की सुनवाई के लिए अदालत पहुंचे, वो केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (Central Bureau of Investigation) की एक याचिका पर थी।
बिना निर्देश SC लेकर आए गए Yasin Malik को
यह मुकदमा शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता (Justice Dipankar Datta) और न्यायाधीश सूर्य कांत (Justice Surya Kant) की पीठ के समक्ष लिस्टेड था; इसकी सुनवाई नहीं हुई क्योंकि जस्टिस दत्ता ने खुद को सुनवाई से रिक्लूज कर लिया था।
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सुनवाई तो नहीं हुई लेकिन दोनों न्यायाधीश अपनी अदालत में यासीन मलिक को मौजूद देख हक्का-बक्का रह गए! जैसा कि हमने आपको अभी बताया, यासीन मलिक की पेशी हेतु मौजूदगी का कोई भी निर्देश कोर्ट ने पारित नहीं किया था और इसलिए उन्हें कोर्ट में देख दोनों न्यायाधीशों के होश उड़ गए!
बता दें कि सीबीआई ने यह याचिका जम्मू कोर्ट के एक स्पेशल ऑर्डर के खिलाफ दायर की गई थी जिसमें जम्मू में कानूनी कार्यवाही के लिए यासीन मलिक की भौतिक रूप में उपस्थिति की मांग की गई थी। यह उपस्थिति दो मामलों में गवाहों के क्रॉस-इग्जैमिनेशन के लिए थी; एक मामला चार आईएएफ (IAF) कर्मियों के मर्डर का था और दूसरा मामला पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद (Mufti Muhammad Sayeed) की बेटी रुबइया सईद (Rubaiya Sayeed) के अपहरण का था जो 1989 में हुआ था।
यासीन मलिक ने जेल प्राधिकारिण से किया 'अनुरोध'
मीडिया रिपोर्ट्स का यह कहना है कि यासीन मलिक को अदालत की तरफ से तो भौतिक उपस्थिति का कोई निर्देश नहीं मिला था लेकिन उन्होंने जेल प्राधिकरण से 'अनुरोध' किया था कि वो मामले में खुद मौजूद रहना चाहते हैं। उनकी 'रिक्वेस्ट' पर सशस्त्र सुरक्षाकर्मियों के साथ यासीन मलिक को जेल से अदालत लेकर आया गया।
सॉलिसिटर जनरल ने किया सख्त विरोध
देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Tushar Mehta) ने सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की उपस्थिति का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि इस तरह बिना रेजिस्ट्रार की अनुमति के उपस्थिति गलत है। एसजी (SG) ने जेल के अधिकारियों पर भी गुस्सा व्यक्त किया और पीठ को सूचित किया कि यासीन मलिक को इस तरह जेल से बाहर नहीं लाया जा सकता है, उसपर 'आपराधिक प्रक्रिया संहिता' की धारा 268 (Section 268 of The Criminal Procedure Code) लगी हुई है।
इतना ही नहीं, एसजी तुषार मेहता ने गृह सचिव (Home Secretary) को इस मामले में लिखित रूप में अपनी आपत्ति दर्ज की है और कहा है कि ऐसा शख्स जिसकी आतंकवादी और अलगाववादी पृष्टभूमि रही है, जो न केवल आतंकी फंडिंग मामले में दोषी है बल्कि पाकिस्तान में आतंकवादी संगठनों के साथ भी उसके संबंध हैं, वो भाग सकता था, जबरन ले जाया जा सकता था या मारा जा सकता था।
एसजी ने आगे कहा कि अगर कोई अप्रिय घटना घटती तो सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा को भी गंभीर ख़तरा हो सकता था। अपने पत्र में एसजी तुषार मेहता ने गृह सचिव से कहा है कि उनका मानना है कि ये एक गंभीर सुरक्षा चूक है और वो इसे एक बेहद गंभीर मामला मानते हैं। गृह सचिव को इस मामले को अपने व्यक्तिगत संज्ञान में लेना चाहियए जिससे उनकी ओर से उचित कार्रवाई की जा सके, ऐसा एसजी का मानना है।