'One Nation One Election' से देश को होगा फायदा? जानिए लॉ कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में क्या कहा
'One Nation One Election' को लेकर देश में बहस शुरू हो चुकी है. जहां केंद्र सरकार इसको लेकर संसद में पहुंचने की तैयारी कर चुकी है वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. केंद्र ने One Nation, On Election’ को लेकर एक कमेटी भी बना दी है. कमेटी का नेतृत्व पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) करेंगे. रामनाथ कोविंद देश में लोकसभा और राज्यों में विधानसभा का चुनाव एक साथ कराने के तौर-तरीके पर काम करेंगे. पीएम मोदी (PM Modi) साल 2014 से ही लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने पर जोर दे रहे हैं.
साल 2018 में भी 'One Nation One Election' लेकर बहस हुई थी तब भारत के विधि आयोग ने अपनी मसौदा सिफारिश में सुझाव दिया था कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना देश में होने वाले लगातार चुनाव को रोकने का एक समाधान है.
केंद्रीय कानून मंत्रालय को सौंपी गई मसौदा रिपोर्ट में कहा गया है कि लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने से सार्वजनिक धन की बचत होगी. प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा बलों पर बोझ कम होगा और सरकारी नीतियों का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा.
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आगे कहा गया था कि एक साथ चुनाव कराने से देश के प्रशासन को चुनाव प्रचार के बजाय विकास संबंधी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी. हालांकि, रिपोर्ट में ये भी कहा गया था कि संविधान के मौजूदा ढांचे के भीतर एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है. आयोग ने सुझाव दिया कि किसी भी नवगठित सदन को केवल मुख्य चुनाव तक ही काम करना चाहिए. ये सुनिश्चित करना है कि एक साथ चुनावों का कार्यक्रम बाधित न हो और चुनाव समकालिक हों.
आयोग ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रासंगिक प्रावधानों में संशोधन करने की भी सिफारिश की ताकि एक कैलेंडर में पड़ने वाले सभी उपचुनाव एक साथ आयोजित किए जा सकें.
हाल के संसद सत्र के दौरान कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनाव के लिए एक व्यावहारिक रोडमैप और रूपरेखा तैयार करने के लिए मामला अब आगे की जांच के लिए विधि आयोग को भेजा गया है।
संविधान एक्सपर्ट के अनुसार, अगर 'One Nation One Election' होता है तो कम से कम पांच अनुच्छेदों में संशोधन करना होगा.
दिसंबर 2022 में, भारत के 22वें विधि आयोग ने देश में एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों, विशेषज्ञों के लिए छह सवालों का एक सेट तैयार किया था. आयोग की अंतिम रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है.