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गोधरा ट्रेन कांड के 11 दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग करेंगे: गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था.

Written By My Lord Team | Published : February 20, 2023 12:00 PM IST

नई दिल्ली: गुजरात सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि वह 2002 में हुए गोधरा ट्रेन अग्निकांड मामले के उन 11 दोषियों को मौत की सजा देने पर जोर देगी जिनकी सजा को हाई कोर्ट ने आजीवन कारावास में बदल दिया था. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ( Chief Justice of India) डी.वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला की पीठ ने मामले के कई आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन सप्ताह बाद की तारीख तय की.

इसने दोनों पक्षों के वकीलों को एक समेकित चार्ट दाखिल करने के लिए कहा, जिसमें उन्हें दी गई वास्तविक सजा और अब तक जेल में बिताई गई अवधि जैसे विवरण दिए गए हों.

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गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “हम उन दोषियों को मृत्युदंड देने के लिए जोर देंगे जिनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास (गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा) में बदल दिया गया था. यह दुर्लभतम मामलों में से एक है, जहां महिलाओं और बच्चों सहित 59 लोगों को जिंदा जला दिया गया था.’’

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उन्होंने कहा कि यह सब जानते हैं कि बोगी को बाहर से बंद कर दिया गया था और महिलाओं एवं बच्चों सहित 59 लोग मारे गए. विवरण देते हुए, कानून अधिकारी ने कहा कि 11 दोषियों को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 अन्य को मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

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मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट ने इस मामले में कुल 31 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा और 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया.

गुजरात के गोधरा में 27 फरवरी, 2002 को हुए ट्रेन अग्निकांड में 59 लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद राज्य में दंगे भड़क उठे थे.

मेहता ने कहा कि राज्य सरकार 11 दोषियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने के खिलाफ अपील लेकर आई है. उन्होंने कहा कि कई आरोपियों ने मामले में अपनी दोषसिद्धि को बरकरार रखे जाने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की है. शीर्ष अदालत इस मामले में अब तक दो दोषियों को जमानत दे चुकी है. मामले में सात अन्य जमानत याचिकाएं लंबित हैं.

पीठ ने कहा कि इस मामले में उसके समक्ष बड़ी संख्या में जमानत याचिकाएं दायर की गई हैं और कहा, इस बात पर सहमति बनी है कि एओआर (एडवोकेट-ऑन रिकॉर्ड) आवेदकों की ओर से गुजरात की स्थायी वकील स्वाति घिल्डियाल के साथ, सभी प्रासंगिक विवरणों की एक व्यापक जानकारी के साथ चार्ट तैयार करेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने 30 जनवरी को इस मामले में उम्रकैद की सजा पाए कुछ दोषियों की जमानत याचिकाओं पर गुजरात सरकार से जवाब मांगा था. अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कंकत्तो, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी असला व अन्य की जमानत याचिका पर कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. दूसरी ओर, राज्य सरकार ने कहा कि यह "केवल एक पथराव" का मामला नहीं था.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा था, "कुछ लोग कह रहे हैं कि उनकी भूमिका सिर्फ पथराव थी, लेकिन जब आप किसी डिब्बे को बाहर से बंद करते हैं, उसमें आग लगाते हैं और फिर पथराव करते हैं, तो यह सिर्फ पथराव नहीं है."

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 15 दिसंबर को मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे फारूक को जमानत दे दी थी और कहा था कि वह 17 साल से जेल में है. फारुक समेत कई अन्य को साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे पर पथराव करने का दोषी ठहराया गया था.