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'पहली नजर में ही आप भ्रष्ट आदमी प्रतीत होते हैं', जानें सुप्रीम कोर्ट ने टीएमसी नेता पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर ऐसा क्यों कहा

दूसरों आरोपियों को जमानत मिलने की बात पर सुप्रीम कोर्ट ने बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री से कहा कि आप दूसरों के साथ समानता की मांग नहीं कर सकते. हां, आप जांच में देरी और अभियोजन पक्ष की भूमिका पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन मामले की गुण-दोष पर नहीं.

Written By Satyam Kumar | Updated : December 4, 2024 8:15 PM IST

सुप्रीम कोर्ट  ने कथित तौर पर नौकरी देने के बदले नकदी लेने के मामले में गिरफ्तार पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी से बुधवार को कहा कि पहली नजर में ही आप भ्रष्ट व्यक्ति प्रतीत होते हैं,  क्योंकि उनके परिसर से लाखों की बरामदगी हुई है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने  प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा लंबे समय तक हिरासत में रखे जाने पर सवाल उठाया और इस बात पर प्रकाश डाला कि चटर्जी, एक प्रमुख व्यक्ति होने के नाते, सह-आरोपी के साथ समान व्यवहार का दावा नहीं कर सकते. चटर्जी  पिछले 2.5 साल से जेल में हैं.

दूसरों के जैसे आपको राहत नहीं दी जा सकती: SC

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की पीठ ने चटर्जी की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ED) से उनके लगातार जेल में रहने पर सवाल उठाया और कहा कि उन्हें अनिश्चित काल तक कारागार में नहीं रखा जा सकता.

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पीठ ने कहा,

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"पहली नजर में आप (चटर्जी) भ्रष्ट व्यक्ति हैं. आपके परिसर से करोड़ों रुपये बरामद हुए. आप समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं? भ्रष्ट व्यक्ति को इस तरह जमानत मिल सकती है?’’

रोहतगी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को छोड़कर अन्य सभी सह-आरोपियों को मामले में जमानत दे दी गई है, जिनमें सबसे ताजा जमानत एक सप्ताह पहले दी गई है.

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इससे आपत्ति जताते हुए पीठ ने कहा,

हर कोई मंत्री नहीं था, श्रीमान रोहतगी. आप शीर्ष पर थे. आप दूसरों के साथ समानता की मांग नहीं कर सकते. हां, आप जांच में देरी और अभियोजन पक्ष की भूमिका पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन मामले की गुण-दोष पर नहीं.’’

ईडी का पक्ष रखने के लिए पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि अगर चटर्जी को इस मामले में जमानत मिल जाती है तो भी वह जेल से बाहर नहीं आ पाएंगे, क्योंकि उनके खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के भी मामले चल रहे हैं.

रोहतगी ने राजू के बयान पर आपत्ति जताते हुए कहा कि ऐसा लग रहा है कि उन्हें परपीड़ा से बहुत आनंद मिल रहा है. अन्य मामलों में जो कुछ भी होता है, मैं उस पर नजर रखूंगा. मुझे कहीं से तो शुरुआत करनी होगी। वह किस तरह की दलील दे रहे हैं? मैं 2.5 साल से जेल में हूं।’’

जस्टिस कांत ने राजू से जांच एजेंसी ईडी से जांच पूरी करने के लिए आवश्यक समय के बारे में पूछा. रोहतगी ने दलील दी कि नकदी उनके मुवक्किल से नहीं बल्कि एक कंपनी के परिसर से बरामद की गई. इसपर पीठ ने कहा कि चटर्जी का कंपनी पर वास्तविक नियंत्रण था और संपत्तियां उनके और अर्पिता मुखर्जी के संयुक्त नाम से खरीदी गई थीं.

पीठ ने कहा,

"मंत्री बनने के बाद आपने डमी लोगों को रखा. इससे पहले आपने खुद नियंत्रित किया. मामले 2022 के हैं. आप मंत्री थे, जाहिर है कि आप अपने खिलाफ जांच का आदेश नहीं देने जा रहे. न्यायिक हस्तक्षेप के कारण ही जांच शुरू हुई. आरोप है कि 28 करोड़ रुपये बरामद किए गए. निश्चित रूप से इतनी बड़ी राशि आवास में नहीं रखी गई होगी.’’

शीर्ष अदालत ने कहा कि उसे यह जांच करने की जरूरत है कि क्या उन्हें रिहा करने से जांच और लगाई जाने वाली शर्तों पर कोई प्रभाव पड़ेगा, क्योंकि उन्हें अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता.  पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद पार्थ चटर्जी की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया. शीर्ष अदालत ने 27 नवंबर की सुनवाई के दौरान धन शोधन के मामलों में दोषसिद्धि की कम दर पर ईडी से सवाल किया था और आश्चर्य जताया था कि पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री को कितने समय तक जेल में रखा जा सकता है.

क्या है पूरा मामला?

टीएमसी नेता व बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रायोजित और सहायता प्राप्त प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मियों की भर्ती में कथित अनियमितता के मामले में गिरफ्तार किया गया था. चटर्जी को गिरफ्तार किये जाने के बाद उन्हें ममता बनर्जी सरकार में मंत्री पद से हटा दिया गया जबकि पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने उन्हें महासचिव सहित सभी पार्टी पदों से भी हटा दिया.