Delhi High Court ने क्यो कहा कि Delhi University के आदेश में दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया
नई दिल्ली: Delhi High Court ने दिल्ली विश्वविद्यालय "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन" शीर्षक वाली BBC की डॉक्यूमेंट्री प्रदर्शित करने वाले छात्र नेता की याचिका पर दिल्ली विश्वविद्यालय को जवाब दाखिल करने के लिए तीन दिन का समय दिया है.
Delhi High Court एनएसयूआई के छात्र नेता लोकेश चुघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें BBC डॉक्यमेंट्री के प्रदर्शन पर चुघ को विश्वविद्यालय से प्रतिबंधित करने के आदेश को चुनौती दी गई है.
याचिका में कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन करते हुए उनके खिलाफ आदेश पारित किया और उन्हें अनुशासनात्मक प्राधिकरण द्वारा उनके खिलाफ आरोपों और निष्कर्षों के बारे में सूचित भी नहीं किया गया.
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याचिका में विश्वविद्यालय के 10 मार्च के याचिका ज्ञापन को रद्द करने और उस नोटिस को रद्द करने की मांग की गई है जिसमें कहा गया है कि चुघ कानून और व्यवस्था की गड़बड़ी में शामिल थे.
दिमाग का इस्तेमाल नहीं
याचिका पर सुनवाई के दोरान विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि इस मामले में वह कुछ दस्तावेज पेश करना चाहते हैं, जिसके कारण विश्वविद्यालय ने यह निर्णय लिया है. विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने इस मामले में अदालत से जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए समय मांगा.
विश्वविद्यालय के अधिवक्ता द्वारा समय मांगे जाने पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने विरोध करते हुए कहा कि उनकी पीएचडी थीसिस जमा करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल है और इसलिए इस मामले में को तत्काल सुनने की जरूरत है.
सुनवाई के दौरान Justice Purushaindra Kumar Kaurav ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा स्वतंत्र रूप से विचार करना चाहिए, लेकिन याचिकाकर्ता को प्रतिबंधित करने के आदेश में यह स्पष्ट नही हो रहा है. विश्वविद्यालय के आदेश पर टिप्पणी करते हुए Justice Kaurav ने कहा कि विश्वविद्यालय के आदेश में दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया है.
पीठ ने कहा कि एक बार याचिकाकर्ता के अदालत में आने के बाद उसके अधिकारों की रक्षा की जाएगी. पीठ ने विश्वविद्यालय के अधिवक्ता को जवाब देने के लिए तीन दिन का समय दिया और साथ ही विश्वविद्यालय के जवाब के प्रत्युतर के लिए याचिकाकर्ता को दो दिन का समय देते हुए मामले को 24 अप्रेल, सोमवार को सूचीबद्ध करने के निर्देश दिए है.
ये है मामला
BBC की डॉक्यूमेंट्री 'इंडिया: द मोदी क्वेश्चन' पर केन्द्र सरकार द्वारा रोक लगाए जाने के बाद देशभर में राजनीतिक दलों और छात्र संघों के अलग-अलग गुटों द्वारा इसकी स्क्रीनिंग को लेकर ठन गयी थी.
2002 गुजरात दंगों की पृष्ठभूमि पर बनी इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग रोक के बावजूद 27 जनवरी, 2023 को डीयू कैंपस में विरोध प्रदर्शन दौरान इसका प्रदर्शन किया गया.
डीयू ने इस मामले में कार्यवाही करते हुए 16 फरवरी 2023 को याचिकाकर्ता चुग को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि वह स्क्रीनिंग के दौरान विश्वविद्यालय में कानून व्यवस्था की गड़बड़ी में शामिल थे.
10 मार्च 2023 को विश्वविद्यालय प्रशास ने एक ज्ञापन जारी करते हुए विश्वविद्यालय से चुग को प्रतिबंधित कर दिया.
मौके पर मौजूद भी नहीं
लोकेश चुघ ने विश्वविद्यालय के आदेश को चुनौति देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट को बताया कि विरोध के समय वह मौके पर मौजूद भी नहीं थे और इसके बजाय मीडिया से बातचीत कर रहे थे.
जैसा कि याचिका में कहा गया याचिकाकर्ता उस समय एक लाइव साक्षात्कार दे रहा था जब कला संकाय (मुख्य परिसर) के अंदर डॉक्यमेंट्री की स्क्रीनिंग की जा रही थी. इसके बाद, पुलिस ने कथित रूप से प्रतिबंधित बीबीसी वृत्तचित्र की स्क्रीनिंग के लिए कुछ छात्रों को हिरासत में लिया और बाद में उन पर गड़बड़ी का आरोप लगाया.
लेकिन इस मामले में विशेष रूप से याचिकाकर्ता को न तो हिरासत में लिया गया और न ही पुलिस द्वारा किसी भी प्रकार की उकसाने या हिंसा या शांति भंग करने का आरोप लगाया गया.