कर्नाटक उच्च न्यायालय ने क्यों कहा 'विवाहित महिला से शादी का वादा करके उसे तोड़ना धोखा नहीं'
नई दिल्ली: कर्नाटक उच्च न्यायालय (Karnataka High Court) ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि यदि किसी शख्स ने एक विवाहित महिला से शादी का वादा करके उसे नहीं निभाया है, तो वो धोखा नहीं कहलाएगा। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ऐसा क्यों कहा और क्या था मामला, आइए जानते हैं.
HC के समक्ष आया अनूठा मामला
कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें याचिकाकर्ता पर भारतीय दंड संहिता की धारा 417, 498A, 504 और 507 के तहत कार्रवाई की जा रही है। शिकायतकर्ता का यह दावा है कि याचिकाकर्ता ने उनसे शादी का वादा किया था, उनके साथ संबंध बनाए लेकिन फिर अचानक उनके फोन उठाना बंद कर दिया और विवाह का वादा न निभाकर उनके साथ धोखा किया है।
याचिकाकर्ता का यह कहना है कि उन्होंने शिकायतकर्ता की तब आर्थिक सहायता जरूर की थी जब उन्हें जरूरत थी लेकिन कभी उनसे यह वादा नहीं किया था कि वो उनसे शादी करेंगे।
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बता दें कि शिकायतकर्ता यह मानती हैं कि उनकी शादी हो चुकी है और उनकी एक बेटी भी है लेकिन उनका कहना है कि उनके पति उन्हें छोड़कर चले गए।
याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया है कि यदि एक आदमी एक विवाहित महिला से शादी का वादा करके उसे तोड़ देता है, तो वो धोखा नहीं माना जाएगा। इस आधार पर शिकायतकर्ता की शिकायत को खारिज कर दिया गया है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीश एम नगरप्रसन्ना का ऐसा कहना है कि जब शिकायतकर्ता की पहले ही शादी हो चुकी है और उनकी एक बेटी भी है, शादी का वादा करके उसे तोड़ना यहां कोई मायने नहीं रखता है।
अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जो इस बात को साबित करे कि याचिकाकर्ता कभी भी शिकायतकर्ता के पति थे और इसलिए उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 498A के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती है।
अदालत ने यह भी कहा है कि माना याचिकाकर्ता ने शिकायतकर्ता को पैसे दिए हों लेकिन इससे वो उनके साथ एक कानूनी रिश्ता बनाने के लिए बाध्य नहीं है।