वाटर टैक्स देना अनिवार्य है, चाहे प्रॉपर्टी ओनर पानी का उपयोग नहीं करें, जानें बॉम्बे HC ने किन कारणों से सुनाया ये फैसला
Water Tax Is Mandatory: हाल ही में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि नगर निगम के क्षेत्र में आनेवाले सभी प्रॉपर्टी ओनर को जल टैक्स और जल लाभ टैक्स (Water Tax And Water Profit Tax) का भुगतान करना होगा, भले ही संपत्ति का मालिक पानी का उपयोग करता हो या नहीं. बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि बीएमसी अधिनियम, नगर निगम, को वाटर टैक्स लगाने का अधिकार देती है.
पानी उपलब्धता सुनिश्चित करनेवाली संरचनाओं के लिए देना पड़ेगा जल टैक्स और जल प्रॉफिट टैक्स: बॉम्बे हाईकोर्ट
बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस अतुल चंदुरकर, जस्टिस मनीष पिताले और जस्टिस संदीप मार्ने की फुल बेंच ने ये फैसला सुनाया जाता है. अदालत ने कहा कि जल टैक्स देना इसिलए अनिवार्य है क्योंकि उस एरिया में इस सुविधा को पहुचाने को लेकर बीएमसी अधिनियम, निगम को टैक्स लगाने का अधिकार देती है.
मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट तीन पहलुओं पर विचार कर रही थी,
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- क्या मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888(MMC, 1888) पानी के उपयोग के बिना जल टैक्स लगा सकती है?
- क्या निगम बिना पानी के उपयोग पर वाटर प्रॉफिट टैक्स लगा सकती है, जिसका उद्देश्य पानी उपलब्ध कराने की व्यवस्था को बरकरार रखना है
- जल टैक्स और जल लाभ टैक्स एक साथ लगाया जा सकता है?
अदालत ने फैसले में कहा,
मुंबई नगर निगम अधिनियम, 1888 की धारा 140 और 141 नगर निगम को क्षेत्र में जलापूर्ति की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए 'पानी कर' लगाने तथा ऐसी जलापूर्ति के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को उपलब्ध कराने और सुधारने तथा इसके रखरखाव और संचालन के लिए किए गए व्यय के भुगतान के लिए जल लाभ कर ( Water Profit Tax) लगाने का अधिकार देती है.
हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि पानी की खपत पर देनेवाले शुल्क से जल टैक्स और जल प्रॉफिट अलग होते है. ये टैक्स पानी की उपल्बधता बहाल करने पर लगाए जाएंगे.
बीएमसी ने तर्क दिया कि चाहे पानी का उपयोग हो या न हो, वह फिर भी जल कर और जल लाभ कर लगा सकती है, क्योंकि ये टैक्स जल आपूर्ति प्रदान करने और सेवाओं को बनाए रखने आदि के लिए हैं.