कौन है जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जो जस्टिस नजीर के बनेंगे उत्तराधिकारी
नई दिल्ली, देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड़ की अध्यक्षता में 13 दिसंबर को हुई कॉलेजियम की बैठक में देश की सर्वोच्च अदालत के 5 जजों की नियुक्ति की सिफारिश केन्द्र सरकार को की गई है.
कॉलेजियम ने जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस पी वी संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस मनोज मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट जज बनाए जाने की सिफारिश की है.
19 वें मुस्लिम जज
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा की गयी इस सिफारिश में सबसे ज्यादा चर्चा में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह का नाम है. केन्द्र सरकार द्वारा जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के नाम को मंजूर किए जाने पर वे देश की सर्वोच्च अदालत में 19 वें मुस्लिम जज होंगे.
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न्यायाधीश के रूप में नियुक्तिसुप्रीम कोर्ट में वर्तमान में मौजूद एकमात्र मुस्लिम जज जस्टिस एस अब्दुल नजीर 4 जनवरी 2023 में सेवानिवृत्त हो रहे हैं इसी के चलते कॉलेजियम ने उनके उत्तराधिकारी के रूप में जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के नाम की सिफारिश की है.
मूल बिहार हाईकोर्ट के जज जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह वरिष्ठता क्रम में जस्टिस अमजद एहतेशाम सैयद के बाद दूसरे नंबर पर हैं. जस्टिस अमानुल्लाह 20 जून 2011 को पटना हाईकोर्ट में जज नियुक्त किए गये थे. हाईकोर्ट जज के तौर पर उनका कार्यकाल 10 मई 2025 तक हैं.सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति होने पर उनका कार्यकाल 2027 तक रहेगा.
हाईकोर्ट जज से सुप्रीम कोर्ट जज
सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति में मुख्यतया वरिष्ठता क्रम को ध्यान में रखकर की जाती है. लेकिन कई बार कॉलेजियम किसी क्षेत्र या हाईकोर्ट को प्रतिनिधित्व देने के लिए भी इस वरिष्ठता क्रम से परे जाकर नियुक्ति करता है.देश में वर्तमान में वरिष्ठता क्रम के अनुसार हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए ए सैयद जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह से भी वरिष्ठ मुस्लिम जज हैं.
लेकिन जस्टिस एए सैयद का मूल हाईकोर्ट बॉम्बे हाईकोर्ट है और देश की सर्वोच्च अदालत में बॉम्बे हाईकोर्ट से पहले से ही प्रतिनिधित्व के रूप में 3 जज मौजूद है.
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह पटना हाईकोर्ट के मूल जज है और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में पटना हाईकोर्ट का कोई प्रतिनिधित्व नहीं हैं. देश के हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर भी एकमात्र झारखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन ही है, जो पटना हाईकोर्ट का प्रतिनिधित्व करते है उनका मूल हाई कोर्ट पटना हाईकोर्ट है.
ऐसे पटना हाईकोर्ट का क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व का सामंजस्य बनाए रखने के लिए कॉलेजियम ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं.
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के जरिए जहां देश की सर्वोच्च अदालत में पटना हाईकोर्ट को प्रतिनिधित्व देने का प्रयास किया गया है वही एक मुस्लिम जज के रूप में भी उनका चयन धर्म के आधार पर जजों की नियुक्ति के सामंजस्य को बनाए रखने में मदद करेगा.
20 साल का वकालत का सफर
बिहार के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवार में जन्मे जस्टिस अमानुल्लाह का जन्म 11 मई 1963 को हुआ था. उनके पिता स्वर्गीय नेहलुद्दीन एक दिग्गज राजनीतिक एवं सामाजिक व्यक्ति रहे है. अपनी स्कूली शिक्षा और विज्ञान में स्नातक (रसायन विज्ञान ऑनर्स) करने के बाद पटना लॉ कॉलेज से एलएलबी की डीग्री ली.
एलएलबी करने के बादद 27 सितंबर 1991 को बिहार राज्य बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में रजिस्टर्ड कराया. एक वकील के रूप में वे पटना हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में प्रेक्टिस करने लगे. वे मार्च 2006 - अगस्त 2010 तक बिहार सरकार के स्थायी वकील भी रहे.
2002 में बिहार स्टेट बार काउंसिल और 2006 में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चुनाव के लिए सहायक रिटर्निंग ऑफिसर भी रहे. एक वकील के रूप में, उन्होंने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में भारतीय प्रशासनिक सेवा परिवीक्षाधीनों को संबोधित किया. उन्होंने पटना हाईकोर्ट की किशोर न्याय समिति के अध्यक्ष, बिहार न्यायिक अकादमी में बोर्ड सदस्य, पटना हाईकोर्ट लीगल कमेटी के भी सदस्य रहें.
20 जून 2011 को उन्हे पटना हाईकोर्ट में जज नियुक्त किया गया. करीब 10 बादल उन्हे 10 अक्टूबर 2021 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में ट्रांसफर किया गया जहां उन्हें 08 नवंबर 2021 को आंध्र प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में उन्हे 20 जून 2022 को फिर से पटना हाईकोर्ट में तबादला किया. जहां वे 11 अक्टूबर 2022 को बिहार न्यायिक अकादमी के अध्यक्ष भी नियुक्त किए गए. वरिष्ठता के चलते हाल ही में 29 नवंबर 2022 को उन्हे बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया.