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IPC की धारा 117 और 118 के तहत किन अपराधों की सजा का है प्रावधान

भारतीय दंड संहिता 1860 में कई अपराध और सजा दोनों के बारे में जानकारी दी गई है. इनमें से हैं धारा 117 और 118 है. आईए जानते हैं धारा 117 और 118 में किन अपराधों के लिए सजा मिलती है.

Written By My Lord Team | Updated : January 9, 2023 8:38 AM IST

नई दिल्ली : भारतीय दंड संहिता(Indian Penal Code) 1860 में हर अपराध की प्रकृति और सजा दोनों को ही परिभाषित किया गया है. धारा 117 और 118 IPC के चैप्टर पांच के अंतर्गत आती है. आईए जानते हैं धारा 117 और 118 में किन अपराधों के लिए सजा मिलती है.

IPC की धारा 117

इसके अंतर्गत ये बताय गया है अगर 10 या 10 से ज्यादा लोगों को, किसी समुदाय को, या सार्वजनिक जगह पर जाकर भीड़ को किसी अपराध के लिए उकसाया गया है तो उकसाने वाले को तीन साल की भारी सजा हो सकती है. जुर्माना भी देना पड़ सकता है. जेल या जुर्माना दोनो हो सकता है.

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जैसे : A ने सार्वजनिक जगह जाकर भीड़ इकट्ठा किया. लोगों से दंगा फैलाने को कहा.  भीड़ ने 10 से ज्यादा लोग है. भले ही दंगा हो या नहीं. फिर भी A को धारा में बताए गए नियम अनुसार सजा मिलेगी.

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क्या है धारा 118

धारा 118 में बताया गया है कि अगर कोई किसी को ऐसे अपराध को होने में  मदद करता है जिसकी सजा मृत्यु दंड है या आजीवन कारावास है. तो मदद करने वाले को सात साल की जेल या जुर्माना  देना पड़ सकता है.

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अगर मदद करने के बाद भी अपराध नहीं होता तो मदद करने वाले को तीन साल की जेल और जुर्माना देना पड़ सकता है.

जैसे : A को पता है कि डकैती B के घर में होने वाली है. फिर भी A मजिस्ट्रेट को गुमराह करते हुए  बताता है कि डकैती C  के घर में होने वाली है. C का घर B के घर के पूरी तरह से उल्टी दिशा में है साथ ही बहुत दूर भी. यहां अगर B के घर में डकैती हो जाती है तो A धारा के अनुसार सात साल की जेल और जुर्माने का हकदार होगा.  अगर डकैती नहीं होती तो A तीन साल की जेल और जुर्माने का हकदार होगा.