हिंडनबर्ग रिसर्च कंपनी कहां की है? और इसने अपनी रिपोर्ट में अडाणी ग्रुप और सेबी प्रमुख पर क्या आरोप लगाए हैं?
Hindenburg Report: हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट होते-होते रह गई, बाजार देर रात तक संभलती भी दिखी. इस बार हिंडनबर्ग के रिपोर्ट ने जो दावे किए, वह सनसनीखेज तो है, लेकिन वे डॉक्यूमेंट्स कितने असली है, इस बात तो अभी भी संदेह में है.
चलिए बात करते हैं हिंडनबर्ग रिपोर्ट के कथित दावे को, जिसमें सेबी चेयरमैन माधबी पुरी बुच और अडाणी ग्रुप को इशारे पर लिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया कि सेबी ने अडाणी के ऑफशेयर होल्डर्स के खिलाफ कार्रवाई करने में अनदेखी की है. सेबी ने अनदेखी इसलिए की क्योंकि उसमें सेबी की वर्तमान चेयरमैन माधबी पुरी बुच की मौजूदगी है.
हिंडनबर्ग कंपनी कहां की है और क्या करती है?
कंपनी का नाम हिंडनबर्ग रिसर्च है. न्यूयॉर्क शहर में स्थित एक इंवेस्टिंग फर्म का काम है. गूगल पर सर्च करेंगे तो सामने जानकारी आएगी की 2022 के डेटा के अनुसार, कंपनी में 9 कर्मचारी है. स्टॉक मार्केट में शॉर्ट सेलिंग फोकस रखती है. (शॉर्ट सेलिंग एक अलग ही दुनिया है, जिसमें उन स्टॉक को बेचना शामिल है जो बेचनेवाले के पास है ही नहीं).
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अडाणी पर हिंडनबर्ग रिपोर्ट पहली बार नहीं!
ऐसा पहली बार नहीं है, इससे पहले 25 जनवरी, 2023 को जारी की गई हिंडनबर्ग की 106 पृष्ठों की रिपोर्ट में गौतम अडानी के अडानी समूह पर दीर्घकालिक स्टॉक हेरफेर और एकाउंटिंग फ्रॉड करने का आरोप लगाया था. मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा था. अंतत: अडाणी समूह के शेयर वापस से गति में आ गए थे.
हिंडनबर्ग ने पहले की थी रिपोर्ट आने की घोषणा
हिंडनबर्ग ने शनिवार को आरोप लगाया कि सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड (देश से बाहर) में हिस्सेदारी थी.
सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच ने आरोपों से इनकार किया है. वहीं सेबी ने कहा कि उनके पास इन मसलों से निपटने के लिए प्रर्याप्त शक्तियां और आंतरिक मैकेनिज्म है.
अडाणी ग्रुप और सेबी प्रमुख को लेकर हिंडनबर्ग रिपोर्ट का नया दावा क्या है?
हिंडनबर्ग ने ट्विटर पर 10 अगस्त के दिन एक ट्वीट किया, जिसमें भारत के लिए कुछ बड़ा होने की बात कहीं. साथ ही भारत में जिस प्रकार से West Affirmation की परंपरा है, उससे जाहिर था कि कुछ धमाकेदार होगा. वही बाजार के खिलाड़ी आश्वस्त थे कि ये मामला दोबारा से अडाणी ग्रुप से ही जुड़ा होगा. (यह दूसरी बार है जब अडाणी ग्रुप को लेकर हिंडनबर्ग ने कुछ दावा किया है.)
अब इस बार हिंडनबर्ग संस्था के घेरे में ना केवल अडाणी ग्रुप, बल्कि सेबी की चेयरपर्सन माधुरी पुरी बुच भी है.
हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने कहा कि, सेबी अडानी समूह के संदिग्ध ऑफशोर शेयरधारकों (Off Shore Shareholders, यानि देश के बाहर ) के खिलाफ कोई उचित कार्रवाई करने से पीछे हट रही है. कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं कि उन शेयरधारको में सेबी चेयरमैन शामिल है. अपने कथित आरोप के पुष्टि को लिए हिंडनबर्ग रिपोर्ट में ये भी जिक्र है कि उस फंड का इस्तेमाल गौतम अडाणी के भाई विनोद अडाणी ने भी किया था.
व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी की अध्यक्ष के पास अडानी मनी साइफनिंग घोटाले में इस्तेमाल की गई ऑफशोर संस्थाओं में हिस्सेदारी थी. इसने कहा कि सेबी ने अभी तक वेल्थ मैनेजमेंट फर्म इंडिया इंफोलाइन - ईएम रिसर्जेंट फंड और इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड्स द्वारा संचालित अन्य संदिग्ध अडानी शेयरधारकों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है. (व्हिसलवब्लोअर डॉक्यूमेंट्स, वैसे दस्तावेज जो किसी संस्था, व्यक्ति आदि के गैरकानूनी या अवैध कामों की जानकारी देते हैं.)
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि माधबी बुच ने इस बात का ख्याल रखा था कि अडानी से जुड़े खाते केवल उनके पति धवल बुच के नाम पर रजिस्टर हों, जो सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में उनकी नियुक्ति से दो सप्ताह पहले हुए थे, और बाद में उन्होंने अपने पति के नाम से फंड का यूज किया.
हिंडनबर्ग ने ये भी कथित तौर पर आरोप लगाया है कि इससे इनकार करने के बावजूद, सेबी के कार्यकाल के एक साल बाद (2018 में) होने के बाद उनके द्वारा भेजे गए एक निजी ईमेल से पता चलता है कि उन्होंने अपने पति के नाम से फंड में हिस्सेदारी बनाए रखी थी.
माधबी पुरी बुच और धवल बुच ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर दी प्रतिक्रिया
सेबी चेयरमैन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने व्यक्तिगत तौर पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हिंडनबर्ग द्वारा उल्लिखित ऑफशोर फंड में उनका निवेश 2015 में किया गया था, जब वे सिंगापुर में निजी नागरिक थे और ये बात माधबी के सेबी में पूर्णकालिक सदस्य के रूप में शामिल होने से लगभग दो साल पहले की है.
SEBI ने हिंडनबर्ग के आरोप को लेकर क्या कहा?
रविवार को नियामक ने मामले में अपना पक्ष रखा. सेबी ने कहा कि उन्होंने समय-समय पर प्रतिभूतियों की होल्डिंग और उनके हस्तांतरण के मामले में जरुरी जानकारी संस्था को दी है. साथ ही वर्तमान अध्यक्ष ने संभावित हितों के टकराव से जुड़े मामलों में भी खुद को हमेशा अलग रखा है.