'जमानत मिलने पर मनीष सिसोदिया गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं', जजमेंट में ईडी की सभी आशंकाओं का सुप्रीम कोर्ट ने दिया जवाब
What Supreme Says In Manish Sisodia's Bail Order On Investigation Agency's Assumptions: 17 महीने बाद दिल्ली के पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को जमानत मिल चुकी है. सुप्रीम कोर्ट 6 अगस्त की सुनवाई के बाद मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखा था, 9 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुनाया. जजमेंट कॉपी में सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी की हर आशंका का जवाब दिया है. जांच एजेंसी ने मनीष सिसोदिया पर देश छोड़कर भाग जाने, सबूतों को मिटाने व गवाहों को प्रभावित करने को लेकर आशंका जाहिर की थी, जिसका जवाब सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट आर्डर में दिया है. आइये जानते हैं कि सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है...
मनीष सिसोदिया को मिली जमानत, अदालत ने राइट टू स्पीडी ट्रायल का दिया हवाला
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की डिवीजन बेंच ने मनीष सिसोदिया के नियमित जमानत की मांग के मामले में 9 अगस्त को फैसला सुनाया. अदालत ने अपीलकर्ता के राइट टू स्पीडी ट्रायल का उल्लंघन देख राहत देने का निर्णय लिया.
अदालत ने कहा,
Also Read
- बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन करने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; RJD, TMC सहित इन लोगों ने दायर की याचिका, अगली सुनवाई 10 जुलाई को
- BCCI को नहीं, ललित मोदी को ही भरना पड़ेगा 10.65 करोड़ का जुर्माना, सुप्रीम कोर्ट ने HC के फैसले में दखल देने से किया इंकार
- अरूणाचल प्रदेश की ओर से भारत-चीन सीमा पर भूमि अधिग्रहण का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजा बढ़ाकर देने के फैसले पर लगाई रोक, केन्द्र की याचिका पर जारी किया नोटिस
"वर्तमान मामले में जांच एजेंसियों ने 493 गवाहों, हजारों पन्नों के डॉक्यूमेंट और एक लाख से अधिक पन्नों के डिजिटाइज्ड डॉक्यूमेंट शामिल हैं. इससे साफ है कि निकट भविष्य में ट्रायल समाप्त होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है."
अदालत ने आगे कहा,
"हमारे विचार में, मुकदमे के शीघ्र पूरा होने की उम्मीद में अपीलकर्ता को असीमित समय तक सलाखों के पीछे रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के उसके मौलिक अधिकार से वंचित करना होगा. जैसा कि बार-बार देखा गया है, किसी अपराध के लिए दोषी ठहराए जाने से पहले लंबे समय तक कारावास को, बिना मुकदमे के, सजा नहीं बनने दिया जाना चाहिए."
सुप्रीम कोर्ट ने उक्त टिप्पणी के साथ आरोपी को जमानत देने का फैसला किया है.
देश छोड़ कर भाग सकते है मनीष सिसोदिया?
सुप्रीम कोर्ट ने जजमेंट में आर्डर में मनीष सिसोदिया के देश के भाग जाने की चिंता पर अपना निर्णय सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी व्यक्ति को सुनवाई या अपील के निपटारे तक न्यायिक हिरासत में रखने का उद्देश्य मुकदमे के दौरान कैदी की उपस्थिति बनाए रखना है. इस मामले में अपीलकर्ता की समाज में गहरी पैठ है, उसके देश छोड़कर भागने और मुकदमे का सामना करने के लिए मौजूद न होने की कोई संभावना नहीं है.
ईडी का दावा मनीष सिसोदिया कर सकते हैं सबूतों के साथ छेड़छाड़,
ईडी के मनीष सिसोदिया द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ के दावे पर सुप्रीम कोर्ट ने जांच एजेंसी के संदेहों पर रोक लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा,साक्ष्यों से छेड़छाड़ की संभावना के बारे में एएसजी की आशंका पर यह ध्यान देने योग्य है कि अब ये मामला काफी हद तक डॉक्यूमेंटरी एविडेंस पर निर्भर करता है जिसे अभियोजन पक्ष ने पहले ही जब्त कर लिया है. ऐसे में, साक्ष्यों से छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है. जहां तक गवाहों को प्रभावित करने का सवाल है, अपीलकर्ता पर कड़ी शर्तें लगाकर उक्त चिंता का समाधान किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को निम्नलिखित शर्तों को मानने के बाद जमानत देने की घोषणा की है;
- अपीलकर्ता को ईडी और सीबीआई मामले में 10,00,000 रुपये की राशि के जमानत बांड और दो जमानतदार खड़ा करने पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है;
- अपीलकर्ता को अपना पासपोर्ट विशेष न्यायालय में जमा करना होगा;
- अपीलकर्ता को प्रत्येक सोमवार और गुरुवार को प्रातः 10-11 बजे के बीच जांच अधिकारी के समक्ष रिपोर्ट करना होगा; तथा
- अपीलकर्ता गवाहों को प्रभावित करने या साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने का कोई प्रयास नहीं करेगा.
मनीष सिसोदिया को अपना पासपोर्ट स्पेशल कोर्ट (एमपी-एमएलए कोर्ट) के समक्ष जमा करना पड़ेगा, साथ ही सप्ताह में दो दिन केस के जांच अधिकारी (Investiagtion Officer) के पास हाजिरी लगानी पड़ेगी.
सुप्रीम कोर्ट का आदेश, मनीष सिसोदिया को जमानत, जमानती शर्त, सुप्रीम कोर्ट का जजमेंट, ईडी की आशंका, माई लार्ड, लीगल न्यूज इन हिंदी,