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क्या है मानहानी का अपराध, और क्या है सजा का प्रावधान

क्या है मानहानी का अपराध, और क्या है सजा का प्रावधान

मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन,  जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.

Written By My Lord Team | Published : January 5, 2023 1:25 PM IST

नई दिल्ली: हमारे संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एक मौलिक अधिकार है, संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत प्राप्त यह मौलिक अधिकार हमें अन्य व्यक्तियों के समक्ष अपने विचार और राय व्यक्त करने की स्वतंत्रता देता है. यह मौलिक अधिकार एकपक्षीय नहीं है क्योकि ये कुछ प्रतिबंधों से घिरा हुआ है. ये प्रतिबंध उन मामलों में सामने आते है जहां कोई भी बयान जो लिखित या मौखिक रूप में दिया गया है और जो देश के लिए या किसी की व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद, समूह, सरकार, धर्म की प्रतिष्ठा को हानि पहुंचाने वाला हो.

क्या है मानहानी

हमारे देश के कानून के अनुसार भी किसी व्यक्ति, व्यापार, उत्पाद, समूह, सरकार, धर्म या राष्ट्र के प्रतिष्ठा को हानि पहुँचाने वाला असत्य कथन मानहानि (Defamation) कहलाता है.
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मानहानि दो रूपों में हो सकती है- लिखित या मौखिक रूप में. लिखित रूप में यदि किसी के विरुद्ध प्रकाशितरूप में या लिखितरूप में झूठा आरोप लगाया जाता है या उसका अपमान किया जाता है तो यह "अपलेख" कहलाता है लेकिन,  जब किसी व्यक्ति के विरुद्ध कोई अपमानजनक कथन या भाषण दिया जाता है, जिसे सुनकर लोगों के मन में व्यक्ति विशेष के प्रति घृणा या अपमान उत्पन्न हो तो वह "अपवचन" कहलाता है.

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क्या कहती है IPC
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IPC के प्रावधानों के अनुसार मानहानि करने वाले व्यक्ति पर दीवानी और फौजदारी दोनो मुकदमें चलाए जा सकते हैं. IPC की धारा 499, 501 और 502 में मानहानी की परिभाषा के साथ ही अपराध और उसकी सजा के बारे में वर्णन किया गया है.

IPC की धारा 499

भारतीय दंड संहिता कि धारा 499 के अनुसार यदि कोई किसी व्यक्ति को ऐसे शब्द बोलता है या पढ़ता है या ऐसे कोई संकेत करता है जिससे सामने वाले व्यक्ति के स्वाभिमान को ठेस पहुंचती हो या उसकी लज्जा पर लांछन लगता है तो उसे मानहानि कहा जाता है.

किसी भी व्यक्ति पर मानहानि का मुकदमा तब तक नहीं चलाया जायेगा जब तब की ये साबित नही हो जाये की इसका उद्देश्य दूसरे व्यक्ति के मान सम्मान ठेस को पहुंचाना, उसकी साख गिरना, उसको समाज में निचा दिखाना और उस पर कोई झूठा आरोप लगाना साबित नहीं हो जाता.

IPC की धारा 500

मानहानि का केस सिविल कोर्ट के साथ-साथ आपराधिक अदालतों में भी दायर किया जा सकता है. यदि यह एक नागरिक अपराध है, इसके लिए टॉर्ट लॉ की मदद से पीड़ित व्यक्ति हाईकोर्ट या जिला न्यायालय में दीवानी केस दायर कर सकता है.

इसके साथ ही मानहानि वाले स्टेटमेंट के कारण उसकी प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए क्षतिपूर्ति का दावा भी कर सकता है.

इस धारा के अनुसार अगर कोई भी व्यक्ति जानबूझकर कर किसी के बारे में ऐसा तथ्य छापता है, लिखता है, या फिर छपी हुई या लिखी हुई सामग्री को बेचता है या बेचने के लिए प्रस्ताव देता है जिससे किसी व्यक्ति के आत्मसम्मान को ठेस पहुंच सकती है, तो वह व्यक्ति मानहानि के लिए जिम्मेदार होगा.

ऐसा करना असंज्ञेय अपराध (Non-cognizable offence) हैं. असंज्ञेय अपराध में किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार नहीं किया जा सकता. इस तरह का अपराध जमानती (bailable) होता है जिसमें आरोपी को जमानत मिल सकती है.

इस अपराध के लिए IPC की धारा 500 के तहत व्यक्ति को 2 साल तक की सजा हो सकती है या जुर्माना देना पड़ सकता है, या जुर्माना और सजा दोनों ही हो सकता है।

अगर कोई व्यक्ति यह अपराध करता है तो उसका केस प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट (Magistrate of the first class) के पास जाएगा, लेकिन अगर यही अपराध कोई देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यों के राज्यपाल, केंद्र शासित राज्यों के उपराज्यपाल या किसी मंत्री के ख़िलाफ़ करता है तो उसका केस सेशन कोर्ट (Session Court) में जाएगा.

IPC की धारा 501

यदि कोई व्यक्ति किसी बात को यह जानते या विश्वास का कारण रखते हुए, ऐसा कार्य करेगा, जिससे व्यक्ति के लिए मानहानिकारक है अथवा मुद्रित करता है या उत्कीर्ण करता है, वह धारा 501 के अंतर्गत दंड का भागीदार होगा.

इस अपराध के लिए भी दोषी को 2 वर्ष के साधारण कारावास की सजा दी जा सकती है या आर्थिक जुर्माना लगा कर या दोनों से दण्डित किया जा सकता है.

IPC की धारा 502

IPC की धारा 502 के अनुसार जो कोई भी किसी मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचता है या बिक्री के लिए पेश करता है तो यह मानहानि का मामला होगा.

इस धारा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपने पास ऐसा कोई मानहानिकारक विषय रखने वाले मुद्रित या उत्कीर्ण सामग्री को बेचते है जिसमें यह जानते हुए कि उसमें लोक अभियोजक द्वारा राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति या राज्य के राज्यपाल या संघ राज्य क्षेत्र के प्रशासक या मंत्री के खिलाफ उनके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में उनकी मानहानी हो सकती है.

यह जानते हुए कि इसमें ऐसा मामला है, इस अपराध के लिए 2 वर्ष के साधारण कारावास की सजा दी जा सकती है या आर्थिक जुर्माना लगा कर या दोनों से दण्डित किया जा सकता है.

शिकायतकर्ता पर भार

मानहानी के मामलो में अक्सर पीड़ित व्यक्ति पर ही यह भार होता है कि वह साबित करे कि उसके साथ मानहानी का अपराध हुआ है. उसे साबित करना होगा कि उसके लिए कहा गया या लिखा गया स्टेटमेंट मानहानिकारक प्रकृति की है, या वादी के लिए कोई मानहानि वाली टिप्पणी की गयी ह.