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IPC की धारा 477 A क्या है जिसे CBI ने दिल्ली के उप मुख्यमंत्री Manish Sisodia के विरुद्ध प्रयोग किया

देश का कोई नेता हो या फिर किसी निजी संगठन में काम करने वाला क्लर्क या फिर कोई भी वो कर्मचारी जिसके कंधों पर पैसों की लेनदेन का ब्योरा रखने की जिम्मेदारी है.अगर वो अपने काम के साथ कोताही करता हैं तो कानून उसे माफ नहीं करता.

Written By My Lord Team | Published : February 27, 2023 6:28 AM IST

नई दिल्ली: सरकारी हो या निजी हर क्षेत्र में घोटाले से सम्बंधित अपराध हर तरफ सुनाई पड़ते है. इन्हीं अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए आईपीसी के तहत सजा का प्रावधान किया गया है.

भारतीय दंड संहिता ( Indian Penal Code) 1860 की धारा (Section) 477 A के अनुसार अगर कोई अपने क्षेत्र में पैसों से संबंधित किसी काम में अपनी जिम्मेदारियों से विपरीत जाकर किसी अपराध को अंजाम देता है तो उसे क्या सजा दी जाएगी, साथ ही सजा के लिए कितने पैसों का घोटाला किया जाना चाहिए इन सभी को बताया गया है.

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लेखा (Accounts) का मिथ्याकरण (Falsification)

देश का कोई नेता हो या फिर किसी निजी संगठन में काम करने वाला क्लर्क या फिर कोई भी वो कर्मचारी जिसके कंधों पर पैसों की लेनदेन का ब्योरा रखने की जिम्मेदारी है.अगर वो अपने काम के साथ कोताही करता हैं तो कानून उसे माफ नहीं करता.

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धारा 477A के अनुसार जो कोई लिपिक, अधिकारी या सेवक होते हुए, जिसका कर्तव्य है कि वो हर तरह के पैसों, पुस्तक, इलेक्ट्रॉनिक, अभिलेख, कागज और लेख की लेन देन का हिसाब रखें या फिर उसने अपने नियोजक के लिए प्राप्त किया हो, उसके साथ कोई छेड़छाड़ करता है, उसे नष्ट करता है या उसमें कोई बदलाव करता है या फिर पैसों के लेन-देन करते वक्त चोरी से अपने पास रख लेता है. ऐसा करने वाला अपराधी माना जाएगा.

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कुछ लोग लालच में आकर पैसों का घोटाला कर बैठते हैं और सोचते हैं कि इतने कम पैसे की ही तो चोरी की है इसके लिए क्या सजा मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं है. इस धारा के तहत कानून के नजर में कोई तब बी दोषी माना जाएगा जब उसने 10 रुपए की चोरी कि हो और तब भी दोषी माना जाएगा जब उसने दस लाख की चोरी की हो.

इस धारा के तहत जो कोई भी जिम्मेदार व्यक्ति लेखा का मिथ्याकरण (Falsification of accounts) करता है तो उसे सात साल के कारावास की सजा मिलेगी या फिर जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर दोनों ही सजा से दंडित किया जा सकता है.

स्पष्टीकरण: इस धारा के अधीन जिस पर आरोप लगा है उसके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उसके खिलाफ शिकायत होना अनिवार्य है. शिकायत के बिना पुलिस उस पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है.

आपको बता दें कि इस तरह के अपराध में बेल मिल जाता है यानि यह एक जमानती अपराध ( Bailable Offence). साथ ही यह एक असंज्ञेय अपराध (Non Cognizable Offence) है.

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का मामला

दिल्ली के उप मुख्यमंत्री Manish Sisodia को सीबीआई ने शराब घोटाला मामले में आठ घंटे की पूछताछ के बाद आईपीसी की धारा 120-B (आपराधिक साजिश), 477-A (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा - 7 के तहत रविवार को अरेस्ट कर लिया.

धारा 477A के तहत जैसा बताया गया की कितने साल की सजा हो सकती है. वहीं धारा 120-B के तहत छह महीने से अधिक के कारावास या जुर्माना या दोनों ही सजा दी जा सकती है. भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा - 7 में अधिकतम पांच साल और कम से कम छह महीने की कैद और जुर्माने का प्रावधान है.

फिलहाल दिल्ली के उप मुख्यमंत्री Manish Sisodia को CBI दोपहर 3 बजे तक Rouse Avenue कोर्ट में पेश कर सकती है,CBI ने दिल्ली पुलिस को यह जानकारी दी है.