दाखिल ख़ारिज क्या होता है? यह प्रक्रिया भूमि के क्रय या विक्रय में कितनी है जरुरी?
नई दिल्ली: कृषि भूमि अथवा आवासीय भूमि खरीदने के समय आपने जमीन का दाखिल ख़ारिज या म्युटेशन की प्रक्रिया के बारे में जरूर सुना होगा. यह प्रक्रिया किसी भी व्यक्ति के लिये भूमि खरीदने के उपरान्त रजिस्ट्रेशन करवाने के समय की जाने वाली एक अनिवार्य प्रक्रिया है। इसको पूरा किये बिना कोई भी व्यक्ति अपनी भूमि का पूर्णं रूप से स्वामी नहीं बन सकता है।
हमारे देश में कृषि भूमि अथवा आवासीय भूमि का हस्तांतरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को होता, अतः आपको बताते है की भूमि के दाखिल ख़ारिज या म्युटेशन की प्रक्रिया क्यों जरुरी है और कैसे की जाती है.
दाखिल ख़ारिज क्या है?
देश के किसी भी राज्य में संपत्ति का हस्तांरण एक क़ानूनी प्रक्रिया के तहत उसके कानूनी हक दार को ट्रांसफर किया जाता है। इसके तहत परिवार के मुखिया जिसके नाम पर भूमि है, को हटा कर उसके पुत्र अथवा पुत्री का नाम लैंड रिकॉर्ड में दर्ज करवाया जाता है. इसी प्रक्रिया को ही दाखिल ख़ारिज कहा जाता है.
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आपको बता दे की अपनी पैतृक भूमि का दाखिल खारिज करवाना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि सके बिना कोई भी व्यक्ति भूमि का स्वामी नहीं बन सकता.
आपने अक्सर सुना होगा कि सरकार के द्धारा कभी-कभी किसी ख़ास परियोजना या फिर किसी सरकारी काम के लिए भूमि का अधिग्रहण किया जाता है, ऐसे स्थिति में उन व्यक्तियों को ही मुआवजे की रकम प्राप्त होती है जिनका नाम दाखिल ख़ारिज की प्रक्रिया के तहत लैंड रिकॉर्ड में दर्ज होता है.
आप समझ गए होंगे कि दाखिल खारिज का मतबल उस लाभ से है जिसके जरिये आपको पैतृक भूमि पर कानूनी अधिकार प्राप्त होता है।
भूमि के मालिकाना हक से संबंधित विवाद के निपटारे के दौरान इसका योगदान महत्वपूर्ण होता है। यदि जमीन का दाखिल ख़ारिज हो रखा है तो इसके खरीदार या विक्रेता को किसी प्रकार की कोई समस्या का सामना नहीं करना पड़ता है।
दाखिल खारिज कौन करता है
गौरतलब है कि दाखिल खारिज (Mutation) की प्रक्रिया देश के सभी राज्यों के राजस्व कार्यालयों (तहसीलदार) स्तर पर की जाती है। यदि आपने किसी जमीन के टुकड़े को खरीद रखा है और उस भूमि का दाखिल खारिज कराना चाहते हैं तो आपको अपने शहर के तहसीलदार के कार्यालय में जाकर अर्जी देनी होगी.
दाखिल खारिज याचिका के लिये जरूरी दस्तावेज
१- किसी भूमि अथवा उसके किसी हिस्से में हित लाभ होने तथा वह संपत्ति बदलैन, दान अथवा क्रय की गयी हो तो निबंधित विलेख की स्व प्रमाणित ऐसे कॉपी
२- ऐसी भूमि जिसका पूर्व में Dakhil Kharij नहीं हुआ है। इस स्थिति में पूर्वगामी विलेखों तथा आदेशों की स्व प्रमाणित फोटो कॉपी.
३- किसी वसीयत के तहत हित लाभ हो रहा है, तो वसीयत के साथ साथ सक्षम न्यायालय के द्धारा पारित प्रोबेट आदेश की स्व प्रमाणित छाया प्रति.
४- यदि निबंधन के द्धारा बंटवारा हुआ है, तो निबंधित बंटवारे से संबंधित विलेख की स्व प्रमाणित फोटो कॉपी, और यदि सक्षम न्यायालय के आदेश/डिक्री के जरिये हित लाभ हुआ है, तो न्यायालय के आदेश/डिक्री की स्व प्रमाणित फोटो कॉपी.
५- यदि बंटवारा आपसी सहमति से हुआ है, तो सभी सह हिस्सेदारों की सहमति तथा उनके हस्ताक्षर जरूरी होंगें। इन लोगो के हस्ताक्षरों की पहचान पंचायत समिति के सदस्यों, सरपंचों, मुखिया, वार्ड मेंबर अथवा शहरी क्षेत्रों के वार्ड पार्षद के द्धारा की जानी जरूरी होगी, तथा इस पहचान की स्व प्रमाणित फोटो कॉपी देना आवश्यक होगा.
६- यदि किसी व्यक्ति को उत्तराधिकारी के रूप में भूमि प्राप्त हो रही है, तो पूर्वज के देहांत होने अथवा मृतक के उत्तराधिकारी होने से संबंधित दस्तावेजों की स्व प्रमाणित छाया प्रति.
७- यदि मामला भूदान हित लाभ का है, तो भूदान यज्ञ समिति के द्धारा निर्गत बंदोबस्ती दस्तावेज / भूदान भूमि के पर्चा की स्व अभिप्रमाणित फोटो कॉपी.
८- इसके अलावा लोक भूमि, गैर मजरूआ मालिक / खास तथा गैर मजरूआ आम, भू – हदबंदी अधिशेष भूमि की बंदोबस्ती, हस्तांतरण, समनुदेशन के दस्तावेज आदि की स्व प्रमाणित फोटो कॉपी.
९- यदि दाखिल ख़ारिज याचिका होल्डिंग या उसके किसी भी भाग के लिये दायर की जा रही है, तो अंतिम लगान रसीद उपलब्ध होने की दशा में स्व प्रमाणित करके संलंग्न की जा सकती है.
गौरतलब है यदि आपने उपर्लिखित प्रक्रिया के अनुसार ऐसी याचिका दायर की है, जिसमें किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं है, तो आपको याचिका प्राप्त होने की तरीख से 21 कार्य दिवस का समय लग सकता है.
यहां बता दे कि यदि आपने ऐसी दाखिल खारिज याचिका प्रस्तुत की है जिसमे न्यायालय को आपत्तियां प्राप्त हुई हैं, तो 63 दिन का समय लग सकता है.