अदालत की नजर में क्या होती है चल और अचल सपंति?
नई दिल्ली: किसी भी व्यक्ति के पास जमीन, पैसा, सोना, चांदी से लेकर वो सभी मूल्यवान सामग्री जो कि उस व्यक्ति के लिए आर्थिक तौर पर मूल्यवान है संपत्ति के तौर पर दर्ज की जाती है. क्या आपको पता है कि आपके पास जो संपत्ति है वो किस प्रकार का है. भारतीय दंड संहिता में संपत्ति के प्रकार को परिभाषित किया है. मुख्यतया संपत्ति को 2 प्रकार में विभाजित किया गया है. चल और अचल संपत्ति. आईए जानते हैं IPC की किस धारा के अंतर्गत संपत्ति को परिभाषित किया गया है और किस तरह की संपत्ति को चल और अचल संपत्ति कहते हैं.
चल संपत्ति
IPC की धारा 22 में चल संपत्ति को जमीन तथा जमीन से स्थायी रूप से जुड़ी चीजों को छोड़कर मूर्त संपत्ति के रूप में परिभाषित किया गया है. इस धारा के अनुसार संपंति को किसी भी भौतिक या मूर्त वस्तु के रूप में समझाया गया है जो कोई ऐसी चीज़ से स्थायी रूप से जमीन से जुड़ी हुई नही है और उसे हटाया जा सकता है.
इसका मतलब है की ऐसे चीज़ जो धरती से नहीं जुड़ी हुई है और उसे उसकी जगह से किसी दूसरी जगह पर आसानी से ले जाया जा सकता है. जैसे आपकी पॉकेट में रखा हुआ पैसा, मोबाईल, आपकी घड़ी, आईपैड, गाडी, आभूषण, कंप्यूटर, धन जैसी मूल्यवान चीजें चल संपत्ति (Movable Property) में आती है, जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है.
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चल संपत्ति से जुड़ी महत्वपूर्ण बिंदू
चल संपंति को पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता नहीं होती है. चल संपत्ति को आसानी से विभाजित किया जा सकता या बांटा जा सकता है. जैसे 100 रुपये को अगर 4 लोगों में बांटना हो तो आप आसानी से कर सकते है.
चल संपत्ति किसी को भी बेहद आसानी से ट्रांसफर की जा सकती है. जैसे आप डिजिटल माध्यम से कुछ ही सेकंड में पैसे ट्रांसफर कर सकते है.
अचल संपत्ति
IPC की धारा 22 में ही अचल संपत्ति (Immovable Property) की भी व्याख्या की गई है. अचल संपत्ति का मतबत ऐसी संपत्ति से है जिसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता है.अचल संपत्ति पर किसी न किसी का अधिकार होता है. अचल संपत्ति में आमतौर पर आवासीय घर, गोदाम, मैन्युफैक्चरिंग यूनिट,कारखाना जैसे रियल एस्टेट संपत्ति को माना जाता है. जमीन से जुड़े पौधे या पेड़ भी अचल संपत्ति के अंतर्गत आते हैं. अचल संपत्ति के मामले में इनपर कानूनी नियम तथा टैक्स भी लगता है.
अचल संपत्ति से जुड़ी महत्वपूर्ण बिंदू
अचल संपंति को पंजीकरण अधिनियम, 1908 के तहत पंजीकृत कराने की आवश्यकता होती है, यदि उसका मूल्य 100 रुपये से अधिक है.
अचल संपत्ति को आसानी से विभाजित नहीं किया जा सकता. इसे बांटने के लिए बेहद योग्यता की आवश्यकता होती है.
अचल संपत्ति को किसी अन्य के नाम ट्रांसफर करने के लिए वसीयत, विभाजन या उपहार विलेख का तरीका अपनाना पड़ता है. जैसे आप अपना घर या जमीन ट्रांसफर करने के लिए कई प्रक्रियाओं से होकर गुजरना होता है.
अदालत की नजर में
अवतार सिंह बनाम पंजाब राज्य के मामले में, अदालत ने स्पष्ट किया कि चल संपत्ति क्या है और अचल संपत्ति के अंतर्गत क्या आता है. कोर्ट ने कहा कि बिजली अचल संपत्ति है, जबकि मछली जैसी चीजें चल संपत्ति हैं. अदालत आगे कहती है कि जीवित या मृत इंसान अचल संपत्ति है, जबकि mummy चल संपत्ति है.
चीफ कंट्रोलिंग रेवेन्यू अथॉरिटी बनाम एंटी बायोटिक प्रोजेक्ट वीरभद्र के मामले में, अदालत ने माना है कि पानी एक चल संपत्ति है, क्योंकि यह जमीन नहीं है और यह स्थायी रूप से किसी चीज से जुड़ा नहीं है और प्रकृति में भी भौतिक है, जो इसे चल संपत्ति बनाती है.
डंकन इंडस्ट्रीज लिमिटेड बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के मामले में, अदालत ने आईपीसी की धारा 22 के बाद के हिस्से की व्याख्या की है जो कहता है की "कोई ऐसी चीज़ से स्थायी रूप से जुड़ी होना जो धरती से जुडी हुई है." कोर्ट ने कहा है कि अचल संपत्ति को पहचानने के लिए यह देखना ज़रूरी है की जो चीज़ स्थायी रूप से किसी भूमि से जुड़ी हो, वह क्या जोड़ने वाले व्यक्ति का इरादा इसे स्थायी रूप से या अस्थायी रूप से जोड़ने का था.